आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

आचार्य विद्यासागर जी (23-3-2012 से 1-4-2012)

आचार्य श्री चलते फिरते तीर्थ हैं – प्रदीप “आदित्य ”  (1-4-2012)

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने ग्रीष्मकालीन वाचना कलश स्थापना समारोह में धर्म सभा में कहा की अहिंसा के लिए प्रयासरत रहना चाहिए उन्होंने राजस्थान के गंगापुर की एक घटना सुनाई और कहा की आप लोगों को जैसे शादी की पत्रिका बांटते है वैसे ही अहिंसा के प्रचार के कार्ड बांटने चाहिए ! आज लोग भोजन खड़े – खड़े और जूते – चप्पल पहन कर करने लगे हैं यह संस्कृति ठीक नहीं है ! उन्होंने कहा की महावीर जयंती 04 अप्रैल को है आप आयेंगे ही !
आज केंद्रीय ग्रामीण राज्य  मंत्री प्रदीप जैन “आदित्य” भी कार्यक्रम में शामिल हुए  एवं कलश स्थापित किया ! उन्होंने कहा “आचार्य श्री चलते – फिरते तीर्थ हैं”! आचार्य श्री ललितपुर झाँसी बुंदेलखंड बहुत दिनों से नहीं आयें हैं ! आप लोगों के छत्तीसगढ़ में हैं, आप पुण्यशाली हैं ! आज का संचालन छत्तीसगढ़ी में हुआ ! आज छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज दिवाकर जी भी पधारे ! दूसरे कलश का सौभाग्य श्री विनोद जैन बिलासपुर  कोयला  वाले को तथा तीसरे का चंद्रगिरी कमिटी को मिला !

भगवती आराधना – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज (31-3-2012)

यह भगवती आराधना ग्रन्थ पूज्य आचार्य शिवकोटि (शिवार्थ) नामक महातपस्वी, महामनीषी, सिद्धांत कुशल निर्यापक आचार्य द्वारा हजार वर्ष पहले लिखा गया है जिसकी टिका विस्तार से वर्णन आचार्य अपराजित सूरी ने की है इसमें 40 अधिकार है ! यह सलेखना समाधिमरण मृत्यु महोत्सव को धारण करने में सहायक महा ग्रन्थ है ! दुनिया जहाँ जन्म महोत्सव को मानाने में लगी रहती है वहीँ जैन धर्म के अंतर्गत मृत्यु महोत्सव को मानाने की प्रेरणा देने वाला यह ग्रन्थ भगवती आराधना आत्मा को परमात्मा बनाने की ओर ले जाने वाला मील का पत्थर है ! जिस प्रकार घर में आग लग जाने पर बुझाने का प्रयास फ़ैल हो जाने पर समझदार व्यक्ति अपनी पूरी रकम, जेवर आदि बहुमूल्य वस्तु पहले निकालने का प्रयास करता है उसी प्रकार इस शरीर रूपी मकान में जब असाध्य रोग विपत्ति रूपी आग लग जाती है और उसे बचाने का प्रयास विफल होने पर आत्मा की उन्नति के स्वेक्षा से उत्साह पूर्वक काय व कषाय को धीरे – धीरे कृश किया जाता है ! जीवन रूपी मंदिर में साधना रूपी शिखर का निर्माण हो गया है, उस शिखर में यदि कलश नहीं लगाया तोह मंदिर अपूर्ण है ! यह सलेखना उस कलश के समान है संसार के सब भव्य जीवों को यह सौभाग्य प्राप्त हो यही मंगल कामना आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के मुखारबिंद से प्रथम बार झर रही अमृत वाणी इस ग्रन्थ के स्वाध्याय वाचन के रूप में हम छत्तीसगढ़ वासियों को मिल रही है परम सौभाग्य है आप सभी लाभ लेवें !
दिनांक 01 अप्रैल 2012 को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की ग्रीष्मकालीन वाचना की कलश स्थापना है एवं 04 अप्रैल 2012 को महावीर जयंती का त्यौहार चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में मनाया जाएगा |


