जो अपने जीवन में मांस, अंडे एवं शराब का सेवन नहीं करता है।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो बाजार की केक एवं पेस्ट्री कभी नहीं खाता (क्योंकि उसमें अंडे का रस मिला होता है)।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो बाजार में मिलने वाले अचार एवं मुरब्बे आदि का सेवन नहीं करता, क्योंकि वह क्लोस्ट्रिडियम, बाटुलिनम नामक जीवाणु द्वारा विषाक्त हो जाता है। इन जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न विष इतना तीव्र होता है कि लगभग एक चम्मच जीवाणु से संसार के समस्त जीव समाप्त हो सकते हैं।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो चाँदी के वर्क को किसी भी (मिठाई एवं सुपारी आदि के) माध्यम से नहीं खाता (क्योंकि उसे चमड़े में रखकर कूटा जाता है)
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो पान मसाला एवं गुटखा आदि खाकर कैंसर को आह्वान नहीं करता (क्योंकि गुटखे में छिपकली का पावडर पीसकर मिलाया जाता है, अतः इसे स्लो पाइजन समझकर छोड़ देता है)।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो लिपस्टिक, नेल पॉलिश एवं एग शैम्पू का प्रयोग नहीं करता (क्योंकि इनमें बंदर, खरगोश एवं गाय आदि का रक्त व शैम्पू में अंडे का रस मिलाया जाता है)।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो टूथपेस्ट से दाँत साफ नहीं करता (क्योंकि इसमें हड्डियों का चूरा मिला होता है)।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो सुगंधित साबुन (चर्बी युक्त होते हैं) का प्रयोग नहीं करता।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो कंपनी की बाजारू आइस्क्रीम नहीं खाता (क्योंकि इसमें गाय के थन, नथुने एवं गुदा का मांस मिलाया जाता है।)
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो रेशमी वस्त्रों का उपयोग नहीं करता (क्योंकि एक मीटर रेशमी वस्त्र बनाने में १५०० से ज्यादा रेशम के कीड़ों को उबाला जाता है)
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जिसके लिए रात्रि भोजन करना मांस खाने के समान दोषकारी है।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो चमड़े के जूते, चप्पल, लेदर बेल्ट एवं पर्स का उपयोग नहीं करता है।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जो बाजार की सामग्री के पैकेट में हरे निशान वाली सामग्री को स्वीकारता है, क्योंकि वह शाकाहारी है।
…वह अहिंसक व्यक्ति है।
जैन-दर्शन के अनुसार सूक्ष्म से सूक्ष्म हिंसा से बचाने वाला व्यक्ति भी अहिंसक है।