मान्यवर,
शिक्षा का महत्व हर काल में हमेशा रहा है। शिक्षित व्यक्ति ही राष्ट्र एवं समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान दे सकता है। सकारात्मक शिक्षा मस्तिष्क का विकास, प्रतिभा का उन्नयन, दक्षता, व्यवहारिकता, विवेकशीलता, बुद्धिमत्ता, सदाचरण एवं मानवीय गुणों का विकास करती है। नारी शिक्षा तो और भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि संतति पर माँ का प्रभाव ही सर्वाधिक असरकारी होता है। शिक्षा नारी को आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बनाने में सहायक हो सकती है जिससे कन्यावध, दहेज लालसा आदि कुरीतियों को दूर करने में सहायता मिलेगी। कहा जा सकता है कि सारे गुण शिक्षा में ही निहित हैं।
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हमारे पुण्योदय से दूरदृष्टा आचार्य प्रवर गुरुवर श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज की दृष्टि इस ओर गई है। आचार्य प्रवर की भावना है कि ऐसा शिक्षा संस्थान निर्मित हो जो न सिर्फ अद्यतन सभी विधाओं के शिक्षण का प्रमाणिक केंद्र हो, अपितु भव्य, अनुपम एवं अद्वितीय हो। गुरुकुल परंपरा का पोषक हो। नवीनता में प्राचीनता की झलक हो।
समाज कल्याण एवं धर्म प्रभावना हेतु परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज अनेक आदर्श योजनाओं के प्रणेता हैं। आपके पवित्र आशीर्वाद से दयोदय सदृश्य अनेक योजनाएँ मूर्त रूप में स्थापित हो, समाज तथा जीव कल्याण में रत है।
आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज से प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्राप्त कर जबलपुर जैन समाज ने ”कन्या सुसंस्कार, शिक्षा प्रसार” हेतु एक अभिनव योजना कार्यान्वित करने का संकल्प लिया है। इस कार्य में समाज के वरिष्ठतम पदाधिकारी, इंजीनियर, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्राध्यापक एवं अन्य प्रबुद्ध वर्ग अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। उन्होंने इस कार्य को स्थापित कर प्रस्तावित ट्रस्ट को सौंपने का निश्चय किया है। यह ट्रस्ट अपनी कार्यकारिणी के माध्यम से इस संस्थान को संचालित करेगा।
आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की प्रेरणा प्राप्त कर प्रतिभा मंडल की विदुषी ब्रह्मचारिणी बहनें इस महती शिक्षण योजना में अपनी सक्रिय सहभागिता प्रतिपादित करने के दृढ़ संकल्प सहित वनस्थली तथा हस्तिनापुर में विशेष अध्ययन प्राप्त कर इस संस्थान को अपनी सेवाएँ देने हेतु उद्यत हैं।
शिक्षा प्रसार की इस योजना में गुरुकुल पद्धति पर आधारित शिक्षण एवं आवासीय व्यवस्था इन उच्च शिक्षित बहनों द्वारा संपादित की जाएगी। अत्याधुनिकतम व्यवस्थाओं में प्राप्त शैक्षणिक योग्यता के अतिरिक्त संयम तथा अन्य आदर्श जीवन मूल्यों के उच्चतम मानकों की प्राप्ति एवं उनके पालन करने का समुचित अभ्यास। निश्चित ही इस संस्थान का उत्पाद श्रेष्ठ होगा।
प्रस्तावित ट्रस्ट समाज के सर्वहारा वर्ग की प्रतिभाशाली कन्याओं का योग्यतानुसार चयन कर उन्हें समस्त सहायता प्रदान करेगा। अंततः उनकी प्रतिभाओं को निखारने के सद्प्रयास किए जाएँगे।
निश्चय ही उपरोक्त संस्थान शिक्षा एवं संस्कृ ति के उच्चतम सोपानों को स्पर्श कर देश, जाति एवं धर्म की उन्नति में सहायक होगा।