आराधना ही मुख्य  होती है  (26-3-2012)

 

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म कालीन वाचना में रविवारीय प्रवचन में भगवती आराधना ग्रन्थ का वाचन करते हुए दिगम्बर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की रस्सी के द्वारा पत्थर पर भी निशान पड़ जाते है ! जिसको नृत्य करना आता है वह भगवान् के सामने नृत्य करके भी कर्म काट सकता है ! जिनेन्द्र भगवान् की स्तुति से भुत प्रेत बाधा, दुःख, मनोगत बीमारियाँ आदि दूर हो जाती है !
सभी का पुण्य योग है की इस प्रकार के ग्रन्थ को सुन रहे है ! अपराजित सूरी आचार्य के द्वारा सूचित किया गया है की णमोकार मंत्र का प्रथम पद यह मंगलाचरण गणधर देवों के द्वारा कहा है ऐसा  अभिप्राय है ! मोहनिय कर्म के नष्ट हो जाने से तथा ज्ञानावरण और दर्शनावरण के चले जाने से जो अतिशय युक्त पूजा के भाजन है यह अर्थ अरहंत पद से वहां कहा गया है क्योंकि अरहंत यह नाम सार्थक है ! जगत प्रसिद्ध यह पद अर्हन्तों का विशेषण है ! क्योंकि ये पाँच महा  कल्याणक स्थानों में तीनो लोको के द्वारा प्रख्यात होते है !
आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का पड्गाहन एवं आहार दान का सौभाग्य चंद्रगिरी के कोषाद्यक्ष श्री सुभाष चन्द्र जैन और उनके सुपुत्र निशांत जैन (निशु) को मिला ! इस उपलक्ष्य में चंद्रगिरी में बनने वाली अस्ट धातु की चौबीसी में 21 वीं  प्रतिमा  विराजमान करने का सौभाग्य भी इन्हें आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से मिला !
आज चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में बाहर से आये मुख्य अतिथि श्री निर्मल पाटोदी और उनके सुपुत्र श्री अर्पित पाटोदी ने आचार्य श्री को श्रीफल भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया ! राजनंदगांव,दुर्ग , भिलाई, रायपुर , भाटापारा , धमतरी , इंदौर , दिल्ली , मुंबई , एवं समस्त भारत से आये दर्शनार्थियों ने यहाँ धर्म लाभ लिया !

भगवती आराधना सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है !  (23-3-2012)

भगवती आराधना ग्रिस्म्कालिन वाचना का आरम्भ भगवती आराधना ग्रन्थ ग्रन्थ से हुआ यह ग्रन्थ प्रथम बार मुनि संघ एवं श्रावको को सर्वश्रेष्ठ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के श्रीमुख से सुनने को मिलेगा ! इस ग्रन्थ को सुनकर मुनि संघ को भी आनंद का अनुभव हो रहा है ! यह ग्रन्थ आचार्य श्री विद्यासागर जी ने आचार्य श्री ज्ञान सागर जी की संलेखना के समय पढ़ा था ! यह ग्रन्थ बहुत प्राचीन ग्रन्थ है ! आचार्य समन्तभद्र और उनके समकालीन आचार्यों के बराबर मन जाता है !

इसके ऊपर टिका लिखी गयी है ! अणित गति आचार्य के द्वारा उसका नाम भगवती रखा है ! इसके ऊपर एक और टिका है पंडित आशाधर जी ने सागार, अनगार, धर्मामृत लिखी है !

सम्यग दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप को चार आराधना कहते है ! यह विज्योदय टिका है ! जो अपराजित सूरी के द्वारा रचित है ! इसमें संलेखना (समाधी मरण ) का विस्तृत विवरण है ! आचार्य श्री ने कहा की भगवती आराधना सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है !

प्रवचन वीडियो

कैलेंडर

may, 2024

अष्टमी 01st May, 202401st May, 2024

चौदस 07th May, 202407th May, 2024

अष्टमी 15th May, 202415th May, 2024

चौदस 22nd May, 202422nd May, 2024

अष्टमी 31st May, 202431st May, 2024

X