आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

क्षमावाणी – विविध विचार

क्षमावाणी – विविध विचार


मान माया मोह के वशीभूत अब तक मन रहा
आपका का कोमल ह्रदय द्वारा मेरे पीड़ित रहा

कभी कार्य से कभी वाक्य से
कभी भूल से या मजाक से
कभी मेल में कभी फ़ोन में
कुछ भी कहा हो आपसे

रखना नही दिल में कभी जो दर्द हमसे है मिला
जीवन वही है मित्र जिसमें होता दुःख का सिलसिला

आओ यह दुःख हम आज मेटें मांग कर तुमसे क्षमा
करते क्षमा हैं आपको और आपसे चाहें क्षमा

यह धर्म है उत्तम क्षमा का आया आज महान है
इस धर्म का पालन करो तो होता मित्र जहान है

————————————————————————————————————————–——————————————————————————–

कभी अनजाने मॆं तो कभी जान कर
कभी मान मॆं तो कभी शान मॆं
कभी हँसी मॆं तो कभी दुखी हो
कभी सामने तो कभी फ़ोन पर
कभी chat में तो कभी mail पर
जाने कितनी ही बार आपका ह्रदय हमारे द्वारा दुखित हुआ होगा,

अतः पर्वराज पर्युषण के इस पावन अवसर पर हम आपसे (जो कि करुणा के सागर हैं)
अपने सभी अपराधों हेतु क्षमा याचना करते हैं| कृपया हमें क्षमा प्रदान कर कृतार्थ करें|

———————————————————————————————————————————————————————————————————-

जाने – अनजाने में,
अपने वचन सुनाने में,
सुख्दुख आ जाने में,
कोई रस्हम निभाने में,
हमारी वाणी – किरिया से आपको पंहुचा हो गम,
तो क्षमा कहते हे हम…

———————————————————————————————————————————————————————————————————-

कषाय के आवेग में व्यक्ति विचार शून्य हो जाता है। और हिताहित का विवेक खोकर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। लकड़ी में लगने वाली आग जैसे दूसरों को जलाती ही है, पर स्वयं लकड़ी को भी जलाती है। इसी तरह क्रोध कषाय को समझ पर विजय पा लेना ही क्षमा धर्म है।

———————————————————————————————————————————————————————————————————-

किया हो जो द्वेष हम ने,
किया हो जो अपमान हम ने,
और झलका हो अहंकार,
हमारे वचन से,

पहुंचाया हो जो कष्ट आपको,
हम ने अपनी काया से,

हाथ जोङकर करते है क्षमा प्रार्थना,
हम तहे दिल से,

क्षमावणी के पावन अवसर पर,
मन, वचन, काया, से क्षमा याचना

———————————————————————————————————————————————————————————————————-

यूँ ही हर वर्ष क्षमा पर्व पर मै सबसे क्षमा मांगता हूँ लगता है एक दिन मे ही एक वर्ष का भार टालता हूँ सोचता हूँ हो जायेगा सभी जीवों की विराधना का पाप क्षय लेकिन मै ही जानता हूँ , दे सकता था कितने जीवों को अभय जब स्वयं अपने ही जीव को मै , अभय नही दे पाया जब अपने ही सहज स्वभाव मे रहना मुझे नही आया तो क्या मै उन नन्हे नन्हे प्राणियों से क्षमा मांगूं जिन्हें मारता हूँ नित्य ही , जब सोवूं और जब जागूं कैसे कहूं पृथ्वी से ,कि वो मुझको क्षमा करदे कैसे कहूँ मै इस जल से, कि वो मुझको क्षमा करदे कैसे कहूँ मै अग्नि से कि वो मुझको क्षमा कर दे कैसे कहूँ मै वायु से कि वो मुझको क्षमा करदे क्षमा कर दें वनस्पतियाँ , जिन्हें बेवजह उखाडा है क्षमा कर दें वो कीडे भी, जिन्हें कल धूप मे डाला है क्षमा कर दें वो कुत्ते भी, जिन्हें बेवजह डराया है क्षमा कर दें वो पशु पक्षी , जिनको दवाओं मे खाया है क्षमा कर दें सभी मानव , जिनका दिल रोज़ दुखाया है क्षमा कर दें सभी व्रतिजन , जो अनुचित लाभ उठाया है क्षमा कर दें सभी मुनिगण , विनय जिनकी न कर पाया क्षमा कर दें गुरु मेरे , जिनके कहने पे न चल पाया मैं बार गलती करके गुरुदेव के पास ही जाता हूँ गुरुदेव क्षमा की मूरत हैं मैं अनुचित लाभ उठाता हूँ गुरुवर ऐसा आशीष मिले , न दोष लगे व्रत चारित मे करुणा बरसाओ दयानिधि , मस्तक है आपके चरणों मे

———————————————————————————————————————————————————————————————————-

अनुभव आज अनाथ है,
बुद्धि आज बेहोश
पल पल बढता जा रहा,
कटु कषाय का कोष
शुन्य पड़ी है चेतना,
वाणी है लाचार
मन के राजा हो गए अहंकार ममकार,
मै भी इस परिवेश में
करता नित्य प्रमाद,
देकर के ‘उत्तम क्षमा’
दे अरिहंत प्रसाद ||

———————————————————————————————————————————————————————————————————-

इस छोटी सी जिन्दगी के, गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ, सब को अपना कह सकूँ, ऐसा ठिकाना चाहता हूँ, टूटे तारों को जोड़ कर, फिर आजमाना चाहता हूँ, बिछुड़े जनों से स्नेह का, मंदिर बनाना चाहता हूँ.

हर अन्धेरे घर मे फिर, दीपक जलाना चाहता हूँ, खुला आकाश मे हो घर मेरा, नही आशियाना चाहता हूँ, जो कुछ दिया खुदा ने, दूना लौटाना चाहता हूँ, जब तक रहे ये जिन्दगी, खुशियाँ लुटाना चाहता हूँ इसलिए आपसे चाहता हू मांगना क्षमा और करना क्षमा |

———————————————————————————————————————————————————————————————————-

रखना नही दिल में कभी जो दर्द हमसे है मिला
जीवन वही है मित्र जिसमें होता दुःख का सिलसिला

आओ यह दुःख हम आज मेटें मांग कर तुमसे क्षमा
करते क्षमा हैं आपको और आपसे चाहें क्षमा

यह धर्म है उत्तम क्षमा का आया आज महान है
इस धर्म का पालन करो तो होता मित्र जहान है

———————————————————————————————————————————————————————————————————-
छोटी सी जिंदगी, मनमुटाव किसलिए
रहती हैं दिलों में, दिवार किसलिए
हैं साथ कुछ दिनों का, फिर सब अलग अलग
राहों में हम बिछाये, फिर काँटे किसलिए
हम बहुत ध्यान रखते हैं की, कोई भूल न फिर भी
जाने में अनजाने में, अपने वचन सुनानें में
हसने और हसाने में, रिश्तो के अपनाने में
सुख दुःख के आजाने में, कोई रस्म निभाने में
आपको पहुँचा हो कोई गम
…………….. तो?
|| क्षमा चाहते हैं हम ||

प्रवचन वीडियो

कैलेंडर

september, 2024

चौदस 01st Sep, 202401st Sep, 2024

चौदस 11th Sep, 202411th Sep, 2024

चौदस 17th Sep, 202417th Sep, 2024

चौदस 25th Sep, 202425th Sep, 2024

X