डॉ. सम्पतकुमार सेठी
Mobile : 094330 55661, 093312 30654
आज के इस युग में मानव भौतिक सुखों की लालसा में पाश्चात्य सभ्यता में अग्रसर होते हुए अपने आपको व्यथित महसूस करता है। उसके मुख्यतः तीन कारण हैं – तन, मन, धन। अस्वस्थता (बीमारी), मानसिकता एवं अर्थ का आभाव। विश्व में अगणित विद्याएँ मानव जीवन को सफलता एवं विफलता देने में सहायक है। आदिब्रह्मा एवं नारायण श्री कृष्ण विश्व ने तमाम विद्याओं का ज्ञान प्रवचन तथा शास्त्रों के माध्यम से विश्व कल्याण हेतु संसार को दिया। भूखण्ड में दोषों को वास्तु के माध्यम से निवारण करने का, शरीर में होने वाले रोगों का उपचार औषधि के माध्यम से, ग्रहों का उपचार ज्योतिष के माध्यम से करने के लिये एवं मानसिक शांति के लिये योग शक्ति एवं धर्म मार्ग का निर्देश दिया है। ये सब उपचार करने के बाद भी हमें सुख स्मृद्धि शांति नहीं मिलती तो क्या हम शास्त्रों की रचनाओं को गलत मानेगें या शास्त्र के रचयिता को। न शास्त्र न शास्त्र की रचना गलत है कर्म सिद्धांत के अनुसार आपकी पूर्व अर्जित कर्मों से सुख दुःख आते रहते हैं। जब पुण्य कर्म का उदय आता है दुःखों को दूर करने में वास्तु शास्त्र, ज्योतिष, औषधि उपचार करने में निमित्त या सहायक बनते हैं।
हमने अपने भ्रमण काल में पाया है भूखण्ड के वास्तु दोष और गुण हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सुख समृद्धि शांति पाने के लिये वास्तु विज्ञान में अगणित जानकारियों का वर्णन मिलता है। कुछ जानकारियाँ बताने का प्रयास कर रहा हूँ – घर एक मन्दिर है उसका वातावरण सात्विक होना चाहिये। घर के अन्दर एवं बाहर सफाई बराबर करते रहना चाहिये। दीप, धूप, दान, धर्म होते रहना चाहिये। इन क्रियाओं से नकारात्मक ऊर्जाओं का शमन होता है। सकारात्मक ऊर्जाओं का आगमन होता है। भूमि का आकार आयताकार होना चाहिये। वर्गाकार नहीं। नारायण कृष्ण ने ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में (श्री कृष्ण. 103/57) विश्वकर्मा के प्रति कहा है – दीर्घे प्रस्थे समानंच, न कुर्य्यान्मन्दिरं बुधः. चतुरस्ते गृहे कारो, गृहिणां धननाशनम्। (ज्ञानवान व्यक्ति को चाहिये कि चौकोर घर में बास ना करें, ऐसे घर में धन का नाश होता है।
घर में जल देवता का स्थान उत्तर मध्य से ले कर पूर्व मध्य में रहना चाहिये। ईशान कोन की सन्धि की जगह व्यवहार में नहीं लानी चाहिये। अंडरग्राउंड टैंक, बोरिंग, कुआँ, स्वीमिंग पूल इन स्थानों को होने से भूखण्ड के मालिक को समृद्धि एवं सफलता देने में अति सहायक है। फ्लोर (फर्श) बनाते समय ढलान का विशेष ध्यान देना चाहिये ढलान पूर्व और उत्तर में होना सफलता का सूचक है। ओवरहेड टैंक (छत पर रखने वाली टंकी) का स्थान नैऋत्य के स्थान को छोड कर पश्चिम और दक्षिण में होनी चाहिये। भूखण्ड के पूर्वी अग्नि, दक्षिण मध्य, दक्षिणी नैऋत्य, पश्चिमी नैऋत्य, उत्तरी वायव्य ये सभी द्वार दूषित होते हैं इनसे बचना चाहिये। उत्तर ईशान के नजदीक, पूर्वी, दक्षिणी अग्नि, पश्चिमी वायव्य में मुख्य द्वार बनाना चाहिये। भूखण्ड के बाउण्ड्रीवॉल बनाते समय दक्षिण पश्चिम की बाउण्ड्रीवॉल मोटी और ऊँची हो एवं उत्तर पूर्व के बाउण्ड्रीवॉल पतली और नीची हो। बाउण्ड्रीवॉल पर नुकीले भाले, कटीले तार, छुभते हुए काँच नहीं लगाने चाहिये।
मुख्य द्वार पर मांगलिक चिह्नों का प्रयोग करना चाहिये। ईशान के नजदीक श्याम तुलसी और राम तुलसी के पौधे लगाने चाहिये। भूखण्ड में देव स्थान ईशान में होना चाहिये। रसोई घर (कीचन) अग्नि कोण में भी बनाया जा सकता है (कुछ विद्वानों का मत)। ट्रांसफार्मर, जेनेरेटर, इनवेटर, मेन स्वीच एवं अग्नि से संबंधित चीजें अग्नि कोण (साउथ ईस्ट) में लगाना चाहिये। उत्तरी मध्य से लेकर ईशान पूर्वी मध्य तक एवं नैऋत्य कोण पर कभी लेट्रीन नहीं बनाना चाहिये। सेप्टिक टैंकर के लिये वायव्य का कोण श्रेष्ठ है। भूखण्ड में मकान बनाते समय विशेष ध्यान देने का विषय है। उत्तर एवं पूर्व की तरफ जगह खाली छोडनी चाहिये एवं पश्चिम में कम जगह खाली छोडनी चाहिये। मकान की ऊँचाई देते समय दक्षिण पश्चिम साइड को ऊँचा करना चाहिये। साउथ वेस्ट का कोना 90 डिग्री में होना चाहिये। ईशान कोण 90 डिग्री से कम नहीं होना चाहिये बढा हुआ हो सकता है। बच्चों के पढने का एवं सोने का कमरा ईशान कोण में होना चाहिये। बच्चियों के सोने का कमरा वायव्य में होना चाहिये। घर के मुखिया का कमरा नैऋत्य कोण में होना चाहिये। निम्नलिखित बातों का ध्यान रखने में हमें पूर्ण विश्वास है आपके जीवन में सुखद अनुभूति प्राप्त होने के योग निश्चित बनेंगे। विद्वतजन हमारी त्रुटियों को अवगत कराते हुए हमारा ज्ञानवर्धन कराने में सहयोगी बनें।
– सम्पतकुमार सेठी कोलकाता
(साभार जैन मित्र साप्ताहिक)
Dear sir I am deepesh jain from belgaum Karnataka
I want to adopt a baby boy
So please do reply
Regards,
Deepesh jain
( +91 98440 61855 )
mere dukan ke andar west disha niche hai & east disha uper hai to mai kya karu?mera kapade ka dukan hai.