नीम और गाय स्वास्थ्य के लिए अमृत सम : आचार्यश्री
चन्द्रगिरि (डोंगरगढ़) में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि नीम का वृक्ष बहुत उपयोगी होता है। उसकी छाल से बनी जड़ी-बूटियों से बड़े से बड़े रोगों व विभिन्न बीमारियों का उपचार संभव है।
वृक्ष ऑक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करते हैं जिससे हमें प्राणवायु प्राप्त होती है। नीम का फल कड़वा होता है, परंतु उसका स्वास्थ्य के लिए लाभ बहुत है। नीम की शाखाओं एवं टहनी का उपयोग दातुन आदि के लिए भी उपयोग किया जाता है। इस प्रकार नीम का वृक्ष मनुष्य एवं प्रकृति के लिए बहुत लाभकारी है जिसे पहले के लोग अपने आंगन में लगाते थे और स्वस्थ रहते थे। आज आप लोग इस ओर ध्यान नहीं देते हैं और कई छोटी-बड़ी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।
गायें बहुत भोले-भाले मुख वाली होती हैं जिसे हम गैया भी कहते हैं। वे हमारे लिए अत्यंत दुर्लभ हैं, क्योंकि वे हमेशा 24 घंटे प्राणवायु ऑक्सीजन ग्रहण करती व छोड़ती हैं। उसके सींग की कीमत सोने से भी ज्यादा है। यदि आज सोना 30,000 रुपए है तो उसकी कीमत 1 लाख रुपए से भी अधिक है। गाय के दूध में स्वर्ण होता है। उसका सेवन अमृत-सम होता है। घर में गायें होने से घर का पूरा वातावरण पवित्र हो जाता है। गायों द्वारा ऐसी क्या रासायनिक क्रिया की जाती है जिससे वे प्राणवायु ऑक्सीजन ग्रहण करती व छोड़ती हैं, यह विचारणीय है।
9 एवं 10 दिसंबर 2017 को चन्द्रगिरि तीर्थ क्षेत्र में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया है जिसमें सभी प्रकार के रोगों का बाहर से आए आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा इलाज किया जा रहा है एवं मरीजों के लिए नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था की गई है।
रविवार को डोंगरगढ़ से एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों लोगों ने अपना इलाज करवाकर लाभ लिया जैसे बीपी, शुगर, सिरदर्द, माइग्रेन, खुजली, अस्थमा आदि बीमारियों का इलाज नि:शुल्क आयुर्वेदिक औषधि एवं योग-प्राणायाम द्वारा किया गया।
यह जानकारी चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ से निशांत जैन (निशु) ने दी है।