प्रणाम
महामनीषी आचार्य
तुमको प्रणाम!
मूकमाटी के कालजयी रचनाकार
शतशः प्रणाम।
सिद्धि साधक, दिगंबर शिव
तुमको प्रणाम।
मूकमाटी के मंगलघट
तुमको प्रणाम।
‘असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय’
इस वेदवाक्य को सहज साकार रूप,
जीवंत कोष,
तुमको प्रणाम।
इच्छा, क्रिया, ज्ञान के समन्वय रूप
त्रिवेणी-प्रवाह के तीर्थराज
तुमको प्रणाम।
मिथ्याचारों के विद्रोही स्वर
क्रांति के अमर घोष
विद्या के सागर
तुमको प्रणाम।
तेजस्वी अंशुमाली समान
दिगदिगन्त आलोक पर्व,
हे ज्योतिपर्व के ज्ञानदीप
उज्ज्वल महिमा से मंडित
यशमहिमा, संत शिरोमणि कबीर
तुमको प्रणाम।
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