समयसागर जी महाराज इस समय बिना बारह में हैं सुधासागर जी महाराज इस समय आगर में हैंयोगसागर जी महाराज का चातुर्मास नागपुर में मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज गुणायतन में हैंदुर्लभसागरजी जी महाराज एलोरा में विराजमान हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी अहमदाबाद में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर विनम्रसागरजी महाराज का चातुर्मास खजुराहो में

समझदार मंझधार में नहीं होते

800_45smचंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की प्रवचन यहाँ पंडाल में बैठे लोगों के लिए भी है और जो किसी माध्यम से इसे समझ रहे हैं उनके लिए भी है। आचार्य श्री ने एक दृष्टान्त के माध्यम से समझाया की एक बार एक जंगली सुवर गुफा के बाहर बैठ कर समायक कर रहा होता है और वहाँ एक सिंह आ जाता है तो जंगली सुवर सिंह को आगे जाने के लिए मना करता है तो इस पर जंगल के राजा सिंह को गुस्सा आ जाता है और इसी बात को लेकर दोनों में युद्ध शुरू हो जाता है। सिंह अपने पंजे से वार करता है और जंगली सुवर अपने नुकीले दांतों से वार करता है दोनों एक दूसरे को घायल कर देते हैं और सिंह पहले गिर कर मृत्यु को प्राप्त होता है फिर जंगली सुवर गिर कर मृत्यु को प्राप्त होता है।

सिंह मरकर नरक जाता है जबकि जंगली सुवर मरकर स्वर्ग जाता है क्योंकि जंगली सुवर अपने प्रण के लिए अपने प्राण गंवा देता है जबकि सिंह मारने के मंतव्य के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठता है। उस गुफा में ऐसा क्या है जिसके कारण ये द्वन्द युद्ध हुआ – उस गुफा में गुरूजी (साधू) समायक कर रहे थे और जंगली सुवर का प्रण था की गुरूजी (साधू) का समायक निर्विघ्न पूरा हो जाये इसलिए वह भी गुफा के बाहर में बैठकर अपनी समायक कर रहा था और वहाँ नजर रखा हुआ था परन्तु इस बात को सिंह नहीं समझा और मान कसाये के कारण युद्ध करने को आतुर हो गया।

सिंह जंगल का राजा होता है इसका उसे मान, स्वाभिमान और अभिमान होता है उसी मान – अभिमान के कारण उसने जंगली सुवर से युद्ध किया और मृत्यु को प्राप्त कर नरक गया जबकि जंगली सुवर का प्राण प्रण को पूरा करने के लिए गया और गुरु जी (साधू) का समायक भी निर्विघ्न पूरा हुआ इसलिए जंगली सुवर मृत्यु उपरांत स्वर्ग गया। जो बुद्धिमान होता है वो मंझधार में नहीं होता है। शतरंज में भी राजा – राजा को नहीं मारता उसी प्रकार युद्ध होने पर जिस राजा की हार होती है वह जितने वाले राजा की अधीन हो जाता है। वह राज्य उसका तो होता है परन्तु वह राजा विजयी राजा के अधीनस्थ हो कर काम करता है। इससे आप लोग समझ गए होंगे की आप लोगों को किस तरह रहना चाहिए। आज रविवार का प्रवचन सफल रहा आप लोग दूर – दूर से आयें हैं आप लोगों ने प्रवचन सूना और इसे अपने जीवन में भी उतारें।

प्रवचन वीडियो

2023 : विहार रूझान

मेरी भावना है कि संत शिरोमणि विद्यासागरजी महामुनिराज का विहार यहां होना चाहिए :




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november, 2023

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12nov(nov 12)11:08 am(nov 12)11:08 amचातुर्मास निष्ठापन

13nov(nov 13)11:08 am(nov 13)11:08 amभगवान महावीर स्वामी निर्वाण कल्याणक (दीपावली पर्व एवं वीर निर्वाण संवत प्रारम्भ)

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