आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

माँ बाप औलाद के दुश्मन

संकलन:

श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ

जो माँ बाप अपनी औलाद की गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं, ऐदे माम बाप औलाद के दुश्मन होते हैं। अगर संतान गलती करती है और उसे सही समय पर टोका नहीं जाता है तो संतान का साहस दिन ब दिन बढता जाता है, और एक दिन ऐसा आता है, वह संतान अपनी सारी हदें पार कर देती है और वही संतान माँ-बाप के लिये नासूर बन जाती है। माँ-बाप के संतान के लिये स्नेह होना स्वाभाविक है, किंतु उस स्नेह में अन्धे हो जाना अकलमन्दी नहीं है। कई माँ-बाप अपनी संतान की बुराईयों को सुनना तक पसन्द नहीं करते, क्योंकि उनकी आम्ख पर अपनी औलाद की अच्छाईयों का रंगीन चश्मा लगा होता है और एक दिन आता है जब पछताने के सिवाय कोई चारा नहीं बचता है। अतः माँ-बाप को चाहिये कि वे अपनी संतान की अच्छाईयों के साथ साथ बुराइयों पर भी ध्यान दें, ताकि संतान गलत राह पर अग्रसर न हो सके।

किसी कवि ने ठीक ही कहा है:
“अगर मर्ज बढता गया तो दवा भी क्या असर करेगी,
औलाद की गलतियों को अनदेखा करने वाले एक दिन जरूर पछ्तायेंगे”

संतान

* बुद्धिमान संतति पैदा होने से बढकर संसार में दूसरा सुख नहीं।

* वह मनुष्य धन्य है जिसके बच्चों का आचरण निष्कलंक है, सात जन्म तक उसे कोइ बुराई छू नहीं सकती।

* संतान ही मनुष्य की सच्ची सम्पत्ति है, क्योंकि वह अपने संचित पुण्य अपने कृत्यों द्वारा उसमें पहुँचाता है।

* बच्चों का स्पर्श शरीर सुख है, कानों का सुख है उनकी बोली को सुनना।

* बंसी की ध्वनि प्यारी और सितार का स्वर मीठा है, ऐसा ही लिग कहते हैं जिन्होने अपने बच्चे की तुतलाती हुई बोली नहीं सुनी है।

* पुत्र के प्रति पिता का कर्तव्य यही है के उसे सभी में प्रथम पंक्ति में बैठने योग्य बना दे।

* माता के हर्ष का कोई ठिकाना नहीं रहता, जब उसके गर्भ से लडका उत्पन्न होता है, लेकिन उससे भी अधिक आनन्द उस समय होता है जब लोगों के मुँह से उसकी प्रशंसा सुनती है।

* पिता के प्रति पुत्र का कर्तव्य क्या है? यही के संसार उसे देख कर उसके पिता से पूछे कि किस तपस्या के बल पर तुम्हे ऐसा सुपुत्र मिला है।

प्रवचन वीडियो

कैलेंडर

october, 2024

चौदस 01st Oct, 202401st Oct, 2024

चौदस 11th Oct, 202411th Oct, 2024

चौदस 16th Oct, 202416th Oct, 2024

चौदस 24th Oct, 202424th Oct, 2024

चौदस 31st Oct, 202431st Oct, 2024

X