आचार्यश्री समयसागर जी महाराज इस समय डोंगरगढ़ में हैंयोगसागर जी महाराज इस समय चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में हैं Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर आर्यिका पूर्णमति माताजी डूंगरपुर  में हैं।दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

आचार्य श्री : इंदौर दैनिक खबरें

20 वर्ष पहले इंदौर था वो अब नहीं है, नगरों में बंट गया सब चाह रहे महाराज उनकी गलियों में आ जाएं: विद्यासागर (13/01/2020)

 आचार्यश्री रविवारीय प्रवचन : 12 जनवरी 2020

आचार्य विद्या सागरजी के रविवार को पहली बार विशेष प्रवचन हुए। दर्शन, प्रवचन सुनने के लिए बड़ी संख्या में समाजजन तिलक…

आचार्य विद्या सागरजी के रविवार को पहली बार विशेष प्रवचन हुए। दर्शन, प्रवचन सुनने के लिए बड़ी संख्या में समाजजन तिलक नगर पहुंचे। आचार्य ने कहा कि अब समझ आ रहा है कि समवशरण, नगर और महानगरों के बाहर ही क्यों? नगरों में और महानगरों में समवशरण आ जाए तो क्या व्यवधान उपस्थित होता है। आप लोगों ने अनुभव किया हो तो बता दो।

मंत्री पटवारी ने भी लिया आशीर्वाद : उच्चशिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने आचार्यश्री का आशीर्वाद लिया। उन्होंने आचार्य द्वारा लिखित मूकमाटी पुस्तक सभी कॉलेज की लाइब्रेरी में रखवाने व पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही। विनय बाकलीवाल भी साथ थे।

आचार्य की विशेष पाठशाला
बदलाव : आचार्य ने कहा इंदौर क्यों बुला रहे हो? इर्द-गिर्द रहते तो भी ठीक था। सारे लोग अब इंदौर तो भूल गए हैं, सब नगर पर आ गए हैं। ये उदय नगर है, ये वैभव नगर है, ये तिलक नगर है। सभी अपने नगर को रट रहे हैं। दूसरे नगर की बात नहीं कर रहे। ऐसी स्थिति में इंदौर को क्या कहना चाहते हैं। सोचो, विचार करो, इसका नाम इंदौर तो है ही नहीं। 20 वर्ष पूर्व का इंदौर था वो अब है ही नहीं। कई नगरों में विभाजित हो गया है। सब चाह रहे हैं कि महाराज उनकी गलियों में आ जाएं।

पुरुषार्थ : आचार्य ने कहा – आप तालियां न बजाएं, मुझे प्रसन्न करने का प्रयास न करें। तालियों में भी बहुत रहस्य गोल हो जाते हैं और आसमान में कहां चले जाते हैं पता नहीं। आकाशवाणी के भी पकड़ में नहीं आते हैं। कोई यंत्र स्थापित कर लो मेरे और दूसरे के भाव क्या हैं। भाव को जब हम प्रेषित करते हैं यह आपके ह्रदय तक चले जाते हैं। शब्दों में निहित भाव क्या हैं इसे देखने, समझने और ढूंढने का पुरुषार्थ करेंगे तब लगेगा कि हम बहुत कुछ हैं।

भाव : हमारे चर्या के लिए संघ उठता है। उस वक्त कई बच्चों को देखता हूं। बालक से पूछते हैं कि क्या चाहिए तो वह कहता है सोला…सोला समझते हो न, वो बच्चा समझता है। क्योंकि महाराज सोले के बिना आहार ग्रहण नहीं करते। उस बालक को सर्दी नहीं लगती। पहले कहता कंधे पर उठाओ, लेकिन जब महाराज आते तब कहता मेरा हाथ भी मत पकड़ो, हम भी परिक्रमा लगाएंगे। हम भी आहर देंगे। ये ही भावों का लेखा-जोखा है।

