आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

अजन्मी बेटी का अपनी माँ को एक मार्मिक पत्र

श्रीमती सुशीला पाटनी
आर.के. हाऊस,
मदनगंज- किशनगढ़ (राज.)

मेरी प्यारी मम्मी! मैं यहां खुश हूँ और भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि आप भी सुखी रहे। यह पत्र मैं इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मैंने एक सनसनीखोज खबर सुनी है जिसे सुनकर मैं सिर से पाँव तक काँप उठी हूँ।

स्नेहमयी मां आपको मेरे कन्या होने का आपको पता चल गया है और मुझ मासूम को जन्म लेने से आप रोकने जा रही हैं- यह सुनकर मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है। भला – प्यारी स्नेहमयी माँ का कोमल हृदय ऐसा कैसे करने को राजी हो गया है। कोख में पल रही अपनी लाड़ली के सुकुमार शरीर पर नश्तर की चुभन एक माँ का हृदय कैसे स्वीकार कर सकता है।

पुण्यशील माँ! बस आप एक बार कह दीजिए कि यह जो मैंने सुना है वो सब झूठ है। दरअसल यह सब सुनकर मैं दहल सी गयी हूँ। मेरे हाथ इतने सुकोमल है कि इनसे डाक्टर के क्लीनिक की तरफ जाते वक्त आपकी चुन्नी भी जोर से नहीं खींच सकती ताकि आपको इस कृत्य को करने से रोक लूँ। मेरी बाहें भी इतनी पतली और कमजोर है कि उन्हें आपके गले में डालकर लिपट भी नहीं सकती हूँ।

मधुमयी माँ मुझे मारने के लिए आप जो दवा लेनी चाहती हैं वह मेरे नन्हें शरीर को बहुत कष्ट देंगी। स्नेहमयी माँ उससे मुझे बहुत दर्द होगा। आप तो देख नहीं पायेगी कि वह दवार्इ आपके पेट के अन्दर मुझे कितनी बेरहम से मार डालेगी, डाक्टर की कैंची मेरे नाजुक – नाजुक अंगों जैसे हाथ पैरों को काट डालेगी। अगर आप यह सब दृश्य देखती तो ऐसा करने के लिए कभी नहीं सोचती।

सुखदायी माँ ! मुझे बचाओ, मुझ पर रहम करो, दयामयी माँ मुझे बचाओ यह दवा मुझे आपके शरीर में इस तरह फिसला देगी जैसे गीले हाथों से साबुन की टिकिया फिसलती है। भगवान के लिए माँ ऐसा कभी मत करना। मैं यह पत्र इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि अभी तो मेरी आवाज भी नहीं निकलती- कहे भी तो किससे और कैसे ! मुझे जन्म लेने की बड़ी ललक है, माँ अभी तो आपके आंगन में मुझे नन्हें पैरों से छम – छम नाचना है, अापकी ममता भरी गोद में खेलना है।

चिन्ता नहीं कर, माँ मैं आपका खर्चा नहीं बढ़ाउँगी। मत लेकर देना मुझे पायल….. मैं दीदी की छोटी पड़ चुकी पायल ही पहन लूँगी। भैया के छोटे पड़ चुके कपड़ों से तन ढाँक लूँगी। माँ बस एक बार……… एक बार मुझे इस कोख से निकल कर चाँद – सितारों से भरे आपके आसमान तले जीने का मौका तो दीजिए। मुझे भगवान की मंगलमय सृष्टि का अवलोकन तो करने दो।

मैं आपकी बेटी हूँ। आपकी लाड़ली शहजादी । मुझे अपने घर में आने दो माँ, बेटा होता आप पाल लेती, फिर मुझमें क्या बुरार्इ है। क्या आप दहेज के डर से मुझे नहीं चाहती, न माँ आप दहेज से मत डरना। यह सब भुलावा है ! कुछ कोशिश आप करना, कुछ मैं स्वयं करूँगी। बड़ी होकर मैं अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊँगी फिर दहेज क्या चीज है ? इसका भय दूर हो जायेगा।

माँ सिर्फ एक बार मुझे जन्म ले लेने दो। मेरी प्यारी माँ।

प्रवचन वीडियो

कैलेंडर

april, 2024

अष्टमी 02nd Apr, 202402nd Apr, 2024

चौदस 07th Apr, 202407th Apr, 2024

अष्टमी 16th Apr, 202416th Apr, 2024

चौदस 22nd Apr, 202422nd Apr, 2024

X