समयसागर जी महाराज इस समय बिना बारह में हैं सुधासागर जी महाराज इस समय आगर में हैंयोगसागर जी महाराज का चातुर्मास नागपुर में मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज गुणायतन में हैंदुर्लभसागरजी जी महाराज एलोरा में विराजमान हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी अहमदाबाद में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर विनम्रसागरजी महाराज का चातुर्मास खजुराहो में

आचार्य श्री विद्यासागर जी

श्रीमती सुशीला पाटनी
आर.के. हाऊस,
मदनगंज- किशनगढ़ (राज.)

मंदिर में जाकर यदि भगवान से पूछो कि तुम कौन हो तो प्रतिध्वनि आती है तुम कौन हो। यदि हम कहें कि आप भगवान हो तो प्रतिध्वनि सुनार्इ देगी कि आप भगवान हो। मंदिरों की इससे अधिक महिमा और क्या हो सकती है।

प्रभु के हृदय की बात जब तक नहीं समझोगे तब तक उन जैसी चैतन्य परिणति को प्राप्त नहीं कर सकते।

भारतीय मानस श्रद्धा-भक्ति से भरा है, यही कारण है कि यहाँ के निवासियों ने मकानों के साथ-साथ पूजा स्थल मंदिरों का भी निर्माण किया है। भारत में ऐसा कोर्इ भी गांव नहीं जो मंदिरों – मूर्तियों से विहीन हो।

भक्त को भगवान से कुछ याचना नहीं करनी चाहिये अरे ! जिस भक्ति के माध्यम से मुक्ति का साम्राज्य मिल सकता है उससे संसार की तुच्छ वस्तु मांगकर भक्ति को क्यों दूषित करते हो।

दिगम्बरत्व धूप के समान है। उसका उपयोग चाहे जितना कीजिये पर उसे बाँधने का प्रयत्न मत कीजिये। वह धूप है किसी के बाँधने से नहीं बँधेगी स्वतन्त्रता उसके स्वभाव में है।

जिसका मन रूका है और पैर चल रहे है वह साधु है, और जिसके पैर रूके हैं मन चल रहा है वह स्वादु है।

हम जैसे – जैसे क्रियाओं के माध्यम से राग – द्वेष को संकीर्ण करते जायेंगे। वैसे – वैसे आत्मा के निकट पहुँचते जायेंगे।

आज देश में  सबसे बड़ी समस्या भूख – प्यास की नहीं बलिक आन्तरिक विचारों के परिमार्जन की है। दूषित विचारों से ही विश्व में त्राहि – त्राहि मच रही है। यह समस्या धर्म और दया के अभाव से ही है। एक दूसरे की रक्षा के लिए कोर्इ तैयार नहीं है, जो कल तक रक्षक थे वे ही आज भक्षक हो गये हैं।

बड़े – बड़े काले पाषाण खण्डों के बीच से गुजरती हुर्इ पानी की धारा बहती है। मोह भी एक ऐसी ही धारा है जिसमें बडे़ – बड़े सन्त बह जाते हैं। जिसका जीवन साफ सुथरा है वही मोह की धारा को पार कर सकता है।

आचार्यों का उपदेश साधकों के लिए केवल इतना ही है कि हाथ से कल्याण का संकेत करें और मुख का प्रसाद बिखेर दें इससे ज्यादा उन्हें और कुछ नहीं करना है।

स्वाध्याय करते हुए भी जिसके कदम चारित्र की ओर नहीं बढ़ रहे हैं इसका अर्थ यही है उसने स्वाध्याय करना तो सीख लिया है किन्तु स्वाध्याय के वास्तविक प्रयोजन को प्राप्त नहीं किया।

प्रवचन वीडियो

2023 : विहार रूझान

मेरी भावना है कि संत शिरोमणि विद्यासागरजी महामुनिराज का विहार यहां होना चाहिए :




2
4
24
1
3
View Result

कैलेंडर

september, 2023

11sep(sep 11)3:19 pm(sep 11)3:19 pmपुष्य नक्षत्र तिथि

17sep(sep 17)11:02 am(sep 17)11:02 amआचार्यश्री शान्तिसागरजी की पुण्यतिथि

18sep(sep 18)11:03 am(sep 18)11:03 amरोट तीज

19sep(sep 19)11:03 am(sep 19)11:03 amदशलक्षण पर्व~१९ सितम्बर से २८ सितम्बर तक

23sep(sep 23)11:04 am(sep 23)11:04 amपुष्पदन्त भगवान मोक्ष कल्याणक

X