आपसे सविनय निवेदन है, इस कन्या शिक्षण संस्था की अभिनव योजना में अधिक से अधिक सहयोग कर इस योजना के क्रियान्वयन में सहभागी बनें एवं विद्या दान का पुण्यार्जन कर लाभ प्राप्त करें।
इस योजना क्रियान्वयन हेतु निम्न विवरण अनुसार विभिन्न भवनों के निर्माण एवं अनुमानित लागत प्रस्तावित है।
भूमि
कन्या शाला कक्षा १२वीं तक, हेतु २२ एकड़ तथा उच्च शिक्षा हेतु २० एकड़ अतः कुल ४२ एकड़ भूमि प्रस्तावित है। यह भूमि दयोदय एवं मढ़ियाजी तीर्थ से अधिकतम ३ कि.मी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है।
सड़क एवं जल निकास
इस भूमि पर चहारदीवारी, भव्य प्रवेश द्वार, सुव्यवस्थित प्रकाश/जल प्रदाय वितरण व्यवस्था, सामाजिक वानिकी इत्यादि विकास कार्य प्रस्तावित हैं। प्रमुख निर्माण कार्य योजना के प्रथम चरण में कक्षा ६वीं से १२वीं तक शिक्षण व्यवस्था हेतु प्रति वर्ष १२० कन्याओं की प्रवेश की व्यवस्था है एवं इस हेतु शिक्षण भवन, छात्रावासी शिक्षक निवास, रंगमंच, भोजनालय, क्रीडांगन, प्रयोगशालाएँ इत्यादि का जैन वास्तु कला एवं दर्शन पर आधारित पुरातत्वस्वरूप में निर्मित होना प्रस्तावित है। प्रमुख भवन निम्नानुसार अनुमानित हैं
शिक्षण भवन | ७५,००० वर्ग फुट |
छात्रावास | १,१६,००० वर्ग फुट |
भोजनशाला इत्यादि | २३,००० वर्ग फुट |
आवासीय | ३०,००० वर्ग फुट |
अन्य | ८५०० वर्ग फुट |
कुल | २,५३,००० वर्ग फुट |
उपरोक्त योजना हेतु निम्न व्यय अनुमानित है
मद | लाख रुपए |
भूमि क्रय | २५० |
भूमि विकास | ४५ |
निर्माण | ८८५ |
संसाधन | २०० |
अन्य व्यय | १०० |
कन्या प्रतिभा पोषण | १५० |
कार्यकारी पूँजी | १०० |
कुल | १७,३०० लाख रुपए |
दयोदय तीर्थ आचार्य श्री के शुभ आशीर्वादयुक्त इस अभिनव कन्या शिक्षण योजना का सहभागी बनने हेतु कृत संकल्पित है। अहिंसा के परम पुजारी आचार्य श्री के कन्या शिक्षण एवं सांस्कृतिक उत्थान के पुनीत भावों सहित ‘दयोदय तीर्थ’ इस वृहत शैक्षणिक एवं सामाजिक कल्याणकारी यज्ञ की भाव समिधा प्रतीक स्वरूप आपका सहयोग एवं उपस्थिति का विनीत निवेदन करता है।
प्रतिभास्थली शिक्षा-जगत में आचार्य श्री विद्यासागरजी मुनि महाराज के वात्सल्य और दीर्घदृष्टि से आपूर्त्य मार्गदर्शन की परिणति है। यह एक ऐसा सावास शिक्षा संस्थान है, जहाँ प्राचीन एवं नव्य आध्यात्मिक विरासत एवं वैज्ञानिक उपलब्धि के समन्वय को व्यक्त करने वाली छात्राओं के सर्वतोभद्र व्यक्तित्व का विकास होना है। केंद्रीय पाठ्यक्रम पर आधारित अँग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जानी है।
यहाँ भारतीय संस्कृति, व्यवहारिक जीवन, चरित्र निर्माण, आत्मविश्वास व स्वावलंबन की शिक्षा पर विशेष बल दिया जाना है। बालिकाओं के शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक विकास के साथ उनमें एकाग्रता, संप्रेषण, सृजनात्मकता, संवेदनशीलता का भी विकास किया जाएगा। ज्ञानोदय विद्यापीठ गुरुकुल परम्परा का पोषक, नवीनता में प्राचीनता की झलक लिए शिक्षा का अनुपम संस्थान है।
हमारा आदर्श
”मनुजो मानवो भूयात्। भारतः प्रतिभारतः॥”
मनुष्य सच्चे अर्थों में मानव बने। भारत सम्यक ज्ञान रूपी आभा में निमग्न हो।
