– होड़ शालीनता की करो, फिजूलखर्ची की मत करो।
– अपने लाभ के लिए औरों का नुकसान मत करो।
– संकट में साथ देने वाला ही सच्चा मित्र है, बाजार में नमस्कार करने वाला नहीं।
– अहसान मानो पर अहसान मत करो।
– किसी को धोखा मत दो पर धोखेबाज से सावधान रहो।
– आज का काम कल पर मत छोड़ो।
– विनम्रता अच्छी है और अभिमान बुरा है।
– सेवा का धर्म सर्वोपरि है।
– जाति कर्म से बनती है, जन्म से नहीं।
– मानव-धर्म एक है, परंतु जाति धर्म पृथक-पृथक होता है।
– पाप वही है जिसको करने से निंदा होती हो।
– पुण्य वही है जिसको करने से प्रशंसा होती है।
– धर्म संकीर्णता से नहीं बढ़ेगा और पाप पश्चाताप से नहीं बढ़ेगा।
– कीमत हिम्मत की है, कायरता की नहीं।
– आशा ही लक्ष्य की पूर्ति कर सकती है, निराशा नहीं।
– मानव धर्म समझने वाला गृहस्थी संन्यासी से कम नहीं है।
– गृहस्थ संन्यास से भी श्रेष्ठ है।
– जन्म भोग-भोगने के लिए ही होता है।
– मनुष्य के लिए स्वर्ग और नरक दोनों खुले हैं, जहां जाना चाहे, कर्म करके जा सकता है।
bahut hi samajne k layak hai