मुनि श्री 108 क्षमासागर जी महाराज
दीप उनका, रौशनी उनकी, मै जल रहा हूँ |
रास्ते उनके, सहारा भी उनका, मै चल रहा हूँ |
प्राण उनके हर साँस उनकी, मै जी रहा हूँ |
* जैन धर्म में मन-शुद्धि और विचार-शुद्धि पर सर्वाधिक जोर दिया गया है|
* जैन धर्म मनुष्य को विकृति से प्रकृति और प्रकृति से संस्कृति की ओर ले जाता है|
* हम दूसरों की रोटी छीनकर खाए यह विकृति है|
* भूख लगने पर अपनी रोटी खाय यह प्रकृति है|
* किन्तु स्वयं भूखे रह कर दूसरों को अपनी रोटी दे देना, यह संस्कृति है|
* जहा तरलता थी – मै डूबता चला गया|
* जहा सरलता थी – मै झुकता चला गया|
* संबंधो ने मुझे जहा से छुआ – मै वही से पिघलता चला गया|
* सोचने को कोई काहे जो सोचे – पर यहाँ तो एक एहसास था – जो कभी हुआ, कभी न हुआ |
– मुनि श्री क्षमा सागर जी महाराज
सुने क्षमासागर जी महाराज के प्रवचन :
2. बारह व्रत
muni shree ke charno me sadar namostu
muni shree kshamasagarji maharaj gadhacota damoh me virajman hai………aur 25 november ko unka picchika parivartan samaroh rahka gaya hai pateria ji me……..so u all r invited their and un mahan guru ke darshan karne ka saubhagya awashya le…….
muni shree ka swasthya abhi pahle se sudhar me hai aur awashya hi unki awaj b laut ayegi
ap sabhi se request hai ki hamare priy guruji ke liye roj 9 namokar ka jap awashya kare
jai jinendra
NAMOSTU MAHARAJ JI
kshama sagar ji maharaj ko koti koti namostu maharaj ji ke darshan karne ki bahut iccha h aapke darshan jald ho aisa aashirwad de
jai gurudev ki
munni kshama sagar ke charno mein koti koti pranam
muje maharajshree ke darshan karne he abhi maharajshree kaha he