श्रमण संस्कृति उन्नायक आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
संत, कमल के पुष्प के समान लोकजीवनरूपी वारिधि में रहता है, संचरण करता है, डुबकियाँ लगाता है, किंतु डूबता नहीं। यही भारत भूमि के प्रखर तपस्वी, चिंतक, कठोर साधक, लेखक, राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के जीवन का मंत्र घोष है।
पूर्व नाम | : | श्री विद्याधरजी |
पिता श्री | : | श्री मल्लप्पाजी अष्टगे (मुनिश्री मल्लिसागरजी) |
माता श्री | : | श्रीमती श्रीमंतीजी (आर्यिकाश्री समयमतिजी) |
भाई/बहन | : | चार भाई, दो बहन |
जन्म स्थान | : | चिक्कोड़ी (ग्राम-सदलगा के पास), बेलगाँव (कर्नाटक) |
जन्म तिथि | : | आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) वि.सं. २००३, १०-१०-१९४६, गुरुवार, रात्रि में १२:३० बजे |
जन्म नक्षत्र | : | उत्तरा भाद्र |
शिक्षा | : | ९वीं मैट्रिक (कन्नड़ भाषा में) |
ब्रह्मचर्य व्रत | : | श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, चूलगिरि (खानियाजी), जयपुर (राजस्थान) |
प्रतिमा | : | सात (आचार्यश्री देशभूषणजी महाराज से) |
स्थल | : | १९६६ में श्रवण बेलगोला, हासन (कर्नाटक) |
मुनि दीक्षा स्थल | : | अजमेर (राजस्थान) |
मुनि दीक्षा तिथि | : | आषाढ़, शुक्ल पंचमी वि.सं., २०२५, ३०-०६-१९६८, रविवार |
आचार्य पद तिथि | : | मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया-वि.सं. २०२९, दिनांक २२-११-१९७२, बुधवार |
आचार्य पद स्थल | : | नसीराबाद (राजस्थान) में, आचार्यश्री ज्ञानसागरजी ने अपना आचार्य पद प्रदान किया। |
मातृभाषा | : | कन्नड़ |
<td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg" width="20%">पूर्व नाम</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg" width="5%">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg" width="75%">श्री विद्याधरजी</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">पिता श्री</td>
<td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">श्री मल्लप्पाजी अष्टगे (मुनिश्री मल्लिसागरजी)</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">माता श्री</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">श्रीमती श्रीमंतीजी (आर्यिकाश्री समयमतिजी)</td>
</tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">भाई/बहन</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">चार भाई, दो बहन</td> </tr> <tr>
<td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">जन्म स्थान</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">चिक्कोड़ी (ग्राम-सदलगा के पास), बेलगाँव (कर्नाटक)</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">जन्म तिथि</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td>
<td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) वि.सं. २००३, १०-१०-१९४६, गुरुवार, रात्रि में १२:३० बजे</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">जन्म नक्षत्र</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">उत्तरा भाद्र</td> </tr>
<tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">शिक्षा</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">९वीं मैट्रिक (कन्नड़ भाषा में)</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">ब्रह्मचर्य व्रत</td>
<td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, चूलगिरि (खानियाजी), जयपुर (राजस्थान)</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">प्रतिमा</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">सात (आचार्यश्री देशभूषणजी महाराज से)</td>
</tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">स्थल </td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">१९६६ में श्रवण बेलगोला, हासन (कर्नाटक)</td> </tr> <tr>
<td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">मुनि दीक्षा स्थल</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">अजमेर (राजस्थान)</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">मुनि दीक्षा तिथि</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td>
<td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">आषाढ़, शुक्ल पंचमी वि.सं., २०२५, ३०-०६-१९६८, रविवार</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">आचार्य पद तिथि</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया-वि.सं. २०२९, दिनांक २२-११-१९७२, बुधवार</td> </tr>
<tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg" valign="top">आचार्य पद स्थल</td> <td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">नसीराबाद (राजस्थान) में, आचार्यश्री ज्ञानसागरजी ने अपना आचार्य पद प्रदान किया।</td> </tr> <tr> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg" valign="top">मातृभाषा </td>
<td class="ucbodytext" align="center" background="../images/bg.jpg">:</td> <td class="ucbodytext" background="../images/bg.jpg">कन्नड़ </td>
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AACHRYA SHRI VIDYSAGAR GYAN KE SAGR .TRI BAR NAMOSTU NAMOSTU, NAMOSTU.
RAJU JAIN-9921550730–NAGPUR
Param Pujya Aacharya Guruvar Vidyasagar ji Maharaj ko Baarambar Namostu. Namostu Aacharyashri. He Guruwar aap ke aasheerwad aur pratap se mein dharm ke marg per aage bad sakun yehi meri kamna hain. Aap ke aashirwad se mein Mokshh marg per bad saku is tarah ka aashirwad bhi mujhe mile.
acharyasri hamare liye jivit tirthankar hai inke aashirwad tatha inke anusharan se hi hame Moksha marg ki rah mil sakti hai