दिल्ली नहीं दिल जीतो ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी(दिनांक – 22-7 -2012)
धन के नष्ट होने से दुःख होता है ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी(दिनांक – 21-7 -2012)
भाग्यसंपदा में भी सार नहीं है ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी(दिनांक – 20-7 -2012)
वैज्ञानिक भी मानते हैं उपवास को श्रेष्ठ ! (दिनांक – 16-7 -2012)
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जैसा साधक मिलना कठिन है इस काल में! वे गर्मी में बहुत दिनों तक कमरे में स्वाध्याय करते थे जहाँ का तापमान 46 डिग्री के आस-पास था और अभी रात में दहलान में खुले में शयन करते हैं कई बार बारिश के कारण ठंडा भी हो जाता है मौसम फिर भी वह खुले में ही रहते हैं वह शाम से सुबह तक एक ही पाटे पर रहते हैं चलते – फिरते नहीं हैं अँधेरे में ! उनके संघ के सभी साधू मौन साधना में रत हैं 02 जुलाई से 02 सितम्बर 2012 तक की मौन साधना गुरु के उपदेश से सभी साधू पालन कर रहे हैं ! मुनि श्री योगसागर जी महाराज चातुर्मास में एक आहार एक उपवास की साधना करते हैं अन्य साधू भी सप्ताह में 1 – 2 उपवास करते हैं ! इस वर्षाकाल में जठ रागनी गंध पड़ जाती है शरीर में बीमारियाँ होती है इसलिए प्रकृति एवं धर्म ग्रंथों के अनुसार उपवास, एकासन करने से शरीर की विकृति समाप्त हो जाती है ! दिगम्बर जैन धर्म के अनुसार साधुओं को उपवास पहले और बाद में 48 घंटे बाद भोजन लेना होता है बीच में कुछ भी खाया पीया नहीं जाता कई लोग जल उपवास भी करते हैं लेकिन एक बार ही जल लेते हैं बार – बार नहीं वैसे भी वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है की अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी, अष्टमी इन तिथियों में समुद्र में 5 बार भाठा आते हैं क्योंकि जल की मात्रा बढ जाती है इसी प्रकार हमारे शरीर में भी वर्षाकाल में जल की मात्रा बढ जाती है जिससे बीमारियाँ होती है जो उपवास, एकासन करने से ठीक हो जाती है ! वैज्ञानिकों, डाक्टर ने यह भी सिद्ध किया है उपवास के दिन विशेष रसायन का स्राव होता है मुख में जिससे विशेष एनर्जी मिलती है !
गुरु की सेवा महान कार्य है ! (भगवतीआराधना) (दिनांक – 14-7 -2012)
चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की गुरु के पीछे इस प्रकार बैठे की अपने हाँथ पैर आदि से गुरु को किसी प्रकार की बाधा न पहुचे ! आगे बैठना हो तो सामने से थोडा हटकर गुरु के वाम भाग में उधतता त्याग कर और अपने मस्तक को थोडा नवाकर बैठे आसन पर गुरु के बैठने पर स्वयं भूमि में बैठे ! गुरु के नीचे आसन पर सोना जो ऊँचा नहीं हो ऐसे स्थान में सोना , गुरु के नाभि प्रमाण पात्र भूभाग में अपना सिर रहे इस प्रकार सोना ! अपने हाँथ पैर वगरह से गुरु आदि का संघठन न हो इस प्रकार शयन करे, गुरु को बैठना हो तो आसन दान करें पहले जीव को देख ले ! उसे मार्जन (साफ़) करें या गुरु को उपकरण भी दे सकते हैं ! गुरु को पुस्तक आदि भी दे सकते हैं ! गुरु को यदि शीत, ग्रीष्म, आदि की बाधा है तो उन्हें आवास दान की व्यवस्था करें ! गुरु से थोडा हटकर बैठे ! गुरु को शीतलता प्रदान करें सेवा के माध्यम से एवं ठण्ड के समय में हवा से बचाव का प्रबंध करें !
