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नेमावर में आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का चातुर्मास मंगल कलश

नेमावर (रामकृष्ण मुले)। आचार्य विद्यासागर महाराज का 52वां चातुर्मास मंगल कलश स्थापना समारोह रविवार को सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में हुआ। इसमें देशभर से आए धनपतियों ने गुरु के आगे लक्ष्मी न्योछावर की। इस मौके पर नौ मुख्य कलशों के अलावा 11 और 21 लाख के 52-52 कलश भी बोलियों के लिए रखे गए थे। जिन कलशों की बोलियां ली गईं, उनमें 18 कलश ऑनलाइन जबकि नौ कलशों की बोली इंदौर के लोगों ने ली। हालांकि कई बोलियों के नामों व राशियों को गुप्त भी रखा गया।

गुरु के प्रति आस्था और उल्लास का नजारा यहां देखते ही बन रहा था। आठ राज्यों के करीब 60 शहरों के आठ हजार से अधिक गुरु भक्त तीर्थ क्षेत्र पर मौजूद थे। 30 संतों के संघ के साथ जैसे ही आचार्यश्री ने पंडाल में प्रवेश किया, भक्तों ने गुरुदेव के जयघोष लगाना शुरू कर दिया। इस बीच कलश की बोलियों का सिलसिला शुरू हुआ जो करीब दो घंटे चला। सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुंदरलाल जैन और मंत्री कमल अग्रवाल ने बताया कि 52वें कलश स्थापना के अवसर पर देशभर के कई श्रेष्ठीजन आए। क्षेत्र के विकास और विस्तार के लिए चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग किया। ससंघ नेआशीर्वाद दिया।

कोडवर्ड में बताई गई कलश की राशि
आयोजन में दिए गए नौ कलश की राशि का उल्लेख कोडवर्ड में किया गया। आयोजन में चर्चा थी कि हर कलश के लिए जितने कलश और श्रीफल का इस्तेमाल किया जा रहा है। उसकी एक तय राशि है। जैसे पहला कलश एक समाजजन ने 504 कलश में लिया तो उसके लिए एक निर्धारित राशि उनके द्वारा दी जाएगी। हालांकि सभी कलशों की बोलियां अभी नहीं हुई हैं।

नेमावर के तीर्थ क्षेत्र और इंदौर के विद्यापीठ पर खर्च होगी एकत्रित राशि
कलश स्थापना समारोह में एकत्रति हुई राशि सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र के विकास कार्य पर खर्च होगी। यहां पंचबालयति मंदिर, सहस्रकूट जिनालय और त्रिकाल चौबीसी का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही इंदौर में रेवती रेंज के पास साढ़े 27 एकड़ में प्रतिभा स्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ बनाया जा रहा है। यहां हॉस्टल, गोशाला का निर्माण किया जा रहा है। इस पर एकत्रित राशि का एक हिस्सा खर्च होगा।

52 साल में पहली बार त्रयोदशी पर हुई कलश स्थापना
52 साल के साधु जीवन में आचार्य की कलश स्थापना पहली बार त्रयोदशी पर हुई। उनका चातुर्मास कलश हमेशा चौदस को स्थापित होता रहा है। इस पर आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा कि आज त्रयोदशी का दिन है। मैं अभी तक अपना चातुर्मास कलश चौदस के दिन स्थापित करता हूं, यह मेरा पहला अवसर है। आप लोगों की रविवार की सुविधा की दृष्टि से यहां के आयोजकों ने मुझसे निवेदन किया और मैंने हां कर दी। उन्होंने कहा कि मोक्षमार्गी व्यक्ति की आंखों में कभी आंसू नहीं होते, लेकिन करुणा-दया अवश्य होती है। बंगाल की ब्रह्मपुत्र नदी के माध्यम से हत्या के लिए गोवंश का निर्यात हो रहा था, यह समाचार मुझे मिला तो दयोदय महासंघ द्वारा लगभग 6500 गायों को जीवनदान दिया

दो जैन मुनियों को दिया निर्यापक पद
आचार्य ने दक्षिण भारत के बुबवाड़ में वर्षायोग कर रहे मुनि नियम सागर और सुधासागर महाराज को निर्यापक का पद दिया। अब ये मुनि जैन आगम की शिक्षा दे सकेंगे। इससे पहले यह पद समय सागर महाराज एवं योग सागर महाराज को दिया गया था।

इन्होंने ली प्रमुख कलशों की बोलियां
-प्रथम कलश सुनीलकुमार जैन पिपलिया परिवार राजसमंद वाले ने 504 कलश में लिया।

-द्वितीय कलश सुंदर लाल इंदौर ने 153 कलश में लिया।

-तृतीय कलश गुप्त नाम से 99 कलश और 99 श्रीफल में लिया गया।

-चतुर्थ कलश सुनील जैन इंदौर ने 54 कलश और 54 श्रीफल में लिया

-पांचवां कलश वंदना जयकुमार जैन इंदौर नें 54 कलश और 54 श्रीफल में लिया।

-छठा कलश पंकज जैन मुंबई ने लिया (राशि की घोषणा नहीं हुई)।

-सातवां कलश अशोक पाटनी परिवार ने लिया (राशि की घोषणा नहीं हुई)।

-आठवां कलश तरुण कला, मुंबई वाले ने लिया (राशि की घोषणा नहीं हुई)।

– नवां कलश राजा भैया सूरत वालों ने लिया (राशि की घोषणा नहीं हुई)।

साभार : नईदुनिया

3 Comments

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  • Jai Jinendra Ji

    Namostu Bhagwan

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    Namostu Gurudev

    Jai Jai Gurudev

    Jaikara Gurudev ka Jai Jai Gurudev

    Jai ho Shri Acharya Bhagwan Vidhyasagar Ji Maha Muniraj Ki Jai ho

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