परम पूज्य महाराज 108 मुनिश्री क्षमासागरजी महाराज के अत्यन्त सारगर्भित प्रवचन
जितनी स्पष्टता से महाराजश्री ने सल्लेखना का वर्णन, प्रक्रिया आदि के साथ विवेचन किया है, आज के सन्दर्भ में जब जैन आगम की सल्लेखना पद्धति पर न्यायालय की गलत धारणाओं के कारण सल्लेखना/संथारा को आत्महत्या की संज्ञा दी गई है, इन प्रवचनों को सुनना, समझना और प्रचारित करना अति आवश्यक है।