आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

मंगल प्रवचन : आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज : (कुंडलपुर) [15/05/2016]

कुण्डलपुर। श्रमण शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों में सर्वाधिक अनुकूल प्रबंधक प्रकृति होती है। बड़े बाबा के मस्तक अभिषेक से पाप कर्म की निर्जरा तथा पुण्य का बंधु सुनिश्चित है। मई की गरमी में मेघों से बड़ी-बड़ी बूंदें होंगी और मंद-मंद सुगन्ध का झोंका चलेगा। सौधर्म इन्द्र भी भगवान का स्पर्श नहीं कर सकता, वह भगवान का रूप देखकर देखने में ही निमग्न हो जाता है।

आचार्य श्री विद्यासागर ने कहा कि श्रोताओें की तालियों के साथ मेघों से बड़ी-बड़ी बूंदों की ध्वनि का साम्य से स्पष्ट है कि प्रकृति भी आयोजन के प्रबंध में सहयोगी है। सम्यक दृष्टि मरणोपरांत देव गति को प्राप्त करता है। देव की सेवा के लिए उपलब्ध है, आपकी आशा का पालन करेंगे, सम्यक दृष्टि से देव पर्याय प्राप्त को सेवा नहीं भगवान चाहिए। मौलिक चैत्यालय के दर्शन कर सम्यक दृष्टि देव अचंभित रह जाते हैं।

यहां विलासिता है तो वीतरागता भी है। पन्द्रह शताब्दी पूर्व ग्रंथ तिलोएपण्णत्ति का उल्लेख कर आचार्य श्री ने कहा कि वृहद से वृहद और सूक्ष्म से सूक्ष्म वर्णन विद्यमान है। अद्वितीय कृति है। देवगति में भी विषय कषाय में रमने की अपेक्षा देव विषयातीत बिम्ब के दर्शन में रम जाते हैं। जीवन्त भगवान को स्पर्श नहीं कर सकते, यह बंधन नहीं वंदना है। बड़े बाबा हमें मिले हैं। मुनि को तो नवधाभक्ति पूर्व उच्चासन पर बैठाकर अभिषेक कर सकते हैं। साक्षात् भगवान के बिम्ब जिनबिम्ब अभिषेक का अवसर प्राप्त है।

आचार्य श्री ने बताया कि सम्यक दृष्टि वीतराग देव का दर्शन अभिषेक करता है मिथ्या दृष्टि और भावों के साथ सम्यक दृष्टि वीतराग देव तो अन्य दृष्टि भाव के साथ कुल देवता के रूप अभिषेक करता है। दृष्टि और भाव में भेद है, मूल में वीतराग देव हैं। गंधोदक का प्रयोग भी भिन्न भिन्न रूप में किया जाता है। वर्ष में तीन बार अष्टान्हिका पर्व पर देव नन्दीश्वर द्वीप जाकर पूरे सप्ताह विशेष महोत्सव करते हैं। महोत्सव तिथि ज्यों-ज्यों समीप आ रही है प्रकृति भी अनुकूल प्रबंध कर रही है। तापक्रम क्रम से अनुकूल हो रहा है। प्रकृति भी अनुकूल हो रही है। भिन्न भिन्न प्रान्तों से आने वालों पर एक स्थान के मौसम का प्रभाव भी भिन्न होता है। राजस्थान प्रान्त के निवासी अमरकन्टक के मौसम से अचंभित रह जाते हैं। यहां ऐसी वर्षा होती है, हमारे यहां तो छीटों के बरसने को भी वर्षा मान लेते हैं। शुद्ध भावना और विशुद्धि के साथ धर्म महोत्सव मनायेंगे तो प्रत्येक को मौसम अनुकूल लगता है।

प्रवचन वीडियो

कैलेंडर

march, 2024

अष्टमी 04th Mar, 202404th Mar, 2024

चौदस 09th Mar, 202409th Mar, 2024

अष्टमी 17th Mar, 202417th Mar, 2024

चौदस 23rd Mar, 202423rd Mar, 2024

X