जन्म से बालक असभ्य व असामाजिक होता है, परंतु शिक्षा उसकी चेतना को जागृत कर मानव बनाती है। उसमें संस्कार और सुरुचि के अंकुरों का पालन करती है। शिक्षा मानव को अनाश्रितता और अधीनता से ऊपर उठाकर स्वावलंबी बनाती है, जिससे वह दूसरों को भी संस्कारित कर सके। इन्हीं उच्च आदर्शों को अपना लक्ष्य बनाकर प्रतिभास्थली संकल्पित है।
उद्देश्य
• भारतीय संस्कृति के अनुरूप आदर्श नारी के द्वारा समाज की सात्विक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करना।
• संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन करना।
• कन्याओं के व्यक्तित्व का सर्वांगीण सर्वतोभद्र विकास करना।
• गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराना।
• कन्याओं को प्रतिकूलताओं के साथ संघर्ष करने तथा परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में दक्ष करना।
• कन्याओं को अनाश्रितता व अधीनता से ऊपर उठाकर स्वावलंबी बनाना।
• नारी को अपने उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक बनाना।
• शिक्षा को व्यवहारिक व जीवनोपयोगी बनाना।
• राष्ट्रीय एकता, अखंडता एवं देश के प्रति संवेदनशील बनाना।
स्थान
प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ नर्मदा के मनोरम तट पर अंकुरित हो रही है। शहर के कोलाहल से दूर प्राकृतिक वातावरण के बीच में २२ एकड़ तक इसका फैलाव है। यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य एकाग्रता से पढ़ने और आत्मिक विकास में सहायक बनेगा। प्रकृति के बीच प्राकृतिक रूप से विकसित होने का यह एक अनुपम अवसर है।
आवास व भोजन व्यवस्था
‘घर से घर की ओर’
किसी भी भवन का निर्माण ईंट, सीमेंट, स्टील, छैनी और हथौड़े से हो सकता है लेकिन शिक्षा के लिए विद्यालय की आवश्यकता है जिसमें भारत के भविष्य का निर्माण हो सके। इन्हीं उद्देश्यों को केंद्रीभूत करते हुए प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ के विद्यालय तथा छात्रावास का निर्माण हो रहा है। इसके प्रत्येक कक्ष की रूपरेखा वास्तुशास्त्र और स्वास्थ्य विज्ञान के आधार पर की जा रही है।
जहाँ सद्भावनाओं के रस से आपूरित शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन से बालिकाओं के स्वास्थ्य, शरीर और स्वस्थ मन का विकास किया जाएगा।
शिक्षा व्यवस्था
हमें पढ़ाना नहीं अपितु चेतना को मोड़ देना है।
-पू. आचार्य श्री
ज्ञानोदय विद्यापीठ में सर्वांग-संपूर्ण शिक्षा की दृष्टि से विशिष्ट शिक्षा योजना का निर्माण किया है, इस शिक्षा के मुख्य अंग- बौद्धिक, नैतिक, चारित्रिक, शारीरिक, व्यवहारिक और संवेदनात्मक विकास है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक एक दीप है, जो स्वयं जलकर अपने चारों ओर प्रकाश करता है। ज्ञानोदय-विद्यापीठ की महती शिक्षण योजना में अपनी सक्रिय सहभागिता प्रतिपादित करने के लिए प्रतिभा मंडल की ब्रह्मचारिणी सुशिक्षित बी.एड. अर्हता प्राप्त बहनें संकल्पबद्ध हैं। यहाँ की शिक्षिकाएँ संस्था में कार्यरत नहीं अपितु संस्था की होकर कार्य करेंगी। प्रतिभास्थली में अध्ययन-अध्यापन व विकास के लिए उनका पूरा जीवन समर्पित है। केवल अँग्रेजी भाषा के अध्ययन से अपनी संस्कृति से दूर जाती पीढ़ी को यहाँ तीन भाषाओं के माध्यम से शिक्षा दी जानी है। यहाँ बालिकाएँ संस्कृत भाषा के अध्ययन से अपनी प्राचीन संस्कृति की पहचान करेंगी। राष्ट्रभाषा हिंदी का अध्ययन तथा हिंदी माध्यम, उसे भारत के वर्तमान से परिचित कराएगा तथा अँग्रेजी भाषा व अँग्रेजी माध्यम से अध्ययन करके बालिकाएँ विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र में अपना भविष्य सुदृढ़ कर सकेंगी।
