आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

अनुभूति

मेरे जीवन के दिशा निर्देशक गुरू “आचार्य श्री विद्यासागर”


श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ

“जब दुबारा गर वो, मानव जन्म मिले।
फिर से यही गुरुवर ‘विद्यासागर’ शरण मिले॥”

108 आचार्य गुरुवर विद्यासागर महाराज के चरणों में मन, वचन, काया से बारम्बार नमन। मैंने सन 1986 में सबसे पहले आपके दर्शन पपौराजी में किये थे। दर्शन कर के मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं शब्दों में नहीं बता सकती। उसी समय मैंने यह नियम ले लिया कि मैं वर्ष में एक बार आचार्य महाराज के दर्शन जरूर करूंगी।

जब भी मैं आचार्य श्री के दर्शन करने आती हूँ तो मुझे नई-नई चीजों का अनुभव होता है। इस दिशा में आने के बाद मेरी जिन्दगी की दिशा एकदम बदल सी गई है। इनके दर्शन कर मेरी तो जिन्दगी सफल हो गयी है। आचार्य श्री की निर्दोश चर्या, चिंतन, गम्भीर ज्ञान, निस्पृह, सहज, सरल वृत्ति व मन्द मुस्कान दर्शक पर एक अजीब जादुई प्रभाव डालती है। आचार्य श्री निरंतर ज्ञान-ध्यान में लीन रहते हैं, जब भी उनके पास जाते हैं, किसी की तरफ देखते भी नहीं। केवल धीरे से हाथ का आशीर्वाद दे देते हैं। आशीर्वाद जरूर मिलता है। उनके पास बैठकर वीतराग छवि का अवलोकन कर मैं स्वयं को धन्य महसूस करती हूँ। उनके दर्शन करने में इतना आकर्षण है। वे तो भगवान का ही दूसरा रूप हैं। मैं स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानती हूँ मुझे ऐसे गुरु मिले।

आपने आज तक अनेक मुनि, आर्यिका, क्षुल्लक, ऐलक और ब्रह्मचारियों व ब्रह्मचारिणियों को दीक्षित कर उन्हें सन्मार्ग में लगाया है।

हमारे राजस्थान में महावीर जी ही एकमात्र अतिशय क्षेत्र था। अब आपके आशीष मात्र से व प्रेरणा से नारेली में ज्ञानोदय क्षेत्र का निर्माण कार्य सम्पन्न हो गया है। हमारे किशनगढ में 27 से 31 मई, 1979 को आदिनाथ भगवान का आपने पंचकल्याण करवाया था।

आचार्य श्री विद्यासागर जी की साहित्य साधना:

संस्कृत शतकम् –

1. शारदा स्तुति शतकम्
2. श्रमण शतकम्
3. निरंजन शतकम्
4. भावना शतकम्
5. परीषहजम शतक
6. सुनीति शतकम्
7. चेतन्यचन्द्रोदय शतकम्
8. धीवरोदय शतकम्

हिन्दी काव्य –

1. मूकमाटी महाकाव्य
2. नर्मदा का नरम कंकर
3. डूबो मत, लगाओ डूबकी
4. तोता क्यों रोता?
5. चेतना के गहराव में।

स्तुति सरोज –

1. आचार्य शांतिसागर स्तुति
2. आचार्य वीरसागर स्तुति
3. आचार्य शिवसागर स्तुति
4. आचार्य ज्ञानसागर स्तुति
5. आध्यात्म-7 भक्तिगीत

हिन्दी शतक – चरित्र भक्ति –

1. निजानुभाव शतक
2. मुक्तक शतक
3. श्रमण शतक
4. निरंजन शतक
5. भावना शतक
6. परीषहजय शतक
7. सुनीति शतक
8. दोहादोहन शतक (मंगल कामना)
9. पूर्णोदय शतक
10. सूर्योदय शतक
11. सर्वोदय शतक

