परिग्रह (धन) कम करने से बढ़ती है शांति- आचार्यश्री
इनटेंशन सही हो तो नहीं होती टेंशन
चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागर महाराज जी ने एक उदाहरण के माध्यम से बताया की जिस प्रकार एक लाइट (बल्ब) की सीरिज में अलग-अलग वोल्टेज के बल्ब लगे होते हैं किन्तु उनको करंट बराबर सप्लाई दिया जाता है। मान लो शुरू में जीरो पॉवर का बल्ब लगा हो और ऐसे बड़ते क्रम में अंत में हैलोज़न लगा हो वहाँ लिखा है DANGER (खतरा)। जो जीरो पॉवर का बल्ब है वह भी प्रकाश देता है और जो हाई पॉवर हैलोज़न है वह भी प्रकाश देता है। कम वोल्टेज बल्ब के आस पास रौशनी होती है और अँधेरा उसे छू भी नहीं सकता कितना भी घोर अँधेरा क्यों न हो वह उस लाइट के प्रकाश को छू नहीं सकता।
इसी प्रकार जिन लोगों के पास अधिक धन है उन्हें हाई टेंशन है DANGER (खतरा) है। उन्हें चैन की नींद नहीं आती है सोने के लिए भी दवाइयां खाते हैं और जो जीरो वोल्टेज है जिसके लिए कोई चार्ज नहीं लगता है वो हम लोग हैं जिनके पास कोई धन नहीं है और वे अल्प निद्रा में भी शांति और सुकून से रहते हैं। आचार्य श्री ने कहा की गृहस्थ को अल्प परिग्रह रखना चाहिये और जिनके पास ज्यादा परिग्रह है उन्हें उसे कम करना चाहिये जिससे वे सुख – शांति और सुकून से राह सकें। इनटेंशन सही हो तो नहीं होती टेंशन।
यह जानकारी चंद्रगिरि डोंगरगढ़ से निशांत जैन (निशु) ने दी है।