भोपाल के नज़दीक़, विदिशा जिले में स्थित दसवें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथाय जी के गर्भ, जन्म और तप कल्याणक विदिशा में सम्पन्न हुए थे । इस परम पावन धरा पर 7, जुलाई 2014 से प्रात: स्मरणीय सन्त शिरोमणी, अध्यात्म योगी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिन्द्राय महाराज ससंघ का वर्षायोग सानन्द चल रहा है । आचार्य महाराज के आशीर्वाद से अद्वितीय समवशरण मन्दिर का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रह है । सहस्त्र कूट जिनालय का निर्माण प्रगति पर है। इस धर्म क्षेत्र पर सन्तगणों के आहार के लिये चौका हेतु पर्याप्त कमरें हैं । अतिथि आवास, प्रवचन सभाग्रह, त्यागी- व्रतियों का रहवास और भोजनालय की समुचित व्यवस्था है ।
इस तीर्थक्षेत्र का परिपूर्ण निर्माण हो जाने पर जैन श्रमण-सँस्कृति के इतिहास में हज़ारों-हज़ार वर्षों तक जिन धर्म की महती धर्म-प्रभावना होती रहेगी । सन्त शिरोमणी 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ के दर्शनार्थ, आशीर्वाद और आशीर्वचन के लिये सभी श्रध्दालु सादर आमन्त्रित हैं। विदिशा देश के ह्रदय स्थल में है । बीना-भोपाल के बीच मुख्य रेल्वे स्टेशन है । भोपाल से वायुमार्ग-फ़्लाइट की सुविधा है ।
- फोटोगैलेरी