आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

चन्द्रगिरि, डोंगरगढ़ में मनाया गया संयम स्वर्ण महोत्सव

आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के 50वें दीक्षा दिवस को संयम स्वर्ण महोत्सव के रूप में चन्द्रगिरि, डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) में मनाया गया। सुबह चन्द्रगिरि के ट्रस्टियों एवं श्रावकों ने आचार्यश्री को 50वें दीक्षा दिवस की बधाई दी। उसके पश्चात चन्द्रप्रभ भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन व आरती हुई।

बुधवार, 28 जून को आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज को आहार कराने का सौभाग्य प्रतिभास्थली चन्द्रगिरि की दीदियों को हुआ। दोपहर 2 बजे कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई। इसके पश्चात मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया। चन्द्रप्रभ भगवान एवं आचार्यश्री ज्ञानसागरजी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन किया गया। आचार्यश्री को शास्त्र भेंट किया गया।

मंगलाचरण के समय मुख्यमंत्री के मोबाइल पर कोई अतिमहत्वपूर्ण फोन आया। वे मंच से उतरकर पांडाल के पीछे बात करने चले गए। स्वागत सम्मान के बाद जब मुख्यमंत्री माइक पर आए, तब सबसे पहले संबोधन में उन्होंने कहा, ‘हे आचार्य, मैं फोन के कारण जरा देर पांडाल के पीछे तक गया था। दुष्ट कंकरों से मेरे पैर छिल गए। आप तो सदैव कंकरीले, पथरीले पथ पर वह भी पाणिपात्र में एक बार नीरस आहार, जल लेकर विहार करते हैं और पिछले 50 वर्ष से कर रहे हैं। धन्य है आपकी भक्ति। उन्होंने आगे कहा कि आचार्यश्री, प्रतिभास्थली, हाथकरघा जैसी जनकल्याण की जिन योजनाओं पर आपका चिंतन होता है वहां तक तो हम सोच भी नहीं पाते।’

केंद्रीय मंत्री कुछ देर तक तो भाषण देते प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि के नाते कौशल विकास की जानकारियां देते रहे, लेकिन एकाएक बोल पड़े कि गुरुदेव मेरे गृह प्रदेश बिहार में भी आपकी आवश्यकता है। आप महावीर बनकर बिहार में पधारें। आपके मंगल चरण पड़ें ताकि हमारा प्रदेश भी आपकी अगवानी कर सके।

इसके पश्चात आचार्यश्री के प्रवचन हुए। शाम को वात्सल्य भोजन के बाद 7 बजे से भजन एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ जिसमें प्रतिभास्थली बच्चों द्वारा विशेष नाटक प्रस्तुत किया गया जिसको देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए और उनके सम्मान में पूरे पांडाल में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी।

इस नाटक में स्वर्णिम भारत के समय में भारत में क्या व्यापार होता था और यहां से हमेशा निर्यात किया जाता था तथा कभी आयात की आवश्यकता ही नहीं होती थी। फिर किस तरह अंग्रेजों ने भारत के स्टील उत्पादन और उसकी क्वालिटी, डिजाइन आदि बेवकूफ बनाकर सारे कागजात आदि ले लिए और बहुत बड़ा षड्यंत्र रचकर भारत में गुरुकुल, व्यापार, संस्कृति आदि को बंद कराकर पाश्चात्य सभ्यता और अंग्रेजी को प्रसारित किया, जो आज भारत के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है, यह दिखाया गया है।

आज चन्द्रगिरि, डोंगरगढ़ में आचार्यश्री ससंघ के दर्शनार्थ लोग मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक आदि भारत के लगभग सभी राज्यों से आए थे। इसके लिए चन्द्रगिरि ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद जैन, कार्यकारी अध्यक्ष किशोर जैन, डोंगरगढ़ जैन समाज के अध्यक्ष एवं चन्द्रगिरि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सुभाषचंद जैन, प्रतिभास्थली के संयुक्त मंत्री एवं चन्द्रगिरि ट्रस्ट के ट्रस्टी सप्रेम जैन, अमित जैन, चन्द्रकांत जैन, निखिल जैन, दीपेश जैन एवं सकल जैन समाज, डोंगरगढ़ ने उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। यह जानकारी चन्द्रगिरि, डोंगरगढ़ से निशांत जैन (निशु) ने दी है।

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