जलाओ तो दीप जलाओ,
मत जलाओ किसी को,
करो तो अन्धकार दूर करो,
मत करो अन्धा किसी को,
हंसाओ तो सभी को हंसाओ,
मत रुलाओ किसी को,
बनाओ तो, शुभमय बनाओ अशुभ मत बनाओ,
दिवाली को।
श्री सुधासागर जी महाराज का आशीर्वाद
जो बम फोडे, मनुष्यों को मारे वह आतंकवादी है,
जो पटाखे फोडे जीवों को मारे वह- है?
पटाखे के धुएँ से प्रदुषण होता है, स्वास्थ्य खराब होता है,
रोगीजनों को बहुत कष्ट होता है।
पटाखों की आवाज से मनुष्य,
पशुपक्षी भयभीत होते हैं।
उनकी बद्दुआओं से क्यों अपना जीवन दुःखी करते हो।
हे मानव! देवता तुम तो दयालु हो, समझदार हो,
फिर दिवाली पवित्र त्योहार पर पटाखे से हिंसा क्यों करते हो?
पटाखे फोड प्रदुषण करने वाले की अपेक्षा,
प्रदुषण नहीं करने वाले श्रेष्ठ लोगों की नकल कर महान बनना
श्रेष्ठ है।
क्या आप अपने शौक को पूरा करने के लिये मुँह में या हाथों की
मुट्ठियों में रखकर पटाखे फोड सकते हैं? नहीं ना क्योंकि जल
जायेंगे। फिर छोटे-छोटे जीवों के साथ अन्याय
क्यों?
हम पशु होकर के भी मनोरंजन के लिये किसी प्राणी को मारते
नहीं हैं।
पूर्व के पुण्य कर्म से स्वस्थ शरीर मिला है पटाखों से यदि कोई
अंग खराब हो गया तो? क्या पुनः मिल सकेगा?
पटाखे से मेहनत की कमाई बर्बाद होती है,
उन पैसें से किसी गरीब का इलाज, गरीब को शिक्षा,
त्योहार पर मिठाई का वितरण कर, एक अच्छे इंसान क्यों नहीं बनते?
हर वर्ष पटाखों से कई जगह पर अग्नि लग जाती है,
कई जन मर जाते हैं। क्या आपको पता है इस वर्ष किसका नम्बर है?
आतिशबाजी से पर्यावरण, धन, जन, स्वच्छता, स्वास्थ्य, शांति,
धर्म, श्रद्धा, समर्पण, विवेक, बुद्धि की हानि कौन समझदार करेगा?
सच्चा श्रद्धालु वही है जो अपने भगवान, गुरु की आज्ञा को
पूर्णतः पालन करता है।
जब तुम किसी मरे को जिन्दा नहीं कर सकते,
तो मारने का क्या अधिकार है?
प्रभु महावीर का सन्देश जियो और जीने दो,
आतिशबाजी कहती है, मरो और मारने दो।
अपने नगर, प्रदेश, देश, विश्व को स्वच्छ सुन्दर, अच्छे से अच्छा
बनाने के लिये हमे सबके साथ मिलकर कार्य करना होगा।
भगवान उनसे प्रेम करता है जो उनके उपदेशों का पालन करता है।
क्या भगवान ने पटाखे फोडने का उपदेश दिया है?
जो गलती कर न सुधरे वह हैवान कहलाता है, जो गलती पर
गलती करे वह शैतान और जो गलती कर सुधर जावे वह इंसान
कहलाता है और जो गलती ही न करे वह महान कहलाता है।
दीपावली एक पवित्र त्योहार है,
पटाखे फोडकर इसे अपवित्र मत करो।
यह पृथ्वी सूक्ष्म और बडे जीवों के कारण बनी हुई है,
अतः प्रत्येक प्राणी को जीने का अधिकार है।
यदि तुम स्वस्थ, सुन्दर आनन्दमय सुखी जीवन जीना चाहते हो, तो अपने कार्यों
से किसी भी जीव का घात न हो, ध्यान रखो।
प्रत्येक जीवात्मा शक्तिरूप से समान है, इस प्रकृति में सभी का सहयोग,
सभी जीव जीना चाहते हैं और मरने से डरते हैं।
मैं मानता हूँ तुम समझदार हो, पटाखे फ़ोडकर भगवान को नाराज नहीं करोगे।
प्रातःकाल महावीर स्वामी मोक्ष गये
शिष्य गौतम गणधर ने
प्रभुवाणी पर विचार किया
शुभकामनाओं से नहीं
शुभ शुद्ध पुण्य कार्य करने से
जीवन मंगलमय कल्याणमय बनता है
तब प्रभु आज्ञापालन में ऐसे दत्तचित्त हुए कि
सायंकाल केवलज्ञान ज्योति प्रगट हुई
प्रकाशित हुआ जग मग सर्वत्र
हर्षित देव मनुष्यों ने
सर्वज्ञ द्वय प्रभु की
केवलज्ञान ज्योति के उपकारों के प्रति
श्रद्धा भक्ति समर्पण में
दीप मालिका प्रकाशित कर बताया जगत को
ऐसा ज्ञान प्रकाश प्रगट करो
जो मिटाये सभी के अज्ञान अन्धकार
जो बताये सत्य अहिंसा से
सुखी बने सारा संसार
संकलन-
सुशीला पाटनी
आर. के. हाउस
मदनगंज- किशनगढ
Nice poetry with great meaning.