आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

प्रवचन : आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज : (पपौराजी)

आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने पपौराजी में प्रवचन में कहा कि वर्षों पूर्व यहां हमारा चातुर्मास हुआ था। उसका स्मरण ताजा हो रहा है। आपकी बहुत सालों से भावना थी आशीर्वाद की। आज की प्रात:काल की पूर्णिमा के मंगल अवसर पर इंदौर में भी आर्यिका के सान्निध्य में शिलान्यास होने जा रहा है। वे लोग यहां के शिलान्यास का स्मरण कर रहे हैं। कार्य वहां का भी सानंद संपन्न हो जाए, आशीर्वाद उनका मिल रहा है।

महाराजश्री ने कहा कि गुरुजी ने संघ को गुरुकुल बनाने का कहा था। यहां से धर्म-ध्यान मिलता है। हमें गुरुजी का जो आशीर्वाद मिला है, वरदान मिला है, गुरुजी की जहां पर कृपा होती है, वहां पर मांगलिक कार्य होता है। भावों के साथ यहां की जनता तपस्यारत थी। भावों के साथ तन-मन-धन के साथ अपने भावों की वर्षा की है। आज पूर्णिमा है, वह भी रविवार को आ गई है। तिथियां अतिथियों को बुला लेती हैं।

महाराजश्री ने कहा कि गुरुजी ने सल्लेखना के समय हमसे कहा था तो हमने पूछा था कि हमें आगे क्या करना है? उन्होंने कहा था जो होता है, जिसका पुण्य जैसा होता है, उसकी भावना बलवती होती रहती है। यहां का कार्य संपन्न है। आज हर मांगलिक कार्य आप लोगों की भावना व उत्साह को देखकर कार्य करने को कटिबद्ध हो गए हैं। वैसे काम छोटा लगता है लेकिन काम की गहराई की नाप भी निकाली जाती है, भावों की गहराई भी देखी जाती है। कल 5-6 महाराजजी आ गए हैं, उनका भी समागम हो गया है। भावों में कभी दरिद्रता नहीं रखी जाना चाहिए।

महाराजश्री ने कहा कि बुंदेलखंड बाहर के प्रदेश वालों को प्रेरित करता रहता है। यहां के लोगों के समूह ने उदारता के साथ जो धनराशि दी है, वह गौरव का विषय है तथा जो कुछ अधूरा है, वह पूर्ण होने जा रहा है। जैन जगत जागरूक व समर्पित है। करोड़ों रुपए बड़े बाबा के पास आ गए और आते जा रहे हैं। जनता अभी थकी नहीं है। सात्विक भोजन हो रहा है। बच्चों को आगे के जीवन में और अच्छे संस्कार बढ़ाते जाएं। सहयोग बहुत दूर से भी मिल रहा है। देव भी उनके चरणों में सहयोग वहां देते रहते हैं। उनके चरणों में रहते हैं। जहां दया, धर्म, संस्कार व अहिंसा धर्म की विजय होती है, वे सहयोग में रहते हैं। यहां पर आसपास छोटे-छोटे गांवों में 4-5 हजार समाज के घर हैं। यहां के लोगों ने बीड़ा उठाया है। उत्साह के साथ आए हैं और आएंगे। अभी मंगलाचरण हुआ है।

महाराजश्री ने कहा कि यहां पर प्रतिभास्थली की पूर्व पीठिका की कार्यस्थली बनी है। सेवा की गतिविधियां ब्रह्मचारिणी संभालेंगी। अध्ययन के साथ संचालन करेंगी। एकाध महीने का समय बचा है। निवृत्त होकर मंगलाचरण बढ़ाएंगी। इंदौर में शिलान्यास संपन्न होकर तैयार हो रहा है। वे यहां पर भी आई हैं। 110 छात्राओं के आवेदन आए हैं। 54 आवेदनों का चयन हो गया है। यह आंकड़ा 9 का है तथा अखंड है।

महाराजश्री ने आगे कहा कि यह संख्या उत्साह का कार्य है। रात-दिन एक करके व अपनी भावनाएं उड़ेल करके कार्य अवश्य तैयार करेंगे। यह सब कुछ गुरुदेव की कृपा से हो रहा है। हम तो बीच में आकर लाभ ले रहे हैं। मूल स्रोत तो गुरुजी ही हैं। हमें फल की इच्छा नहीं है लेकिन उत्साह गुरुजी से मिलता रहता है। आपकी उत्साह, भावना व प्रवृत्ति बढ़ती चली जाए।

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