श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ
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मंगल-भावना
मंगल-मंगल होय जगत् में, सब मंगलमय होय।
इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय।।
कहीं क्लेश का लेश रहे ना, दु:ख कहीं भी ना होय।
मन में चिंता भय न सतावे, रोग-शोक नहीं होय।।
नहीं वैर अभिमान हो मन में, क्षोभ कभी नहीं होय।
मैत्री प्रेम का भाव रहे नित, मन मंगलमय होय।। मंगल-मंगल…
मन का सब संताप मिटे अरु, अंतर उज्ज्वल होय।
रागद्वेष औ मोह मिट जाये, आतम निर्मल होय।।
प्रभु का मंगलगान करे सब, पापों का क्षय होय।
इस जग के हर प्राणी का हर दिन, मंगलमय होय।। मंगल-मंगल…
गुरु हो मंगल, प्रभु हो मंगल, धर्म सुमंगल होय।।
मात-पिता का जीवन मंगल, परिजन मंगल होय।।
जन का मंगल, गण का मंगल, मन का मंगल होय।
राजा-प्रजा सभी का मंगल, धरा धर्ममय होय।। मंगल-मंगल…
मंगलमय होय प्रात हमारा, रात सुमंगल होय।
जीवन के हर पल हर क्षण की बात सुमंगल हो।
घर-घर में मंगल छा जावे, जन-जन मंगल होय।
इस धरती का कण-कण पावन औ मंगलमय होय।। मंगल-मंगल…
दोहा
सब जग में मंगल बढ़े, टले अमंगल भाव।
है ‘प्रमाण’ की भावना, सब में हो सद्भाव।।
आलेख
क्या है गुणायतन-
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के पावन आशीष तथा उनके परम प्रभावक शिष्य पूज्य मुनिवर श्री प्रमाण सागरजी की पावन प्रेरणा, परिकल्पना और अनुभव अर्जित संपदा से बनने जा रहा है, जैन दर्शन के चौदह गुणस्थानों की कलात्मक उत्कृष्ट आधुनिकतम तकनीक से निर्मित चेतनामयी आलोक सृष्टि, जिसका नाम है गुणायतन।
गुणायतन की संरचना कला व स्थापत्य का अनुपम/ अद्भुत /अलौकिक प्रस्तुतिकरण ही नहीं है अपितु प्रकाश, ध्वनि संयोजन एवं संगीत के माध्यम से जीवंत-प्राणवन्त एवं ऊर्जस्वित जैन सिद्धान्त का दर्पण भी है तथा परम लक्ष्य का उपक्रम भी। जब-जब आगम पढ़ते हैं तो तब-तब सोचते हैं –
काश हम भी होते समवसरण में; सुनते भगवान की दिव्य ध्वनि; देखते तीर्थंकरों का श्रीविहार; सीखते सौधर्म की भक्ति; झुकते देखते शतेन्द्र; जानते अपने सातों भव; पहचानते अपना गुणस्थान…..
इन्हीं भावनाओं की साकारता को आकार दे रहा है गुणायतन-
गुणायतन: आत्म विकास का दिव्य सदन
गुणायतन और तीर्थराज
तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी जैन धर्मावलंबियों का शिरोमाणी तीर्थ है, यहाँ देश विदेश से प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु/ पर्यटक आते हैं। इस परम पूज्य सिद्ध स्थल पर दिगंबर जैन समाज का मंदिरों के अतिरिक्त धर्म प्रभावाना का कोई अन्य ऐसा माध्यम नहीं है जो उन्हें आकर्षित एवं प्रभावित कर जैन धर्म का बोध करा सके, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए गुणायतन का निर्माण किया जा रहा है, इस प्रणम्य स्थल की छांव में तीर्थ राज की पावन भूमि का स्पर्श और गुणायतन का आकर्षक अवलोकन जैन सिद्धांतों के वैज्ञानिक चिंतन को नई दृष्टिकोण देगा। बस्तुतः सिद्ध भूमि के इस प्राण वायु में हम भावों से साक्षात सिद्धरोहण कर सकेगें, तीर्थराज की वंदना की प्रयोजन सिद्धि में मील का पत्थर सिद्ध होगा यह गुणायतन।
गुणायतन: आत्म विकास का दिव्य सदन
जैन सिद्धांतों की वैज्ञानिक प्रयोगशाला
बोलेगा समवशरण।
गुंजेगा गुणायतन॥
जीवंत झाँकियाँ, सुंदर कृति।
सजेगी इसमें हमारी संस्कृति॥
ऐसा भवन बदलेगा जीवन।
बनायगा हमारा गुणायतन॥
संत की प्रेरणा, श्रावकों की भक्ति।
अर्हंत के वचन सुनायगा गुणायतन॥
गुणायतन के अन्दर करके प्रवेश।
हृदय में होगा धर्म का समावेश॥
गूँजते स्तम्भ, बोलती दीवारे।
करेगें दूर मोह के अधियारे॥
गुणायतन बनेगा सभी की आशा।
बच्चे भी समझेगे आगम की भाषा॥
आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक एनिमेशन/ प्रकाश/ ध्वनि और संगीत से चमकेगा गुणायतन
आप अपनी राशि गुयायतन न्यास के बैंक खाते में सीधे जमा करवा सकते हैं :
गुणायतन न्यास,
बैंक ऑफ इंडिया, पारसनाथ
A /C no. 480920110000043
IFSC CODE :BKID -0004809
आपका सहयोग – हमारा संबल
आप निम्न प्रकार से हमें सहयोग कर सकते हैं-
शिरोमणी संरक्षक
ट्रस्टी
निर्माण नायक
स्तम्भ
सूत्रधार
निर्माण सारथी
निर्माण मित्र
हमारी योजनाओं को मूर्त रूप देकर आप भी बन सकते हैं गुणायतन के गौरव – सम्पर्क करें..
08757226845, 07543018668
गुणायतन – सम्पर्क
कुन्द-कुन्द मार्ग, पो. शिखरजी, मधुवन
जिला- गिरिडीह (झारखण्ड) – 852329
फोन: 07543076063, 7543046810, 09431223893, 09831077074, 9431144343
muni shri 108 praman sagarji ke pawan charan kamlo me mera sat sat naman