आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

रविवारीय प्रवचन (आचार्य श्री) [4-11-2012 – 25-11-2012]

टेंशन  नहीं करो मैडिटेशन  करो। – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (दिनांक – 25-11-2012)

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़  में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि साक्षात महावीर भगवान आज नहीं है लेकिन उनके द्वारा बताया हुआ मार्ग तो है। यह धारा अनादि अनिधन है। जिनेन्द्र भगवान के द्वारा दिया हुआ यह चिन्ह है। यहाँ व्यक्ति की पूजा नहीं व्यक्तित्व की पूजा होती है। मुद्रा घर की नहीं रहती है, देष के द्वारा छपती है, उसके लिये सभी मान्यता देते हैं। विदेश  की मुद्रा से यहाँ व्यापार नहीं होता है उसके लिये करेन्सी को कन्वर्ट करना पड़ता है। जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण करना है। टेंशन  मत रखो intension  सही रखो और मैडिटेशन  करो। जैसा उद्देश्य  होता है वैसा ही निर्देश  होता है। जैसे नगर में प्रवेष करने का उपाय उसका द्वार होता है वैसे ही ज्ञान, चारित्र आदि का द्वार सम्यक्त्व है। यदि जीव सम्यक्त्व रूप से परिणत होता है तो वह ज्ञानादि में प्रवेश  कर सकता है। जैसे नेत्र मुख को शोभा प्रदान करते हैं वैसे ही सम्यक्त्व से ज्ञानादि शोभित होते हैं। ‘‘आप’’ यह शब्द आदर सूचक है। छोटो को भी सम्मान सूचक शब्द बोला जाता है। राजस्थान, महाराष्ट्र में भी आदर सूचक शब्दों का प्रयोग होता है। इस जगत में लोग पर पदार्थों में अनुराग रूप हैं, स्नेही जनों में प्रेमानुरागी है कोई मंजानुरागी है किन्तु तुम जिनषासन में रहकर सदा धर्मानुरागी रहो। अमेरिका में घाटा लगता है और भारत में चेहरा मुरझा जाता है, ब्लड़ प्रेशर  में अंतर आ जाता है, श्वासोष्वास में अंतर आ जाता है, खून ही जल जाता है इसलिये इससे बचने के लिये देव, शास्त्र, गुरू के प्रति आस्था आवष्यक है।


शिक्षा  का मंदिर महत्वपूर्ण है। – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (दिनांक – 13-11-2012)

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़  में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि आज के दिन प्रभु को मुक्ति मिली उनका निमित्त   पाकर असंख्य जीवों का कल्याण हुआ है। आज प्रातः हमने वर्षायोग का निष्ठापन किया है। प्रतिभा स्थली बनाने की भावना छत्तीसगढ़  वालों की बहुत अच्छी है और वे अच्छा प्रयास भी कर रहे हैं। इसमें बहुत लोगो ने सहयोग किया है। अभी हमने आग्रह स्वीकार नहीं किया है। प्रतिभा स्थली की रेंज कहाँ तक है यह अभी ज्ञात नहीं होगा। ज्ञान को सर्वगत कहा है, शिक्षा  से जिंदगी क्या अगला भव भी सुधर जाता है। ब्रह्मचारणियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है (लगभग 150 है)। सरस्वती मंदिर तो अपने आप में महत्वपूर्ण है। प्रभु से प्रर्थना करते जाओ, कंधे और मजबूत करो। आचार्य श्री ने कहा कि अष्टहानिका पर भी कार्यक्रम होंगे।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री विनोद जैन ने कहा कि चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़  में 1200 बच्चों की शिक्षा एवं आवास की व्यवस्था के लिये भूमि उपलब्ध है और स्कूल एवं हास्टल  बनाने में भी कोई कमी नहीं आयेगी ऐसा हम पूरे छत्तीसगढ़  वासियों का आष्वासन है। प्रतिभा स्थली बनाने के लिये पूरे भारत से लोग आ रहे हैं। निश्चित  रूप से प्रतिभा स्थली चंद्रगिरि में ही खुलेगी।
आज दीपावली के शुभ अवसर पर आचार्य श्री का पड़गाहन एवं आहार का सौभाग्य प्रतिभा स्थली की दिदियों को मिला।


आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (दिनांक – 4-11-2012)

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छ्त्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि दुर्जन से की गई मित्रता हितकर नहीं होती दुःख दायक होती है। कोई रूधिर से सने हुए वस्त्र को रूधिर से ही धोता है तो वह विषुद्ध नहीं होता है। उसी तरह वह आलोचना शुद्धि दोष को दूर नहीं करता। जिन भगवान के वचनों का लोप करने वाले और दुष्कर पाप करने वालों का मुक्ति गमन अति दुष्कर है। यदि उपचार नहीं कर सकते मरहम पट्टी नहीं कर सकते तो डण्डा तो मत मारो उस रोगी को। मैत्री उससे करो जो समय पर काम दें। सभा उसी का नाम है जिसमें तालियाँ बजती रहे कभी – कभी कवि लोग बोलते हैं तो तालियाँ बजती रहती है। दोनों हाँथों की अंजली बनाकर सिर नवाकर गुरू के सामने उनकी बांयी ओर एक हाँथ दूर गवासन से बैठकर न अति जल्दी में और न अति रूक – रूक कर स्पष्ट आलोचना करें। आज इलाज होता है तो रिएक्षन का खतरा रहता है। चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत सारी परेशानियाँ रहती है यह सावधानी से करना चाहिये। प्रवचन के समय बारिष शुरू हुई तो आचार्य श्री ने कहा कि आरती भी हो रही है और संगीत भी हो रहा है। मन की कलुषता को दूर करना चाहिये। धर्म की शुरूआत होती है तो अषुद्ध मन शुद्ध बन जाता है। योजना बनाना तो सरल है लेकिन राॅ मटेरियल जब तक इकठ्ठा नहीं हो जाता योजना बनाना पर्याप्त नहीं है। फाउंडेषन मजबूत होना चाहिये। भूकम्प निरोधी फाउंडेषन होना चाहिये। भाव सबके एक होते हैं पर भाषा अलग – अलग हो सकती है। बच्चा माँ के भाव समझता है। बच्चा भी बार – बार आपकी फेस रीडिंग करता है। इसलिये प्लान आवष्यक है। जिस वस्तु से हमें राग हुआ है उसको छोड़ना चाहिये। आज परिवार के सदस्य सभी पार्टियों में रहते हैं जब कोई पार्टी नहीं बचती है तो निर्दलीय हो जाते हैं। आज चंद्रगिरि में प्रतिभास्थली ब्ण्ठण्ैण्म्ण् स्कूल बनाने के लिये चंद्रगिरि ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री किषोर जैन, कोषाध्यक्ष श्री सुभाष जैन, श्री चंद्रकांत जैन (संयोजक), श्री विनोद जैन (ट्रस्टी), श्री सप्रेम जैन (ट्रस्टी) एवं अन्य सदस्यगणों ने आचार्य श्री को श्री फल चढ़ाकर उनसे निवेदन किया कि वे इस कार्य को दृढ़ संकल्पीत होकर करेंगे । जबलपुर में भी प्रतिभास्थली है जिसमें 500 बच्चे हैं। जिनको अच्छे संस्कार, अच्छी शिक्षा दी जाती है। इसमें बाल ब्रह्मचारिणी बहिनें शिक्षा देती हैं, लगभग 200 बहिनें हैं। आचार्य श्री ने कहा कि यह कार्य बहुत महत्वपूर्ण है एवं जिम्मेदारी वाला है। बैंगलौर से एवं झुमरी तलैया – कोडरमा झारखंड से बहुत सारे श्रद्धालु दर्षनार्थ आये। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के आहार 04 नवम्बर 2012 को मुनि श्री सुधासागर महाराज जी के गृहस्थ जीवन के परिवार वालों के यहाँ हुये।

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