यहाँ की बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति बालिकाओं की प्रतिभा के उन्नयन के लिए उन्मुक्त आकाश ही प्रदान नहीं करेगी, अपितु आत्मानुशासन की कला उन्हें अपने नीड़ में रहना और उसे सजाना-सँवारना भी सिखाएगी।
पाठ्य-सहगामी क्रियाएँ
बहुमुखी व्यक्तित्व को पूर्ण रूप से पल्लवित करने के लिए बालिकाओं के बौद्धिक विकास के साथ मानसिक, शारीरिक, संवेदनात्मक और कलात्मक विकास भी आवश्यक है। अतः पाठ्यक्रम केवल विभिन्न विषयों की किताबों के अध्ययन से पूर्ण नहीं होता, अपितु पाठ्य-सहभागी क्रियाएँ भी उसका एक अभिन्न अंग होती हैं। विभिन्न पाठ्य-सहगामी क्रियाएँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ की छवि में नया रंग भरती हैं।
पाक-कला
‘पाक-कला’ में निपुणता गृहिणी के जीवन का श्रृंगार है।
सात्विक अन्न से स्वस्थ शरीर और मन के निर्माण के उद्देश्य को लेकर विद्यापीठ में शुद्ध सात्विक तथा पौष्टिक भोजन बनाने की कला सिखाई जाएगी।
चित्रकला
अपनी संवेदनाओं को साकार रूप देने तथा शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए विद्यापीठ में रंगों के संयोजन व चित्रांकन की कला की शिक्षा दी जाएगी।
सिलाई-कढ़ाई
कुछ गुण कन्या में जन्मजात होते हैं। थोड़ा-सा प्रशिक्षण उस गुण में निखार लाता है। उपरोक्त कला भी ऐसी ही है, जिसे सीखना सहज है तथा यह कन्याओं को भविष्य में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
संगीत-नृत्य
ये कलाएँ बच्चों को मानसिक तनाव से मुक्त कर, स्फूर्त्य बनाती है। संगीत कला में गीत तथा ‘हारमोनियम’, केसियो, सारंगी तथा सितार बजाना सिखाया जाएगा। गायन में शास्त्रीय और सुगम संगीत दोनों का समावेश होगा।
हस्त-कला
हाथ का कौशल जब कम लागत में अनुपयोगी वस्तु को उपयोगी और सजावटी बनाता है, तब वह हस्तकला कहलाती है। यहाँ ऐसी ही हस्तकलाएँ बालिकाओं में आनंद के साथ आत्म-विश्वास को भी पोषित करेंगी।
खेलकूद
मानसिक और शारीरिक विकास के लिए खेलकूद अनिवार्य है। यह पाठ्यक्रम का ही एक अभिन्न अंग है। प्रतिभास्थली में विभिन्न इंडोर और आउटडोर गेम का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जैसे- खो-खो, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, टेबल-टेनिस, चेस, कैरम आदि।
केलीग्रॉफी
सुलेख कला पाठ्य-वस्तु को रोचक और आकर्षक बनाती है तथा पाठ्य वस्तु को अधिक प्रभावी बना देती है। यहाँ केलीग्रॉफी के माध्यम से सुलेख कला में बालिकाएँ पारंगत होंगी।
स्वास्थ्य व सुरक्षा
प्रतिभास्थली में बालिकाओं की सुरक्षा के लिए संपूर्ण प्रबंध किया गया है। वहाँ के स्वतंत्र वातावरण में वे सुरक्षित रहेंगी। २४ घंटे विश्वस्त सुरक्षागार्डों की यहाँ व्यवस्था है।
