समयसागर जी महाराज इस समय बिना बारह में हैं सुधासागर जी महाराज इस समय आगर में हैंयोगसागर जी महाराज का चातुर्मास नागपुर में मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज गुणायतन में हैंदुर्लभसागरजी जी महाराज एलोरा में विराजमान हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी अहमदाबाद में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर विनम्रसागरजी महाराज का चातुर्मास खजुराहो में

आचार्य महामुनि गाथा

श्रीमती सुशीला पाटनी
आर.के. हाऊस,
मदनगंज- किशनगढ़ (राज.)

आसीन हुए मुनिवर पद पर,

आचार्य – संघ के कहलाये।

मुनिवर विद्यासागर जैसे,

तब महासंत सबने पाये ।।1।।

नव पद पाया, नव भार मिला,

अब उनको धरम निभाना था।

जगत को देनी थी शिक्षायें,

खुद शिवपुर पथ पर जाना था।।2।।

उसी समय देखा जो सबने,

फैल गए अचरज से नयना।

जो गुरू थे वो नीचे बैठे,

उच्च आसन शिष्य का गहना।।3।।

सबने देखा गुरूवर उनसे,

हाथ जोड़ विनती करते थे।

श्रमण – धर्म की बात अनोखी,

गुरूवर स्वयं शिष्य बनते थे।।4।।

गुरूवर उनसे बोल रहे थे,

हे आचार्य शरण लें मुझको।

अन्त समय मेरा लगता है,

अभी सल्लेखना दें मुझको।।5।।

वीतराग की ऐसी महिमा,

कहाँ देखने मिल सकती है।

गुरू में इतनी विनयशीलता,

देख स्वयं श्रद्धा रूकती है।।6।।

देख वहाँ का दृश्य अनोखा,

सजल हुई लोगों की आँखे।

धन्य गुरू और शिष्य धन्य हैं,

करते थे वो सब यह बातें।।7।।

मुनिवर की विनती सुनकर के,

आचार्य यही सोच रहे थे।

कैसे दूँगा सम्बोधन मैं,

वह उपाय कुछ खोज रहे थे।।8।।

गुरूवर स्वयं महाज्ञानी हैं,

उनको क्या समझाऊँगा मैं ?

उनने ही हमको सिखलाया,

उनको क्या सिखलाऊँ मैं ?।।9।।

फिर जैसे कोई तेज स्वयं,

उनके चेहरे पर उभरा था।

कोई निश्चय किया उन्होंने,

जो आकर मन में ठहरा था।।10।।

पद – आचार्य निभाना होगा,

गुरू को कुछ बतलाना होगा।

मुक्ति पाना लक्ष्य है गुरू का,

मार्ग प्रशस्त बनाना होगा।।11।।

फिर धीरे व्रत आरंभ हुआ,

जो गुरूवर ने मान लिया था।

क्रम से देह – त्याग करना है,

यह गुरूवर ने ठान लिया था।।12।।

गुरू विद्या पल – पल ही उनका,

सारा ध्यान रखा करते थे।

गुरूवर की सेवा करने में,

पूरा समय दिया करते थे।।13।।

वात – व्याधि की पीड़ा गुरू को,

ज्यादा ही कष्ट दिया करती।

गुरू विद्या की सेवा उनको,

औषध-सा काम किया करती।।14।।

धीरे – धीरे गुरूवर ने तब,

अन्न – ग्रहण का त्याग किया था।

और अन्न के बाद उन्होंने,

छाछ-ग्रहण भी त्याग दिया था।।15।।

काय शिथिल होती थी उनकी,

आत्मबल और तेज बहुत था।

तन से मोह नहीं था उनको,

मोक्ष-प्राप्ति का ख्याल बहुत था।।16।।

सदा सजग रहते मुनि विद्या,

और सहारा देते गुरू को।

आहार – निहार कराने को,

सदा थाम लेते थे गुरू को।।17।।

ग्रन्थ पाठ कर धर्मध्यान का,

इक वातावरण बनाया था।

पाठ समाधिमरण का उनने,

गुरूवर को रोज सुनाया था।।18।।

बड़े सजग रहते थे मुनिवर,

और ध्यान से बातें सुनते।

पर वह केवल सुनते ना थे,

शास्त्रों की वह बातें गुनते।।19।।

बीच – बीच में गुरू विद्या भी,

पढ़ने में चूक किया करते।

गुरूवर कितने सजग यहाँ पर,

वह इसमें देख लिया करते।।20।।

 

प्रवचन वीडियो

2023 : विहार रूझान

मेरी भावना है कि संत शिरोमणि विद्यासागरजी महामुनिराज का विहार यहां होना चाहिए :




2
4
24
1
3
View Result

कैलेंडर

september, 2023

11sep(sep 11)3:19 pm(sep 11)3:19 pmपुष्य नक्षत्र तिथि

17sep(sep 17)11:02 am(sep 17)11:02 amआचार्यश्री शान्तिसागरजी की पुण्यतिथि

18sep(sep 18)11:03 am(sep 18)11:03 amरोट तीज

19sep(sep 19)11:03 am(sep 19)11:03 amदशलक्षण पर्व~१९ सितम्बर से २८ सितम्बर तक

23sep(sep 23)11:04 am(sep 23)11:04 amपुष्पदन्त भगवान मोक्ष कल्याणक

X