संकलन:
श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ
- धन से मास्टर तो मिल सकता है मगर – बुद्धि नहीं।
- धन से सुख सुविधा तो मिल सकती है मगर – शांति नहीं।
- धन से औषधि तो मिल सकती है मगर – आयु नहीं।
- धन से डॉक्टर तो मिल सकता है मगर – स्वास्थ्य नहीं।
- धन से भोजन तो मिल सकता है मगर – तृप्ति नहीं।
- धन से सहचर तो मिल सकता है मगर – सच्चा मित्र नहीं।
- धन से पिस्तौल तो मिल सकता है मगर – साहस नहीं।
- धन से स्त्री तो मिल सकती है मगर – उसका प्यार नहीं।
- धन से मूर्ति तो मिल सकती है मगर – भगवान नहीं।
- धन से मकान तो मिल सकता है मगर – इज्जत नहीं।
- धन से बाह्य बल तो मिल सकता है मगर – आत्म सम्बल नहीं।
- धन से गीत मिल सकता है मगर – सुर, ताल, लय नहीं।
- धन से इंसाफ तो मिल सकता है मगर – इमान नहीं।
- धन से दर्पण तो मिल सकता है मगर – दृष्टि नहीं।
- धन से शिक्षा तो मिल सकती है मगर – दीक्षा नहीं।
- धन से शोहरत तो मिल सकती है मगर – आबरू नहीं।
- धन से दुनिया मिल सकती है मगर – साधना नहीं।
- धन से मोह तो मिल सकता है मगर – मोक्ष नहीं।
- धन से धन तो मिल सकता है मगर – धर्म नहीं।
- धन से आदमी तो मिल सकता है मगर – आनन्द नहीं।