संस्कार : आज के बच्चे एक रुपया नहीं, नोटों की गड्डियां मांगते हैं। पहले एक पैसा, दो पैसा मांगते थे। उनमें संस्कार रहते थे, लेकिन आज पिता के पास नोटों की गड्डियां हैं तो मेरे पास भी होना चाहिए। वही नोटों की गड्डियां होने से संस्कार दूर हो जाते हैं। कई लोग मेरे पास आते हैं। बच्चों को संस्कार दे दो किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है।

Source : Bhaskar


(12/01/2020)


Source : Naidunia 


सपने मातृभाषा में आते हैं तो अंग्रेजी में बात क्यों करते हो (11/01/2020)

इंदौर शहर के बारे में बहुत सुना है। देखा दूसरी बार है। सुना था बहुत प्यास है, अब तृप्त हो जाओ। बार-बार कहा था एक बार इंदौर आ जाओ। ईश्वर ने आपकी सुन ली, अब आप ईश्वर की भी सुनो। प्रतिभास्थली का कार्य शीघ्रता से पूरा कर बच्चों के शिक्षण के मार्ग की कठिनाई दूर करो। यह बात दिगंबर जैन समाज के सबसे बड़े संत आचार्य विद्यासागर ने शुक्रवार को कही।

वे उदय नगर दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपको सपने मातृभाषा में आते हैं तो फिर अंग्रेजी में क्यों बात करते हो। दया तो दया है, इसलिए जहां भाषा भाव की अभिव्यक्ति होती है, वहां परमात्व भाषा की बात आती है। आज हम हिंदी भाषा को भूल दासत्व की भाषा अर्थात अंग्रेजी को अपना रहे हैं। ये गलत कर रहे हैं।

 धर्म की पहचान हमेशा अभिव्यक्ति से होती है, भाषा से होती है। हमेशा भावों की अभिव्यक्ति मातृभाषा में ही व्यक्त की जाती है।

मन से काम लो तो मानव बन जाओगे और मन के काम के लिए मन का भाव होना चाहिए और मन के भाव के लिए मातृत्व भाषा यानी मातृभाषा ही मन में आती है। सपने कभी यदि आपको आते हैं तो मातृभाषा में ही आते हैं। विदेशी भाषा में नहीं आते। जब स्वप्न ही आपको मातृभाषा में आते हैं तो फिर आप क्यों अंग्रेजी में बात करते हो। आचार्य का पाद प्रक्षालन मुकेश कुमार संजय कुमार पाटोदी परिवार ने किया।

आहार का सौभाग्य आलोक आकाश कोयला परिवार को मिला। प्रवचन के समय दयोदय चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट के साथ उदय नगर दिगंबर जैन मंदिर के पदाधिकारियों ने श्रीफल भेंट किया। इस मौके पर ब्रह्माचारी सुनील भैया, कमल अग्रवाल, अनिल जैन बांझल, संतोष जैन आदि मौजूद थे।

Source : www.naidunia.com


(11/01/2020)


समाज में छोटे परिवार का चलन, पर इनमें सुख-शांति नहीं रहती : विद्यासागरजी (10/01/2020)

इंदौर – आचार्य विद्यासागर महाराज ने गुरुवार को कहा कि आजकल शहरों में छोटे परिवारों का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है, लेकिन उन परिवारों में सुख और शांति नहीं रहती है। यदि बड़े परिवारों को छोटे परिवारों में बंटने से रोक लिया जाए तो लोगों की आधी परेशानियां तो खत्म हो जाएंगी।

आचार्यश्री ने उदय नगर स्थित जैन मंदिर में शिखरजी यात्रा की पुस्तक के विमोचन के पहले सम्मेद शिखरजी पर संबोधित करते हुए कहा कि मोक्ष के लिए जाना सब चाहते हैं, लेकिन इस मार्ग को लोग काफी कठिन मानते हैं। ऐसा लोगों के देखने के नजरिए के कारण होता है। वे अपना नजरिया बदल लेंगे तो वे मोक्ष के मार्ग पर आसानी से चल सकेंगे। उन्होंने कहा कि लोग अगर अपनी वाणी में झुकाव लाकर लचीलापन लाएं और फिर किसी के लिए शब्दों को मुख से बाहर निकालें तो संसार में कोई भी दुखी नहीं होगा।

