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प्रवचन : आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज : (नेमावर) {21 जुलाई 2019}

  • जितना पसीना बहाएंगे, सीना उतना ही तनेगा : आचार्यश्री विद्यासागरजी
  • सुख पाना चाहते हो, तो मोबाइल, लैपटॉप, फास्ट फूड जैसी चीजों को छोड़ो : मुनिश्री निरोगसागरजी

नेमावर (सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र) की पावन धरा पर आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का यह तीसरा चातुर्मास है। यह पावन भूमि साढ़े पांच करोड़ मुनिराजों की मोक्षस्थली है। यह शाश्वत भूमि है, यहां का कण-कण पवित्र है। इस पावन भूमि पर जिसके भी चरण पड़ते हैं, वह स्वयं पावन हो जाता है। उक्त विचार आचार्यश्री के संघस्थ मुनि निरोगसागरजी ने रविवारीय प्रवचन के दौरान रखे।

मुनिश्री ने कहा कि हर व्यक्ति सुखी होना चाहता है, पर कार्य दुखी होने के करता है। सुख पाना चाहते हैं तो मोबाइल, लैपटॉप, फास्ट फूड जैसी चीजों का त्याग करना होगा। जो गुरु की ध्वनि और वाणी को पा लेगा, गुरु के वचनों को अपनाकर अक्षरशः पालन कर लेगा, वह इंसान जीवन में सफल और सुखी होगा। मुनिश्री ने कहा कि भक्ति अंधी होना चाहिए। साधुओं की संगति से हम संत बने या ना बने पर संतोषी अवश्य बन सकते हैं। सारे धर्मों का मूल भी गुरु भक्ति ही है। सच्चे मन और सच्ची श्रद्धा से की गई गुरुभक्ति से सारे प्रतिकूल कर्म भी अनुकूल बन जाते हैं।

इस अवसर पर सभागृह में उपस्थित श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देते हुए आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि हमें अहिंसा की जड़ों को बचाना होगा। वर्तमान में भौतिकता की चकाचौंध में विकास कम और विनाश ज्यादा हो रहा है। आजकल हमारी सोंच यह हो गई है कि बैठे-बैठे काम मिल जाए। पहले के युग में अतिथि सत्कार होता था, आज हम दूसरों पर आश्रित होते जा रहे हैं। जैसा हमने बोया वैसा काटा क्या आप इस बात को मानते हैं?

 

हमारे पुराने संस्कारों के कारण कल्याण हो सकता है। अपने जीवन को सुखी करना है तो पूर्वजों द्वारा किए गए विचारों को आत्मसात करना पड़ेगा। आज श्रम के कारण छोटे-छोटे देश आगे बढ़ गए हैं और हम श्रम और युक्ति से वंचित रहना चाहते हैं। जब तक श्रम नहीं करेंगे, मुख मीठा नहीं होगा। आज हम श्रम से बच्चों को बचा रहे हैं, जो गलत है। सब जीवों का उद्धार हो ऐसे काम और ऐसी भावनाओं से उद्धार होगा।

सबके प्रति दया, करुणा, प्रेम का भाव रखेंगे तो सतयुग आने में भी देर नहीं लगेगी। पहले के युग में राजा के दरबार में चोर भी सत्य बोलता था, आज साहूकार भी झूठ बोलता है। आज हम मोटा खाते हैं, मोटा पहनते हैं, और सूक्ष्म सोचते हैं। प्रकृति का नियम है जितना पसीना बहाएंगे, सीना उतना ही तनेगा।

देश के विभिन्न नगरों से आये श्रद्धालुओं ने भी आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

-पुनीत जैन, खातेगांव Mob. – +91-9713711000

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