1. कुन्दकुन्द का कुन्दन (समयसार)
2. निजामृतपान
3. अष्टपाहुड
4. भावना शतकम् (समयसार कलश)
5. नियमासार
6. वारस अणुवेक्खा
7. पंचास्तिकाय
8. इष्टोपदेश (वसंततिलका छन्द)
9. प्रवचनसार
10. समाधिसुधाशतक (समाधिकशतक)
11. नव भक्तियाँ (आचार्य पूज्यपादकृत) सिद्धभक्ति, चैत्यभक्ति, पंचमहागुरुभक्ति, शांति भक्ति, योग भक्ति, आचार्य भक्ति – चरित्र भक्ति, निर्वाण भक्ति, नन्दीश्वर भक्ति
12. समंतभद्र की भद्रता(स्वयम्भू स्त्रोत्र)
13. रयणमंजूषा (रत्नकरडक श्रावकाचार)
14. आप्त मीमांसा (देवागम स्त्रोत्र)
15. द्रव्य संग्रह ( वसंततिलका छन्द)
16. गोमटेश अष्टक
17. योगसार
18. आप्त परीक्षा
19. जैन गीता(समण सुतं)
20. कल्याण मन्दिर स्तोत्र
21. एकीभाव स्तोत्र
22. जिनेन्द्र स्तुति
23. स्वरूप संबोधन
24. इष्टोपदेश (ज्ञानोदय)
25. द्रव्य संग्रह

आचार्य श्री मूल रूप से कन्नड भाषी हैं। फिर भी उन्हें संस्कृत, मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, व्याकरण व अपभ्रंश का पूर्ण ज्ञान है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी के द्वारा प्रभावक कार्य

* मूकमाटी मीमांसा (भाग 1,2,3) लगभग 325 संस्कृत, हिन्दी, जैन जैनतर विद्वानों के लेख तथा भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित।
* मूकमाटी पर शाताधिक पी.एच.डी,/डी.लिट., एम.फिल आदि।
* आचार्य श्री का साहित्य अनेकों महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम में शामिल।
* जबलपुर-जयपुर ट्रेन का नाम “दयोदय एक्सप्रेस” हुआ।
* नव निर्माण श्री समवशरण दि. जैन मन्दिर, सिलवानी, जिला- रायसेन (म.प्र.)
* श्री दि. जैन सिद्ध कुंडलपुर, जिला-दमोह(म.प्र.)
* श्री नन्दीश्वर दीप पिसनहारीजी मढिया जी, जबलपुर (म.प्र.)
* श्री शांतिनाथ दिगम्बर (चौबीसी एवं पंचबालयति) जैन मन्दिर, रामटेक, जिला-नागपुर (महाराष्ट्र)
* श्री सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र, नेमावर, तह. खातेगांव, जिला-देवास(म.प्र.)
* श्री “सर्वोदय तीर्थ” दि. जैन मन्दिर अमरकंटक, जिला – अनूपपुर (म.प्र.)
* श्री “भाग्योदयतीर्थ” (मानव सेवा एवं शिक्षा) फार्मेसी कॉलेज, नर्स कॉलेज, सागर (म.प्र)
* श्री शांतिनाथ दि. जैन मन्दिर अतिशय क्षेत्र, बीनाबारह, जिला- देवरी, सागर (म.प्र.)
* श्री दि. जैन समवशरण “शीतलधाम, हीरापुरा” विदिशा (म.प्र.)
* श्री दि. जैन चौबीसी मन्दिर, टडा, जिला-सागर (म.प्र.)
* श्री दयोदय तीर्थ एवं प्रतिभा स्थली (शिक्षा संस्कार के लिए) तिलवारा घाट, जबलपुर (म.प्र.)
* भारतवर्षीय प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान (विभिन्न पदों की कोचिंग), जबलपुर (म.प्र.)
* आचार्य श्री विद्यासागर जी ‘शोध संस्थान’ भोपाल (म.प्र.)
* सुप्रीम कोर्ट से 7 जजों के बैंच से ऐतिहासिक गौ वध पर प्रतिबन्ध का फैसला हुआ।
* बैलों की रक्षा एवं गरीबों को रोजगार हेतु “दयोदय जहाज” का गंजबासौदा एवं विदिशा में वितरण।
* मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूरे म.प्र. में ‘आचार्य विद्यासागर जी गौ दान योजना’ लागू।