Source : Bhaskar.com


जब तक संस्कार नहीं होंगे, बच्चे अपने माता-पिता को सुनाएंगे ही, सुनेंगे नहीं (09/01/2020)

एक दंपती को बहुत मिन्नातों के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन जब वो बढ़ा हुआ तो माता-पिता उसको संत के चरणों में लाए और बोले कि ये सुनता नहीं है, तो संत ने पूछा क्यों ये बहरा है क्या? तो उन्होंने कहा नहीं, बहरा नहीं है। सुनता नहीं है मतलब, अब तो हमें भी सुना देता है। आज अधिकांश माता-पिता इस परेशानी का सामना कर रहे हैं। संस्कारों के अभाव के कारण ये हो रहा है।

यह बात दिगंबर जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने बुधवार को उदय नगर दिगंबर जैन मंदिर में कही।

वे दयोदय चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तक संस्कार नहीं होंगे तब तक बच्चे अपने माता-पिता को सुनाएंगे ही, सुनेंगे नहीं। जब बच्चे कच्चे घड़े के रूप में रहते हैं, तब उनको संस्कार देने की बात आती है। विद्यालय तो बहुत चल रहे हैं, लेकिन शिक्षा क्या देना है, पाठ्यक्रम क्या होना चाहिए, ये किसी को पता नहीं है। बस विद्यालय चल रहे हैं। इनसे भारत का कल्याण कैसे होगा।

आचार्य ने कहा कि भारतीय भाषा जो हमारी मातृभाषा है, उस भाषा में ही शिक्षा होगी, तब ही हम तरक्की कर पाएंगे, विदेशी भाषा में नहीं। आज न्यायालय में निर्णय तो सुनाया जाता है, लेकिन सामने वाले की भाषा में नहीं, विदेशी भाषा में ही। ये सब भारतीय भाषा के अभाव में हो रहा है, इसलिए हमें अगर अपने संस्कारों को जीवित रखना है तो भारतीय भाषा को ही अपनाना होगा, विदेशी भाषा को छोड़ना होगा और संस्कारों की शिक्षा से ही जीवन को उन्नात करना होगा। इसके बाद प्रवचन सुनने आए तीन स्कूल संचालकों ने कहा कि हमारे स्कूल में हिंदी महत्वपूर्ण है। इसकी महत्ता से समझौता नहीं करेंगे। संचालन ब्रह्मचारी सुनील भैया ने किया। आभार कमल अग्रवाल ने माना।

आचार्य के दर्शन करने के लिए दोपहर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल पहुंचे।

उन्होंने ‘हथकरघा, इंडिया नहीं, भारत बोलो और भारत बने भारत’ अभियान के संबंध में चर्चा की। इस मौके पर विधायक रमेश मेंदोला, प्रदीप सुषमा गोयल, दयोदय चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से मनोज बाकलीवाल, सचिन जैन, संजय मेक्स, प्रजेश जैन आदि मौजूद थे।

आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से देश में पांच स्थानों पर संचालित प्रतिभास्थली में से एक डोंगरगढ़ प्रतिभास्थली की छात्रा शिखा पाटनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात करेंगी। उन्हें इसका मौका अपनी लेखन की विद्या में पारंगत होने के चलते मिला है। वे इस पारंगत होने का श्रेय आचार्य विद्यासागर को देती हैं। वे 20 जनवरी को पीएम से मुलाकात करेंगी। आचार्य की प्रेरणा और उनके मार्गदर्शन में पांच स्थानों पर प्रतिभास्थली है। इसमें जबलपुर, डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़, रामटेक महाराष्ट्र, टीकमगढ़ पपोराजी और इंदौर के नाम शामिल हैं।

