आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

सुपार्श्वमती की संलेखना आदर्श है

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में आयोजित श्रधांजलि सभा में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की “आयु का पूर्ण होना ही मरण है” यह सिद्धांत प्रमाणिक है ! आयु के निमित से जीवन लीला दिखती है इसके अभाव में रिक्त स्थान दीखता है इस सिधांत को सम्यक द्रिस्टी साधक, साध्वी महसूस करते हैं ! सयमी की द्रिस्टी एक – एक स्वास के ऊपर बनी रहती है ! सही कायोत्सर्ग वही है स्वास हो निःस्वास हो ! आप नाडी की पकड़न देखते हैं जीवन के शुरुआत से अंत तक वह रूकती नहीं है ! आप रुक सकते हैं वह नहीं रूकती है ! जीवन क्या है यह नहीं पूछो जीवन कहाँ चला गया यह पूछने का विषय है ! जिन विदुषी आर्यिका की (सुपार्श्वमती जी ) चर्चा चल रही है ! जब हम गुरूजी आचार्य  ज्ञानसागर जी के पास बैठे थे तो एक पत्रिका में संस्कृत में रचना को देख रहे थे गुरुदेव ने कहा यह हमारे पास पढती थी अब लिखना चालू कर रही है प्रमेय कमल मार्तंड जैसे ग्रंथों का स्वाध्याय  करवाया था आर्यिका ने सुनाया था की ज्ञानसागर जी कहते थे की जहाँ विस्वंद  होता है वहां असत्य अवश्य रहता है! न्याय ग्रंथों का अध्यापन  करना कठिन होता है गुरुदेव ने कठिन ग्रंथों का स्वाध्याय कराया इन कठिन ग्रंथों का स्वाध्याय करने का श्रेय जाता है तो वह आचार्य श्री ज्ञानसागर जी को जाता है ! अध्यात्म का आश्रय जरुरी होता है साधक को !
आर्यिका बिनावारह में सन 2005 में आई थी जयपुर जा रही थी उन्होंने सचेत अवस्था में इस शरीर का त्याग किया है ! शरीर का विघटन किया है ! इस भगवती आराधना ग्रन्थ में भी संलेखना का विषय चल रहा है ! आप लोग भी पहले से तयार रहे स्टेशन पर जाईये और टिकेट लीजिये और बैठ जाइये ! बिनाबारह में 2010 में उनकी संघस्थ ब्रह्मचारिणी आयीं थी चर्चा की थी ! वह महिला वर्ग के लिए आदर्श थीं ! पंडित मूलचंद लुहाडिया ने कहा की आर्यिका श्री सुपार्श्वमती  माता जी की विगत दिनों से संलेखना चल रही थी! कल प्रातः 09 :35 पर संलेखना हो गयी है ! वह आदर्श साध्वी थीं !  उन्होंने शलोक वाटिका आदि ग्रन्थ का अनुवाद किया है ! चंद्रगिरी कमिटी ने भी विनयांजलि दी ! यह जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ से निशांत जैन (निशु) ने दी है !

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