संस्थायें-

* “ब्राही विद्या आश्रम” मढिया जी जबलपुर (म.प्र.)
* vidyasagar.net इस वेबसाइट पर सभी जानकारी उपलब्ध।

40 से अधिक पंचकल्याणक, अनेकों विधान आदि, कुंडलपुर के बडे बाबा का नये मन्दिर मे विहार (जैन समाज ऐतिहासिक कार्य) उपराष्ट्रपति श्री भैरोसिंह शेखावत से अमरकंटक में चर्चा, प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी से गोमटगिरि, इन्दौर में चर्चा, केन्द्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी से जबलपुर में चर्चा, अनेकों मुख्यमंत्रियों से चर्चा, श्री दिग्विजय सिंह, सुश्री उमा भारती, श्री शिवराज सिंह चौहान, श्री सुन्दरलाल पटवा, श्री बाबूलाल गौर आदि से चर्चा, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से चर्चा विदिशा में, विधानसभा अध्यक्ष श्री ईश्वरदास रोहाणी से चर्चा, राजस्थान के राज्यपाल श्री निर्मल चन्द्रजी जैन (जबलपुर) से चर्चा एवं अनेकों केन्द्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जजों, हाईकोर्ट के जजों, आयोग अध्यक्षों एवं विशिष्ट पदों वाले व्यक्तियों से चर्चा के दौरान अनेक धार्मिक प्रभावना के कार्य हुए और अनेकों संतों जैसे योग गुरु बाबा रामदेव से आचार्य श्री की 1-20 मिनट चर्चा, दयोदय तीर्थ गौशाला, जबलपुर में हुई थी।

आपके सान्निध्य में 20वीं शताबदी में जहाँ षट्खण्डागम तथा कषायपाहुड ग्रंथ की वाचना प्रारम्भ हुई है।

ऐसे गुरु के श्री चरणों के दर्शन-लाभ हर साल लेने का सौभाग्य मुझे अपने पति के सहयोग से ही मिला है। मैं अपने ऐसे “जीवन-संगी” को कोटिश धन्यवाद देती हूँ, जिन्होंने स्वयं भी कर्म-क्षेत्र के साथ-साथ धर्म-क्षेत्र में अपने कदम आगे बढाये हैं और मुझे भी आगे बढाया है। और अंत में मैं अपने हृदयोद्गार इन शब्दों मे व्यक्त करूँगी:

“गुरु के उज्ज्वल संयम के मैं गौरव गीत गाती हूँ,
महावीर जैसे गुरुवर हैं इस भारत धरती पर।
वर्धमान था जिनका नाम, वर्तमान में गुरु का नाम,
वे त्रिशला के नन्दन हैं, गुरु जिनके लघुनन्दन हैं।”

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सान्निध्य में सम्पन्न हुई सल्लेखनायें:

1. 20 सल्लेखनायें
2. 30 समाधी मरण

1 आचार्य, 3 मुनि, 2 आर्यिका, 2 ऐलक, 6 क्षुल्लक, 3 क्षल्लिका और अन्य व्रती, प्रतीभाधारी श्रावक जनों की सल्लेखना सम्पन्न हुई।

14 Comments

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  • plz give the details about shri vidya sagar ji now where are u living . which city .

  • patni ji u r right jain samaj ke gorav he Acharya Vidyasagar ji, me unko bar bar naman karta hu or chahta hu ki ek bar darsan ho jaye or phir bar bar darshan ho gurubar ke .

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