Source : Naidunia


सांसद से बोले आचार्य विद्यासागर – आप तो शाकाहारी हैं, इंदौर को बनाइये (07/01/2020)

इंदौर। दिगम्बर जैन समाज के सबसे बड़े संत आचार्य विद्यासागर से मिलने सांसद शंकर लालवानी पहुंचे। सुनिल भैया ने लालवानी का परिचय कराया। कहा कि देश में सबसे ज्यादा वोट लाने वाले सांसद हैं। ये जैन समाज का विशेष ध्यान रखते हैं तो समाज भी इन्हें बहुत पसंद करता है।

आशीर्वाद के बाद आचार्य ने लालवानी को शाकाहारी होने की बात कही। इस पर लालवानी ने कहां कि मैं तो शाकाहारी हूं और पूरी तरह जैन धर्म का पालन करता हूं। इस पर आचार्य का कहना था कि इंदौर शाकाहारी बने इसको लेकर भी प्रयास किया जाना चाहिए।

विद्यासागर एक्सप्रेस ट्रेन डायरी का विमोचन करेंगे आचार्य
आचार्य विद्या सागर के नाम पर सम्मेद शिखरजी जाने वाली स्पेशल ट्रेन पर दिगंबर जैन समाज ने एक डायरी तैयार की है। इसका विमोचन खुद आचार्य करेंगे। ये ट्रेन २१ जनवरी को इंदौर से रवाना होगी

दिगम्बर जैन समाज सामाजिक संसद युवा प्रकोष्ठ इंदौर के अध्यक्ष राहुल सेठी, पिंकेश टोंग्या के मुताबिक उदय नगर दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में ये आयोजन होगा। इसमें समाज अध्यक्ष नरेंद्र वेद अध्यक्षता करेंगे।

यात्रा के संघपति कांतिकुमार जैन परिवार के साथ संयोजक सचिन कासलीवाल नांदेड़ और तेजकुमार, रितेश, अंकित सेठी परिवार का सम्मान किया जाएगा। सामाजिक संसद ने दो हजार डायरी बनाई है। इसमें शिखरजी यात्रा की पूरी जानकारी होगी।

24 टोंक के अघ्र्य, संतों के आशीर्वचन, पूर्णयाचक परिवार, सामाजिक संसद के पदाधिकारियों की जानकारी भी होगी। इस बार ये यात्रा 7 दिन की होगी जो 21 जनवरी से शुरू होकर 27 को खत्म होगी। शिखरजी में गणतंत्र दिवस मनाएंगे। ट्रेन में 1251 यात्री होंगे।

साभार : www.patrika.com


मोहन भागवत जी ने आचार्यश्री जी के किए दर्शन (07/01/2020)

इंदौर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने मंगलवार दोपहर आचार्य विद्यासागरजी के दर्शन किए। संघ प्रमुख यहां उदय नगर स्थित लवकुश विद्या विहार स्कूल पहुंचे और आचार्य श्री जी से आशीर्वाद लिया।

सूत्रों के अनुसार, संघ प्रमुख और आचार्यजी के बीच हथकरघा और हिंदी भाषा के संबंध में चर्चा हुई। संघ प्रमुख के साथ सह कार्यवाहक भैयाजी जोशी ने भी आचार्य से आशीर्वाद लिया। इस दौरान संघ प्रमुख ने यहां हथकरघा से बने कपड़ों को भी देखा।

मोहन भागवत ने हथकरघा से बने कपड़े देखें
भागवत यहां आरएसएस की अखिल भारतीय बैठक में शामिल होने इंदौर आए हैं। सद्भावना ट्रस्ट के निर्मल कुमार पाटोदी एवम् संतोष सर ने ट्रस्ट की ओर से आचार्या श्री के आवहान पर आधारित मोहन जी भागवत जी को ज्ञापन दिया।


