हमें भारत को आगे बढ़ाने के साथ-साथ संस्कारित करने की दिशा में भी काम करना चाहिए..
-पुनीत जैन, खातेगांव
शनिवार को केंद्रीय महिला एवं बालविकास और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन करने और हथकरघा के विषय पर विस्तृत चर्चा करने नेमावर आयी। हेलीकॉप्टर से अपने तय समय से 10 मिनट पहले पहुंची ईरानी लगभग ढाई घंटे तक नेमावर जैन मंदिर परिसर में रही।
ईरानी ने आचार्यश्री के आशीर्वाद से चलने वाले समाजसेवा के विभिन्न प्रकल्पों हथकरघा, हस्तशिल्प, प्रतिभास्थली, मातृभाषा हिन्दी जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर आचार्यश्री से लम्बी चर्चा की। इसके साथ ही बारीकी से हथकरघा से निर्मित वस्त्र, हस्तशिल्प से बनी विभिन्न वस्तुओं का अवलोकन किया। ईरानी ने आचार्यश्री से निवेदन किया कि वे ससंघ देश की राजधानी दिल्ली आएं।
सक्रिय सम्यक सहकार संघ की ओर से आरके मार्बल ग्रुप की सुशीला पाटनी एवं ब्रम्हचारी सुनील भैयाजी ने हथकरघा से बनी साड़ी ईरानी को भेंट की।
वहीं ट्रस्ट कमेटी की ओर से वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेशचंद काला, दिलीप सेठी, राजीव कटनेरा, महेंद्र अजमेरा ने कलश एवं आचार्यश्री द्वारा रचित जैन साहित्य भेंटकर स्मृति ईरानी को सम्मानित किया।
स्मृति ईरानी ने कहा-
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा आध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए मानवता को परिभाषित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज और मुनिसंघ का आशीर्वाद आज प्राप्त हुआ। आचार्यश्री के प्रकल्प के माध्यम से हिंसा के अवगुणों को लेकर भी जेल में बंद कैदी आध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए हथकरघा के माध्यम से संतों का सानिध्य प्राप्त कर रहे हैं।
अहिंसा को अपनाकर जीवन का उत्थान कैसे किया जाए इसका प्रतिबिम्ब आज तिहाड़ जेल में हथकरघा के वस्त्र बनाते कैदियों को देखने पर मिल रहा है।
अहिंसा के मार्ग पर चलना, स्वावलंबन के साथ जीना और प्रभु का स्मरण करते हुए समाज के संरक्षण में अपने आप को समर्पित करने का भाव आपके माध्यम से जो जनमानस में जागृत हुआ है उसके लिए मैं आपके श्रीचरणों में सादर वंदन करती हूँ।
आपके शुभाशीष से ब्रम्ह्चारिणी बहिने शिक्षा का आशीर्वाद बेटियों को दे रही हैं, हथकरघा के माध्यम से सूत को काटकर संस्कार भरा वस्त्र निर्मित किया जा रहा है। आपके दिखाए मार्ग पर चलकर शिल्प की दुनिया के लोगों को जोड़कर भारत के भविष्य का वो अपने हाथों से निर्माण कर रहे हैं। राष्ट्र कीर्ति के पथ पर हम सभी सदैव चलें ऐसा आशीष आपसे मांगती हूँ।
आचार्य श्री ने अपने आशीर्वचन में कहा-
विशेष रुप से विशेष विषय को लेकर जिज्ञासू (मंत्री महोदय) दूरी को दूर करते हुए आज यहां आए हैं। अपने व्यस्ततम समय से समय निकालकर जनता के कल्याण की भावनाओं को लेकर संस्कारित जीवन निर्मित हो देश के कल्याण के साथ राष्ट्र भाव सदैव बना रहे। यही भाव देश की जनता में भी आए, इन सब भावों को लेकर महोदया आई हैं।
आचार्यश्री ने राष्ट्र उत्थान पर केंद्रित करते हुए अपने उदगार में कहा कि भारत को स्वतंत्र हुए कई वर्ष होने के बावजूद पूर्व स्थिति में नहीं आए।
हमें भारत को आगे बढ़ाने के साथ-साथ संस्कारित करने की दिशा में भी काम करना चाहिए।
हमें अपनी संस्कृति में पुनः लौटना है। हमे अपनी संस्कृति के अनुसार ही विश्व पटल पर भारत को आदर्श बनाना चाहिए।
भारत तो विश्व गुरु था और रहेगा। भारत की जीवंत संस्कृति यदि कोई है तो वह अहिंसा ही है।
भारतीय अर्थशास्त्रियों के भरोसे ही अमेरिका अपनी मंदी से उबरने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगा है।
हम राष्ट्र के प्रति आस्थावान और समर्पित होकर रहेंगे तो देश को कोई हिला नहीं पाएगा। भारत वासना, विलासिता को नहीं बल्कि उपासना और साधना को पूजने वाला देश है। हमारी दृष्टि अखंड भारत की ओर होना चाहिए।
हथकरघा, अंबर चरखा और हस्तशिल्प के कारण तिहाड़ जेल में हुंकार भरने वाले कैदी प्रार्थना कर रहे हैं, हिंसा को भूल गए हैं। कैदियों के जीवन में परिवर्तन आ रहा है।
व्यापार से धन नहीं बढ़ता, श्रम करने से बढ़ता है। जो व्यक्ति श्रम करेगा, वो कभी भूखा नहीं सोएगा। श्रमण शब्द की उत्पत्ति श्रमदान से ही हुई है।
भारत हमेशा भगवान का भक्त रहा है। राम से नहीं राम नाम का सच्चा सुमिरन करने से ही सारे काम हो जाते हैं। श्रीराम के नाम के जाप के सहारे ही हनुमानजी ने कई बाधाओं को लांघकर अविस्मरणीय कार्य किए। उसी प्रकार देश के सैनिक भी सीमा पर अपनी जान की बाजी लगाए देशहित में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पूरे कार्यक्रम में बहुत ही सादगी में दिखी। उनके लिए ट्रस्ट ने सोफे पर बैठने की व्यवस्था की थी, ट्रस्ट द्वारा आग्रह करने पर ईरानी ने कहा भारतीय संस्कृति में संतों के सामने ऊँचे स्थान पर बैठना शोभा नहीं देता और वह आमजन के बीच ही बैठी रहीं। चेहरे पर धूप आने के बावजूद भी अपनी जगह नहीं बदली।
Jai Jinendra Ji
Namostu Bhagwan
Namostu Acharya Shree Ji
Namostu Gurudev
Jai Jai Gurudev
Jaikara Gurudev Ka Jai Jai Gurudev
Jai ho Shri Acharya Bhagwan Vidyasagar Ji Maha Muniraj Ki Jai Ho
Jain Dharam Ki Jai Ho
Jainam Jayatu Shasanam………………
True, a true Saint infuses the correct feeling in a true person. Smriti behaviour was exemplary for people who understand themselves bigshot & do not know how to behave in front of Saints like Acharya Shri & other Muniraj.