समयसागर जी महाराज इस समय बिना बारह में हैं सुधासागर जी महाराज इस समय आगर में हैंयोगसागर जी महाराज का चातुर्मास नागपुर में मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज गुणायतन में हैंदुर्लभसागरजी जी महाराज एलोरा में विराजमान हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी अहमदाबाद में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर विनम्रसागरजी महाराज का चातुर्मास खजुराहो में

भगवान महावीर के सिद्धांत

भगवान महावीर के सिद्धांत

श्रीमती सुशीला पाटनी
आर. के. हाऊस, मदनगंज- किशनगढ

अहिंसा

प्राणियों को नहीं मारना, उन्हे नहीं सताना। जैसे हम सुख चाहते हैं, कष्ट हमें प्रीतिकर नहीं लगता, हम मरना नहीं चाहते, वैसे ही सभी प्राणी सुख चाहते हैं कष्ट से बचते हैं, और जीना चाहते हैं। हम उन्हें मारने/सताने का भाव मन में न लायें, वैसे वचन न कहें और वैसा व्यवहार/कार्य भी ना करें। मनसा, वाचा, कर्मणा प्रतिपालन करने का महावीर का यही अहिंसा का सिद्धांत है। अहिंसा, अभय और अमन चैन का वातावरण बनाती है।इस सिद्धांत का सार-सन्देश यही है कि प्राणी-प्राणी के प्राणों से हमारी संवेदना जुडे और जीवन उन सबके प्रति सहायी/सहयोगी बनें।

तोप, तलवार से झुका हुआ इंसान एक दिन ताकत अर्जित कर पुनः खडा हो जाता है।

अनेकांत-

भगवान महावीर का दूसरा सिद्धांत अनेकांत का है। अनेकांत का अर्थ है- सह-अस्तित्व, सहिष्णुता, अनुग्रह की स्थिति। इसे ऐसा समझ सकते हैं कि वस्तु और व्यक्ति विविध धर्मी हैं।

अपरिग्रह-

भगवान महावीर का तीसरा सिद्धांत अपरिग्रह का है। अर्थात संग्रह- यह संग्रह मोह का परिणाम है। जो हमारे जीवन को सब तरफ से घेर लेता है, जकड लेता है, परवश/पराधीन बना देता है वह है परिग्रह। धन पैसा आदि लेकर प्राणी के काम में आने वाली तमाम वस्तु/सामग्री परिग्रह की कोटि में आती है।

आत्म स्वातंत्र्य-

भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित एक सिद्धांत आत्म स्वातंत्र्य का है, इसे ही अकर्तावाद या कर्मवाद कहते हैं। अकर्तावाद का अर्थ है – ‘ किसी ईश्वरीय शक्ति/सत्ता से सृष्टि का संचालन नहीं मानना।‘ यह सिद्धांत इसलिये भी प्रासंगिक है कि हमें अपने किये गये कर्म पर विश्वास हो और उसका फल धैर्य, समता के साथ सहन करें। वस्तु का परिणमन स्वतंत्र/स्वाधीन है।

मन में कर्तव्य का अहंकार ना आये और ना ही किसी पर कर्तव्य का आरोप हो। इस वस्तु-व्यवस्था को समझ कर शुभाशुभ कर्मों की परिणति से पार हो आत्मा की स्वच्छ दशा को प्राप्त करें। बस यही धर्म का चतुष्टय भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों का सार है। व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है, यह उद्घोष भी महावीर की चिंतन धारा को व्यापक बनाता है। इसका आशय यह है कि प्रत्येक व्यक्ति मानव से महामानव, कंकर से शंकर और भील से भगवान बन सकता है। नर से नारायण और निरंजन बनने की कहानी ही महावीर का जीवन दर्शन है।

1 Comment

Click here to post a comment

प्रवचन वीडियो

2023 : विहार रूझान

मेरी भावना है कि संत शिरोमणि विद्यासागरजी महामुनिराज का विहार यहां होना चाहिए :




2
4
24
1
25
View Result

कैलेंडर

november, 2023

05nov(nov 5)3:18 pm(nov 5)3:18 pmपुष्य नक्षत्र तिथि

12nov(nov 12)11:08 am(nov 12)11:08 amचातुर्मास निष्ठापन

13nov(nov 13)11:08 am(nov 13)11:08 amभगवान महावीर स्वामी निर्वाण कल्याणक (दीपावली पर्व एवं वीर निर्वाण संवत प्रारम्भ)

20nov(nov 20)11:11 am(nov 20)11:11 amअष्टान्हिका महापर्व~२० नवम्बर से २७ नवम्बर तक

X