अनुराग को भक्ति कहते हैं ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (दिनांक – 13-7 -2012)
शरीर दुःख का कारण है ! (भगवती आराधना) आचार्य श्री विद्यासागर महारजा जी(दिनांक – 12-7 -2012)
भारत में संस्कृति का पतन हो रहा है ! – आचार्य श्री विद्यासागर जी (दिनांक – 11-7-2012)
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में आयोजित धर्मसभा को सम्भोधित करते हुए दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की दादी माँ ने कहानी कही छोटी – छोटी पर कहानी कहीं लिखी नहीं है ! कुछ युवा बालक उसे समझने का प्रयास करें ऐसी ही जिनवाणी की कहानी है ! उसे समझने का प्रयास करें ! “मन के जीते जीत है और मन के हारे हार है ” याने मन के अन्दर पावर है ! हमारी उर्जा बाहर लग रही है उसे भीतर लगाये ! आज मंत्र का नहीं यन्त्र का उपयोग हो रहा है ! भोतिक विज्ञान से ज्यादा आत्मिक विज्ञान जरुरी है ! शोध करने वाला सहपाठी का इन्तेजार नहीं करता ! पहले विद्याओं के माध्यम से बड़े – बड़े कार्य होते थे !
आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा रचित विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य “मूकमाटी” के राजकोट गुजरात के विश्व विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है ! अहिंसा के क्षेत्र में कार्य करने वाले बसंत मनोरकर औरंगाबाद वालों ने भी आचार्य श्री को श्रीफल भेट किया ! बी.आर.जैन भिलाई ने भी श्रीफल भेट किया ! आचार्य श्री के चंद्रगिरी चातुर्मास की संभावना पूरी नज़र आ रही है !
चंद्रगिरी पर्वत के निचे चंद्रप्रभु की 21 फीट की प्रतिमा का कार्य शुरू हो गया है 7 शिल्पी कार्य कर रहे हैं लगभग 6 महीने में बनने की सम्भावना है ! बिर्जौलिया पाषाण की बनना है प्रतिमा ! आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के बारे में लोगो को भ्रमित किया जा रहा है स्वस्थ्य सम्बन्धी आचार्य श्री पूर्णतया स्वस्थ्य हैं सभी चर्चा पूर्ववत हैं ! आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसी साधना देखना दुर्लभ है ! उनका त्याग हिमालय जैसा है !
दंड से उदंडता ठीक होती है ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (भगवती आराधना) (दिनांक – 11-7 -2012)
आप क्वांटिटी नहीं क्वालिटी देखें ! आचार्य श्री विद्यासागर महारज जी (दिनांक – 8-7-2012)
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की इस चातुर्मास की स्थापना का समर्थन इन्द्र भी कर रहे हैं जब वर्षा के साथ यदि धर्म वर्षा भी हो जाए तो ये अच्छा रहेगा ! मुनिराज अहिंसा धर्म के पालन एवं जीव रक्षा के लिए करते हैं चातुर्मास ! आज हम वनों में नहीं रह पाते हैं तो यहाँ स्थापना करना पड़ रहा है ! हमारी स्थापना तो 2 जुलाई 2012 को हो गयी थी श्रावको ने आज कलश स्थापना की है ! आज हमें जल छानने के संस्कार देने चाहिए ! रस्सी , कलशा, छन्ना हमेशा बाहर जाते समय साथ में रखना चाहिए ! आज मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, आदि बड़े – बड़े शहरों में लोग कूये के पानी के द्वारा प्रतिमाओं का पालन कर रहे हैं ! हम विज्ञापन के चक्कर में नहीं पड़ते हमारी तो पत्रिका (प्रवचन) प्रत्येक रविवार को प्रसारित होते हैं ! राजस्थान वाले कहते हैं की आप राजस्थान नहीं आते हो आप अपने बच्चों का दान करें जिन्हें हम मुनि, आर्यिका आदि बना सके ! आज के कलश बड़े बाबा कलश श्री अशोक पाटनी (आर.के.मार्बल), चंद्रप्रभु कलश प्रभात जी मुंबई, चातुर्मास कलश पंकज जैन दिल्ली, स्वाध्याय कलश विनोद कोयला परिवार, जीवदया कलश हनुमान प्रसाद बडजात्या जसपुर आदि ने लिया ! आज महासभा अध्यक्ष निर्मल सेठी दिल्ली से पधारे इस कार्यक्रम में डोंगरगढ़, राजनंदगांव, धमतरी, दुर्गा, भिलाई, आदि से पधारे!
जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण करना है ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (दिनांक -6-7-2012)
वीर शासन जयंती एवं प्रतिभा स्थली के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाए !
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की प्रतिभा स्थली के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाए शीत, हवा, पौधे, आदि के रूप में मुखोटा लगाकर कार्यक्रम प्रस्तुत किया !
