संकलन:
श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ
- मन्दिर में जहाँ तक बने भगवान की ओर पीठ नहीं करना।
- मन्दिर मे किसी की निन्दा नहीं करना।
- मन्दिर में आपसी चर्चा नहीं करना।
- मन्दिर में शरारत नहीं करना।
- मन्दिर में कषाय नहीं करना।
- मन्दिर के शुद्ध वस्त्रों को अशुद्ध नहीं करना।
- मन्दिर के समय भगवान की अविनय नहीं करना।
- मन्दिर में दान देने में संकोच नहीं करना।
- मन्दिर में बिजली आदि का प्रयोग नहीं करना।
- मन्दिर में हँसी मजाक नहीं करना।
- मन्दिर में जूठा मुँह लेकर नहीं जाना।
- मन्दिर में हाथ-पैर धो कर जाना।
- मन्दिर की छत और शिखरों पर चप्पल-जूते आदि नहीं ले जाना।
- मन्दिर में चमडे आदि की वस्तु नहीं ले जाना।
- मन्दिर में भगवान की बराबरी से नहीं बैठना।
- मन्दिर में खेलना या दौडना नहीं।
- मन्दिर में किसी को व्यवधान नहीं पहुँचाना।
- मन्दिर में देव-दर्शन के समय यथासम्भव वेदी से नहीं टिकना।
- भगवान के ऊपर यदि शिखर न हो तो वहाँ से नहीं निकलना।
- भगवान को अशुद्ध वस्त्र में नहीं छूना।
- मन्दिर में भडकीले वस्त्र पहनकर नहीं आना।
- मन्दिर में अव्यवस्था नहीं फैलाना।
- शास्त्रों के पन्ने अच्छे से पलटना।
- गन्धोदक में दोबारा हाथ नहीं डालना।
- मन्दिर में शास्त्र आदि रखने की चौरंग (पाटा, बाजोटा) को नहीं लांघना।
- मन्दिर में हिंसक श्रृंगार नहीं लाना।
- मन्दिर में जोखिम की वस्तुएँ नहीं लाना।
- मन्दिर में किसी को नहीं चिढाना।