संकलन:
श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ
डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान से सिद्ध कर दिया है कि शाकाहारी भोजन मनुष्य को रोगों से बचाता है जबकि मांसाहार रोगों का कारण है। शाकाहार बुद्धि, बल और आयु को बढाता है तो मांसाहार बुद्धि, बल और आयु को क्षीण करता है। अनुसंधान के अनुसार निम्न रोगों का प्रमुख कारण मांसाहार है-
- हृदय रोग व उच्च रक्त चाप- इस रोग का मुख्य कारण है रक्त वाहिनियों की भीतरी दीवार पर कोकेस्ट्रोल का जमना। मांस और अण्डे में कोलेस्ट्रोल बहुत अधिक होता है। 100 ग्राम अण्डे में आवश्यकता से ढाई गुणा अधिक कोलेस्ट्रोल होता है।
- आंतों का अल्सर, अपैंडिसाइटिस, आंतों और मलद्वार का कैंसर- यह रोग मांसाहारियों में शाकाहारियों की अपेक्षा कई गुणा अधिक होता है।
- गुर्दे की बीमारियाँ- अधिक प्रोटीनयुक्त भोजन गुर्दे को खराब करता है। मांसाहारी आवश्यकता से अधिक प्रोटीन खा लेता है। शाकाहार में अधिक प्रोटीन नहीं लिया जा सकता क्योंकि यह फैलावदार होने से कम खाया जाता है।
- सन्धिवार, गठिया आदि- मांसाहार खून में युरिक एसिड की मात्रा बढाता है, जोडों पर युरिक एसिड का जमाव होने से ये रोग होते हैं।
- कैंसर- यह रोग मांसाहारियों में अधिक पाया जाता है।
- आँतों का सडना- अण्डा, मांस आदि खाने से आमाशय कमजोर होता है और आंते सड जाती हैं।
- विषावरोधी शक्ति का क्षय- अण्डा, मांस खाने वाले से विषावरोधी शक्ति नष्ट हो जाती है, जिससे मनुष्य साधारण सी बीमारी का सामना नहीं कर पाता।
- त्वचा रोग- त्वचा की रक्षा के लिये आवश्यक विटामिन गाजर, टमाटर तथा हरी सब्जियों में अधिक होता है। अतः शाकाहार ही त्वचा की रक्षा करता है। मांसाहार में विटामिन A की मात्रा न होने के कारन वह त्वचा में अनेक रोग उत्पन्न कर देता है।
- माइग्रेन इंफेक्शन आदि के कारण होने वाले रोग- ये रोग मांसाहारियों में अधिक पाये जाते हैं।
मांसाहार से होने वाले रोगों के अनेक कारण हैं:
हत्या से पूर्व पशु, पक्षियों आदि के स्वास्थ्य की पूरी जाँच नहीं की जाती, जिससे उनके शरीर में छुपी हुई बीमारियों का पता नहीं लगता। ऐसे रोगग्रस्त पशुओं का मांस खाने से उनके अन्दर छुपे हुए रोग खाने वालों को भी हो जाते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार वेनवग नाम का ऐसा कीडा होता है कि उसके काटने से पशु पागल हो जाता है। किंतु पागलपन का यह रोग विकसित होने में और प्रकट होने में 10 वर्ष लगते हैं। इस मध्य कोई भी व्यक्ति इस कीडे द्वारा काटे हुए पशु के मांस को खा लेता है, तो पागल हो जाता है।
हत्या से पूर्व पशु अपनी रक्षा के लिये प्रयास करता है, फडफडाता है, निस्सहाय होने के कारण उसका डर और आवेश बढ जाता है, क्रोध से आँखें लाल हो जाती हैं, मुँह में झाग आ जाते हैं. ऐसी अवस्था में उसके अन्दर एडरीनालिन नामक जहरीला पदार्थ उत्पन्न हो जाता है। जब मनुष्य अनजाने में उस पशु का मांस खाता है तब यह जहरीला पदार्थ उसके अन्दर प्रवेश कर उसे अनेक घातक बीमारियों का शिकार बना लेता है। खून और बैक्टीरिया का इंफैक्शन अतिशीघ्र हो जाता है। अतः पशु के मरते ही मांस सडने लगता है और यह सडा हुआ मांस जब खाने वाले के शरीर में पहुँचता है तो वह असाध्य रोगों का शिकार अन जाता है।
प्रयोगों से ज्ञात हुआ है कि अण्डे यदि 50डिग्री से अधिक तापमान पर 12 घण्टे से अधिक समय तक रहें, उनके अन्दर सडने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है। ऐसी स्थिति में भारत जैसे देश में जहाँ तापमान सदैव इससे अधिक रहता है और अण्डों को पोल्ट्री फॉर्म से तैयार हो कर बिक्री होने तक प्रायः 24 घण्टे का समय लग जाता है, अब उसमें सडने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। जब अण्डे सडने लगते हैं, तब उनका जलीय भाग पहले कवच में से भाप बनकर उडने लगता है, फिर रोगाणुओं का आक्रमण शुरु होता है, जो कवच में पहुँचकर उसे पूरी तरह सडा देता है। सूक्ष्म स्तर पर सडे हुए अण्डे पहचाने न जाकर काम में के लिये जाते है, जिससे उदर विकार, फूड पॉयजनिंग आदि रोग हो जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया जहाँ सर्वाधिक मांस खाया जाता है और जहाँ प्रतिवर्ष प्रतिव्यक्ति 130 किलो गोमांस की खपत है, वहाँ आंतों का कैंसर सबसे अधिक है। Dr. Andrew Gold ने अपनी पुस्तक Diabities Its Cause Ant Treatment में शाकाहारी भोजन की सलाह दी है।
बाबाजी का कहना है।
शाकाहारी रहना है।
तन मन को करता खराब।
मांस मछली अंडा शराब।
जयगुरूदेव