“मै राष्ट्रीय पशु न सही लेकिन राष्ट्रीय संत की गाये हूँ”
“बच्चों ने कहा की आचार्य श्री कहते हैं की मंदिर में लगने वाले पत्थर की चीप बनो चिप नहीं चीफ (मुख्य) है ! प्रतिभा स्थली में लगभग 500 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही है ! बच्चों ने अडवांस में राखी भेंट की आचार्य श्री को आज हम महावीर को नहीं देख पा रहे हैं पर हम गुरु के माध्यम से उन्हें जान रहे हैं ! हम इस परंपरा में आये इसलिए वीर प्रभु हमसे दूर नहीं और हम उनसे दूर नहीं! एक – एक क्षण को उपयोग करो और कराओ ! आप लोग नदी बने तालाब नहीं, पानी पर टला लगा दिया जाए उसका नाम तालाब होता है ! हम बहुत सारे तीर्थों से जुड़े हैं चतुर्थ काल से पंचम काल और आगे जब तक तीर्थ नहीं आता है अभी महावीर का शासन काल चल रहा है ! हर व्यक्ति अपने आप को उन्नत बनाना चाहता है ! शारीर के दास नहीं बनो गुणों के साथ शारीर का सम्बन्ध होना चाहिए ! हम वासना के दास नहीं बने ! उत्साह जरुरी है पुरस्कार भी जरुरी है ! उत्साह अलग है प्रेरणा अलग है ! आत्मा की खुराक तो ज्ञानामृत है ! इमली को मुख से निकालो तभी लड्डू का स्वाद आएगा ! इस शरीर को पेट्रोल (भोजन) नाप तौल कर ही दो ! जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण करना है ! अच्छे कुम्भकार की तलाश करो ! आप लोगों के लिए बोध बहुत हो गया अब शोध की आवश्यकता है ! आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का आहार डोंगरगढ़ चंद्रसेना के प्रेसिडेंट सपेम जैन “अमूल” के यहाँ हुआ !
छात्र – छात्राओं को विशेष प्रवचन संसार में सबसे बड़ी बीमारी तनाव है ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (दिनांक -5-7-2012)
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की प्रतिभा स्थली में शिक्षिकाओं को संख्या ज्यादा और छात्राओं की संख्या कम है आप लोग संख्या बढाएं खर्चा ज्यादा हो और काम कम यह ठीक नहीं है ! किसका मन प्रतिभा स्थली में नहीं लग रहा है हाँथ उठायें ! जिनका मन नहीं लग रहा उनका सहयोग करें जिनका मन लग रहा है ! आचार्य श्री ने बच्चों से चर्चा भी की ! जिस प्रकार सब विषयों में नंबर मिलते हैं वैसे ही खेल कूद में भी नंबर आना चाहिए ! सब लोगों की पढाई ठीक चल रही है ? सब पढ़ाते ठीक हैं ? मोक्ष मार्ग में चलते समय गाडी चलती रहती है लेकिन सोना नहीं है ! भगवान् ने गाडी दी है तो हम गंतव्य तक पहुचेंगे ! टेंशन किसको बढती है नंबर कम आने से क्यों बढती है टेंशन ! टेंशन को हिंदी में तनाव कहते हैं ! तन जाते हैं तो तनाव आता है तनाव की परिभाषा, तनाव के कारण क्या है ? यह बीमारी बहुत खतरनाक है ! तनाव में आजायेंगे तो पढाई नहीं होगी ! किसी भी अस्पताल में तनाव का इलाज नहीं है ! डॉक्टर भी तनाव में रह सकते हैं ! किस रास्ते से तनाव आता है उस रास्ते को बंद कर दो !
प्रतिभा स्थली जबलपुर में है इसमें कक्षा १२वी तक की शिक्षा सी.बी.एस.ई. के माध्यम से दी जाती है ! सिर्फ छात्राओं को ही दी जाती है ! लगभग १०० ब्रह्मचारिणी बहने शिक्षिकाएं हैं जो जैन धर्म के संस्कार भी देती हैं और वहां मंदिर के प्रतिदिन दर्शन, रत्रिभोजन त्याग, पाठशाला एवं अन्य संस्कार भी दिए जाते हैं ! संस्कृति, कला, डांस, अन्य चीजे भी सिखाई जाती है जो अन्य स्कूलों में सिखाई जाती हैं ! यह देश का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय है जहाँ संस्कार शाला है !
