विश्व वन्दनीय तीर्थंकर महावीर: विविध विचार
श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ
अतिशय रूप मासरं महावीरस्य नगनहु।
रुनमुपसामेवत्तिस्त्रो रात्रीः सुरासुता॥
निगंत्थो आवुसो नाथपुतो सब्व दरस्सी।
अपारिससे णाण दंसण्णं परिजानाति॥
तीर्थंकर महावीर अनुपम नेता थे, वे अनुभवी मार्ग प्रदर्शक थे तथा जनता द्वारा सम्मानित
थे।
और पूर्णरूपेण शंचन किया।
वह वीर है शिरोमणि महावीर है जिसने अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त की है।
अहिंसा और सत्य का मार्ग बताया।
सारे लोक को आत्म कल्याण का मार्ग बता गये हैं।
श्री महावीर स्वामी ने खरे उद्धार का मार्ग बतला कर दिया।
लिये है।
है उनकी सुरक्षा के लिये आध्यात्मिक तत्व का सहारा लेना आवश्यक है भगवान महावीर के
जीवन चरित्र और उनकी शिक्षाओं से हमें तत्व आसानी से मिल सकते हैं।
बनाने के लिये हम सबका कर्तव्य है के हम भगवान महावीर स्वामी की शिक्षाओं का पालन करें।
को और उनके बताये हुए मार्ग को ग्रहण किये बिना कोई रास्ता नहीं है।
पश्चिम जगत में “ला आफ नान-वायलेंस” के नाम से जाना जाता है, सर्वाधिक मूलभूत सिद्धांत
है, जिसके द्वारा मानवरा के कल्याण के लिये आदर्श संसार का निर्माण किया जाता है।
इंसान के गौरव को बढाया, उनके आदर्श को परमात्म-पद की बुलन्दी तक पहुँचाया, जिसने इंसान
और इंसान के भेदों को मिटाया, सभी को धर्म और स्वतंत्रता का अधिकारी बनाया, जिसने भारत
के आध्यत्म-सन्देश को अन्य देशों तक पहुँचाने की शक्ति दी। सांस्कृतिक स्त्रोतों को
सुधारा, उनपर जितना भी गर्व करें, थोडा ही है।
और फिर सत्य और अहिंसा के शाश्वत धर्म को सफल बनाया। जो काल को भी चुनौती देते हैं,
ऐसे उन भगवान को “जिन और वीर” कहना सार्थक है। आज के लोगों को उनके आदर्श की आवश्यकता
है।
भगवान महावीर का नाम यदि इस समय संसार में पुकारा जाता है तो उनके द्वारा प्रतिपादित
“अहिंसा” के सिद्धांत के कारण। अहिंसा धर्म को अगर किसी ने अधिक से अधिक विकसित किया
है तो वे महावीर ही थे।
है कि मैं मृत्यु के बाद जैन-धर्मी परिवार में जन्म धारण करूँ।
सन्देश और उनके बताये हुए रास्ते को ग्रहण किये बिना और कोई रास्ता नहीं है।
से पहले मौजूद था। प्राचीनकाल में असंख्य पशुओं की बलि दे दी जाती थी। इस बलि प्रथा
को समाप्त करने का श्रेय जैनधर्म को है।
और त्याग के बाद सारे विश्व को यदि अहिंसा का जन-सन्देश न दिया होता तो सारे संसार
में अहिंसा का नामो-निशान न होता।
रूढी नहीं, बल्कि वास्तविक सत्य है। धर्म में मनुष्य और मनुष्य का भेद स्थायी नहीं
रह सकता। कहते हुए भी आश्चर्य होता है के महावीर की इस महान विद्या ने समाज के हृदय
में बैठी हुई भेद-भावना को बहुत शीघ्र नष्ट कर दिया और सारे देश को अपने वश में कर
लिया।
भगवान महावीर ने कर दिखाया। नारी जाति के वे उद्धारक और अग्रदूत थे। भगवान महावीर के
उपदेश शांति और सुख के सच्चे रास्ते हैं। यदि मानवता उनके सदुपदेशों पर चले तो वह अपने
जीवन को आदर्श बना सकती है।
का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अहिंसा धर्म जैन अनुयायियों की विशेष सम्पत्ति है। संसार के
किसी और धर्म ने अहिंसा के सिद्धांत का इतना प्रचार नहीं किया जितना जैन धर्म ने किया।
हो। विश्व में शांति बनी रहे। मेरे देश को गर्व है के भगवान महावीर ने समस्त संसार
को शांति और अहिंसा का सन्देश दिया।
धर्म है, कायरों का नहीं। जैनियों को इस बात का गर्व होना चाहिये कि कांग्रेस भगवान
महावीर के सारे सिद्धांतों का सारे भारतवर्ष में पालन करा रही है।
भ्रष्टाचार अवश्य ही समाप्त हो जाये।
महावीर के बताये हुए मार्ग पर चलकर ही हम अपनी कठिनाईयों का समाधान कर सकते हैं।
के जरिये पुरुषार्थ से उसे परमात्म पद प्राप्त करा देता है। भगवान महावीर ने प्राणीमात्र
के कल्याण के लिये महान सन्देश दिया है ताकि सभी प्राणी शांति से रह सकें। हम उनके
बताये रास्ते पर चल कर उनके योग्य उत्तराधिकारी बनें।
थी। उनका अहिंसा परमोधर्मः का सिद्धांत सारे संसार में 2500 वर्षो तक अग्नि की तरह
व्याप्त हो गया। अंत में इसने नव भारत के पिता महात्मा गाँधी को अपनी ओर आकर्षित किया।
यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है के अहिंसा के सिद्धांत पर ही महात्मा गाँधी ने नव
भारत का निर्माण किया।
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