मुनि श्री 108 क्षमासागर जी महाराज
दीप उनका, रौशनी उनकी, मै जल रहा हूँ |
रास्ते उनके, सहारा भी उनका, मै चल रहा हूँ |
प्राण उनके हर साँस उनकी, मै जी रहा हूँ |
* जैन धर्म में मन-शुद्धि और विचार-शुद्धि पर सर्वाधिक जोर दिया गया है|
* जैन धर्म मनुष्य को विकृति से प्रकृति और प्रकृति से संस्कृति की ओर ले जाता है|
* हम दूसरों की रोटी छीनकर खाए यह विकृति है|
* भूख लगने पर अपनी रोटी खाय यह प्रकृति है|
* किन्तु स्वयं भूखे रह कर दूसरों को अपनी रोटी दे देना, यह संस्कृति है|
* जहा तरलता थी – मै डूबता चला गया|
* जहा सरलता थी – मै झुकता चला गया|
* संबंधो ने मुझे जहा से छुआ – मै वही से पिघलता चला गया|
* सोचने को कोई काहे जो सोचे – पर यहाँ तो एक एहसास था – जो कभी हुआ, कभी न हुआ |
– मुनि श्री क्षमा सागर जी महाराज
सुने क्षमासागर जी महाराज के प्रवचन :
2. बारह व्रत
maine abhi-abhi kshma sagar ji maharaj ke darshan kiye esa laga mano mai shri sammed shikhar ji ke darshan kar liye ho..wo abhi mp sagar ke bhagyodaya teerth me hai
jai jinendra
guruver to wo deep hai jinhone ham jaise kai logo ko sahi rah dikhayi hai……….
realy is kaal me guru chamasagar ji jaise muni milna mushkil ha………
I came to know about Muni kshmasagar ji after reading his book. I got many things changed in my life through reading his book. I pray from god to make him speak once….
please mera message/namostu guruvar shree kshamasagar ji ke paas pahucha deejeeye mein unka darshan video camera par karna chahti hoon. unse varta karna chahtihoon unse kai samadhan puchna chahti hoon. kya kahoo mere shabd kosh mein is pancham kalin teerthanker ke liye shabd nahin hain.
kya apne pahle guruvar ke darshan kiye hai seemaji
Kshamasagarji maharajji’s pravachan are aweosme…..too good
very simple language with profound meaning..
Kshamasagarji maharajji ko koti koti namostu..