गुरु पूर्णिमा पर विशेष प्रवचन भगवान् का पता देते हैं गुरु ! – आचार्य श्री विद्यासागर महारज जी (दिनांक – 3-7 -2012)
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की यह गुरु पूर्णिमा पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है ! आज के गुरु बनाते है लोग और दर्शन करने आते हैं ! पूर्ण चन्द्रमा का दर्शन पूर्णिमा के दिन होता है ! चन्द्रमा पूर्ण कलाएं बिखेरता है ! इस तिथि का विशेष महत्व है ! इस दिन गुरु को शिष्य और शिष्य को गुरु मिले थे ! वीर भगवान् की दिव्य ध्वनि 66 दिन तक नहीं खीरी थी फिर वीर शासन जयंती के दिन खीरी थी, उसी दिन से वीर शासन प्रारंभ हुआ, वीर भगवान् का शासन प्रारंभ हुआ ! कुछ सेल्समेन होते हैं जिनको कमिसन मिलता है ! वह मुनि मेकर होते हैं ! गुरु प्रभु की पहचान बताते हैं पता देते हैं जो राम आतमराम की पहचान बताते हैं ! जो भगवान् का स्वरुप बताते हैं ! जो आत्मा का पता दे वह गुरु होता है ! गुरु का एड्रेस नहीं होता है, विश्वास को साथ लेकर चलो ! अनेक दृष्टान्त भी बताएं !
वर्षायोग स्थापना महत्वपूर्ण है ! – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी (दिनांक – 2-7 -2012)
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की आज हमारी स्थापना हो गयी है ! साधू साधना के लिए ही चातुर्मास करते हैं ! श्रावक 8 जुलाई को कलश की स्थापना करेंगे ! चातुर्मास में बहुत जीव उत्पन्न होते हैं इसलिए साधू एक जगह रहकर साधना करते हैं ! आज आचार्य श्री ने सभी मुनिराजों को मौन की साधना दी है !
भगवान की मुद्रा प्रसन्न है ! – आचार्य श्री विद्यासागर जी (दिनांक – 1-7 -2012)
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की उपवास करते समय मन आकुल – व्याकुल नहीं होना तप है ! भूख – प्यास की वेदना से आकुल – व्याकुल नहीं होना चाहिए ! रस को त्यागने से शरीर में उत्पन्न हुए संताप को सहना तप है ! मनुष्यों से शून्य स्थान (जंगल आदि) में निवास करते हुए पिशाच, सर्प , मृग, सिह, आदि को देखने से उत्पन्न हुए भय को रोकना तथा परिषय को जीतना चाहिए !
भाव को नहीं छोड़े ! – आचार्य श्री विद्यासागर जी (दिनांक – 24 -06 -2012)
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने दीक्षा दिवस के अवसर पर धर्म सभा को सम्भोधित करते हुए कहा की आज रविवार है और भी कुछ है (दीक्षा दिवस ) लेकिन अतीत की स्मृति के लिए आचार्य कुंद – कुंद कहते हैं की याद रखना है तोह दीक्षा तिथि को याद रखो जिस समय दीक्षा ली थी उस समय क्या भाव थे उन्ही को याद करो ! काल निकल जाता है पर स्मृति के द्वारा ताज़ा बनाया जा सकता है ! उस समय की अनुभूति और अभी की अनुभूति में अंतर दीखता है ! हमारे भाव कितने वजनदार हैं देखना है ! भावों की उन्नति होना चाहिए ! जो गिरता है वो जल्दी उठता भी है और संभालता भी है ! आप दान, परोपकार आदि के भावों को याद रखो ! आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज जी को याद भी किया और कहा की वह महान थे ! आत्मा की कोई उम्र नहीं होती भावों की उम्र होती है, अनुभूति भावों की होती है ! गुरुदेव का उत्तर हमारे लिए अनुत्तर बन बन गया था ! भावो को नापो ज़िन्दगी क्या है ! द्रव्य की जगह भाव को याद करने की हमें वह योग्य बनाया गुरुदेव ने, हम गुरुदेव को प्रणाम करते हैं ! आचार्य श्री विद्यासागर जी रविवार होने के कारण दीक्षा दिवस पर, मंच पर आये ऐसा बहुत दिनों बाद हुआ है ! चातुर्मास कमिटी का भी गठन हुआ अध्यक्ष श्री सिंघई विनोद कोयला वाले बिलासपुर कार्यकारी अध्यक्ष जय श्री आईल मिल दुर्ग , संरक्षक श्री राजेंद्र विधायक गोंदिया को बनाया गया !
मधुर वचन होते हैं प्रभु के ! (दिनांक – 17 -06 -2012)
सोचना भी भटकन है ! – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज (दिनांक – 03 -06 -2012)
Jai jai gurudev