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प्रवचन : आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज; (डोंगरगढ़) {1 जनवरी 2018}

मंदिर के कार्यभार को भार न समझें, आभार समझें – आचार्यश्री

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने दोपहर के प्रवचन में कहा कि चंद्रगिरि में दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिभास्थली छात्रावास का शिलान्यास, सहस्त्रकूट जिनालय का शिलान्यास एवं मूलनायक चंद्रप्रभ भगवान के मंदिर के गर्भगृह की चाबी रखने का कार्य सानंद संपन्न हुआ।

Vidyasagar ji Maharaj

आचार्यश्री ने कहा कि चंद्रगिरि के मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है और डोम का निर्माण भी काफी मेहनत और विवेकपूर्ण तरीके से किया गया है। हमने पहले चंद्रगिरि में चातुर्मास किया फिर यहाँ से विहार कर जगदलपुर गए थे जहाँ बुंदेलखंड के काफी लोग मिले पहले यह मध्यप्रदेश का ही एक हिस्सा था परन्तु विभाजन उपरांत आज छत्तीसगढ़ में है यह क्षेत्र हरियाली और खनिजों से संपन्न है यहाँ के लोग खेती का कार्य ज्यादा करते हैं और काफी घने जंगल होने के कारण लोग दिन में भी जाने से वहाँ डरते हैं वहाँ आने और जाने का रास्ता भी एक ही है फिर भी वहाँ के लोगों की भक्ति प्रसंसनीय है।

रामटेक से हम डोंगरगांव पंच कल्याणक महोत्सव के लिए आये थे तो दुसरे दिन ही जगदलपुर की कमेटी के द्वारा वही सारी की सारी चर्चा कर पंच कल्याणक की घोषणा हो गयी और संघ के पांच मुनिराजों के द्वारा वहाँ का पंच कल्याणक भी सानंद संपन्न हो गया। यह क्षेत्र एक तरफ उड़ीसा, एक तरफ मध्य प्रदेश और कुछ दूरी पर आन्ध्र प्रदेश लगा हुआ है जिससे आस पास के लोगों ने भी वहाँ इस महोत्सव से धर्म लाभ लिया। हमारा चंद्रगिरि आने का प्रोग्राम नहीं था लेकिन आ गए और योग से बहुत से कार्यों की शुरुआत हो गई। यहाँ की कमेटी के प्रबंधकों ने जो बीड़ा अपने कन्धों पर उठाया है उसे वे भार न समझें आभार समझें और सहर्ष स्वीकारें यह अवसर हर किसी को नहीं मिलता इसके लिए तन, मन और धन से आपको सहयोग करना होगा तब जाकर यह कार्य पूर्ण होगा।

कार्य की शुरुआत तो अच्छी हो गयी है अब इसे पूर्ण कराना आपका कर्त्तव्य है इसलिए यहाँ के कार्य को दो भागों में विभाजित किया गया है जिससे दोनों कार्यों की गति में प्रभाव न पड़े। आप लोग सब एक साथ ही हो, सभी कार्य एक दुसरे के सहयोग से ही संभव हो पाता है। हमने कई रंगों के फूल देखे हैं लाल, नीला, सफ़ेद लेकिन आज चंद्रगिरि में हल्दी सम पीले रंग का फूल पहली बार देखा है वो भी बिजोलिये पाषाण का जो कि अपने आप में एक अद्भुत कलाकृति है जिसे आने वाले समय में आप लोग देखेंगे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा और यह अँधेरे में भी चमकेगा जिससे इसकी सुन्दरता और बढ़ जायेगी। चंद्रगिरि की कमेटी के प्रबंधकों ने तन, मन और धन से मेहनत कर इस कार्य को यहाँ तक लाया है जो प्रशंसनीय है।

बाहर से आये संदीप जैन, पंकज जैन, विनोद जैन, राजा भईया सूरत वाले, गुरु कृपा परिवार रायपुर, जगदलपुर कमेटी आदि का चंद्रगिरि ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा उन्हें तिलक लगाकर एवं श्रीफल, शील्ड आदि भेंट कर उनका अभिनन्दन किया। यह जानकारी चंद्रगिरि डोंगरगढ़ से निशांत जैन (निशु) ने दी है।

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