छात्रावास में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु एक आधुनिक सुविधायुक्त उपचार कक्ष की व्यवस्था है, जहाँ एक परिचारिका सदैव उपलब्ध रहेगी तथा समय-समय पर आवश्यकतानुसार विशेष डॉ. अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराएँगे। साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ वे प्राप्त कर सकेंगी।
मानस तरंग
प्रतिभास्थली में बालिकाओं के सांवेगिक व भावनात्मक विकास के लिए तथा स्वस्थ मनोरंजन हेतु एक अत्याधुनिक भवन तैयार किया जा रहा है, जिसमें बालिकाएँ नृत्य, नाटिका, संगीत व वादन कला का अभ्यास व प्रस्तुति करेंगी।
प्रयोगशाला
प्रयोग के बिना ज्ञान अधूरा है। विद्यापीठ में विज्ञान, गणित, भूगोल तथा पाक कला के अध्ययन के लिए प्रयोग सामग्रियों से सुसज्जित अत्याधुनिक प्रयोगशाला बनाई गई है। यहाँ बालिकाएँ प्रयोग करके सीखेंगी।
पुस्तकालय
जीवन में सबसे अच्छी मित्र किताबें होती हैं, जो अपनी प्राचीन संस्कृति तथा आधुनिक जगत से हमारा साक्षात्कार कराती हैं। ऐसी ही आकर्षक पुस्तकों का निलय प्रतिभास्थली में बनाया जा रहा है। यहाँ बालिकाओं में पढ़ने के प्रति रुचि का विकास किया जाएगा। यहाँ केवल पुस्तकों का ही संग्रह नहीं अपितु शिक्षाप्रद ऑडियो-वीडियो कैसेट का भी संग्रहालय उपलब्ध कराया जाएगा।
कम्प्यूटर शिक्षा
आधुनिक युग में कम्प्यूटर अनिवार्य हो गया है। यह हमारी गति व शक्ति को बहुगणित करता है। इसकी शिक्षा प्राप्त कर बालिकाएँ आज के कम्प्यूटर युग में अपना स्थान संरक्षित कर कम्प्यूटर उपलब्ध सेवाओं से लाभान्वित हो सकेंगी।
इंग्लिश स्पीकिंग
भाषा स्वयं ज्ञान नहीं अपितु ज्ञान प्राप्ति व ज्ञान संचरण का माध्यम है। वैश्वीकरण के युग में अँग्रेजी भाषा का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है। अतः बालिकाओं के लिए अत्याधुनिक इंग्लिश स्पीकिंग क्लासेस की विशेष सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध कराई जाएँगी।
संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में बालिकाएँ प्रतिभास्थली परिवार का अभिन्न अंग होंगी।
विद्यापीठ शुल्क विवरण
नं. | शुल्क की जानकारी | मासिक | वार्षिक (दस महीने) |
अ | प्रवेश शुल्क(आवेदन पत्र के साथ जमा कराएँ) | —- | १,०००/- रुपए |
ब | विद्यालय शुल्क | —- | — |
१ | खेल | ७५/- रुपए | — |
२ | पुस्तकालय | ५०/- रुपए | — |
३ | कम्प्यूटर | १५०/- रुपए | — |
४ | अन्य गतिविधियाँ और क्रियाकलाप | २२५/- रुपए | — |
कुल | — | ५०००/- रुपए | |
स | छात्रावास शुल्क | ||
१ | लांड्री | १००/- रुपए | |
२ | भोजन | १८००/- रुपए | |
३ | अन्य | ६००/- रुपए | |
कुल | २५००/- रुपए | ||
डेवलपमेंट चार्ज | ३००/- रुपए | २५०००/- रुपए | |
३०००/- रुपए | |||
द | सिक्युरिटी (वापसी योग्य) | १०००/- रुपए | १०००/- रुपए |
कुल रकम | ३५,०००/- रुपए | ||
शुल्क की किस्तें | |||
१ जुलाई | १२,५००/- रुपए | ||
१५ सितंबर | ०७,५००/- रुपए | ||
१ दिसंबर | ०७,५००/- रुपए | ||
१ फरवरी | ०७,५००/- रुपए |
कार्यालय
प्रतिभाशाली ज्ञानोदय विद्यापीठ
पुराने तिलवाड़ा घाट पुल के पास, तिलवाड़ा घाट, जबलपुर (मध्यप्रदेश)
सिटी ऑफिस- ३५०, गांधी गंज, जबलपुर- ४८२००२
website : http://pratibhasthali.org/
मो.- +91-9893718862, +91-9893718854 फोन- +91-761- 4918185
Website – www.jabalpur.pratibhasthali.org.in
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