35 परिवारों को मिला भोजन सेवा का सौभाग्य (07/01/2020)

इंदौर। आचार्य विद्यासागर सहित 35 जैन संतों के संघ के आगमन पर सोमवार की पहली सुबह उदयनगर में आस्था के उल्लास से भरी रही। दो किलोमीटर के दायरे में आने वाली पांच कॉलोनियों के 250 परिवारों ने मन, वचन और काया की शुद्धता का ख्याल रखकर रसोई बनाई थी। चौके में जैन नियम के अनुसार कुएं के जल से सादा भोजन बनाकर संतों से आहार ग्रहण करने के लिए निवेदन किया। हालांकि आहारचर्या का सौभाग्य 35 परिवारों को मिला। 200 से ज्यादा परिवारों को संतों को आहार देने का अवसर नहीं मिला तो भी वे निराश नहीं हुए। उन्होंने कहा कि आज नहीं तो कल सौभाग्य मिलेगा। कल नहीं तो परसों मिलेगा या फिर पांच-दस दिन बाद मिल जाएगा।

सोमवार सुबह उदयनगर जैन मंदिर के आसपास आहार के लिए संतों से निवेदन करने वाले उदयनगर, वैभव नगर, अलोक नगर, सुखशांति नगर, गोयल नगर के सैकड़ों परिवारों के लोग मौजूद थे। संत भी अपने मन में संकल्प लेकर निकले थे कि जैसे जहां छोटा बच्चा नजर आएगा, उसी परिवार के यहां आहार लेंगे या जहां माता-पिता और पूरा परिवार साथ नजर आएगा, उनके यहीं आहार के लिए जाएंगे। संतों के आहार का सिलसिला क्षेत्र में सुबह 9 से 11.30 बजे तक चला।

चौका सजाया था लेकिन आज नहीं मिला अवसर
हमने मन, वचन, काया के साथ घर की शुद्धि की थी। कुएं के जल से भोजन बनाया था। पूरा परिवार साथ था लेकिन आहार का सौभाग्य नहीं मिला। अभी संघ यहां है आगे भी प्रयास करते रहेंगे अवश्य मौका मिलेगा। – रितिक जैन

मिला सौभाग्य, बरसा आनंद
आज हमें विराटसागरजी को आहार देने का सौभाग्य मिला। इस बात की खुशी और आनंद को शब्दों में नहीं बता सकते हैं। आहार निर्विघ्न समाप्त हुआ। संत की कृपा आज हमारे परिवार पर बरसी। इसकी विशेष तैयारियां हम लोगों ने की थी। – राजेश बड़जात्या

मर्यादा : साधु की परछाई पर भी पैर न पड़े
– जैन मुनियों के लिए आहार बनाने में विशेष मर्यादा रखनी होती है। भोजन में उपयोग किए अनाज 7, शक्कर 15 और मसाले 15 दिन के भीतर पिसे हुए होने चाहिए।

– भोजन में उपयोग होने वाले जल के लिए भी मर्यादाएं हैं। आचार्य विद्यासागर के संघ के लिए कुएं जबकि पुलकसागरजी के संघ के लिए बोरिंग के जल से भोजन के निर्माण की मर्यादा है।

– आहारदाता का प्रतिदिन देवदर्शन का नियम, रात्रि भोजन का त्याग, सप्त व्यसनों का त्याग व सच्चे देव, शास्त्र, गुरु को मानने का नियम होना चाहिए।

– जिनका आय का स्रोत हिंसात्मक व अनुचित यानि शराब का ठेका, जुआ, सट्टा खिलाना, कीटनाशक दवाएं, नशीली वस्तुएं और जूत्ते-चप्पल के निर्माण का व्यापार आदि नहीं हो।

– उबले हुए उसी जल का इस्तेमाल होता है जो 24 घंटे के भीतर गर्म किया गया हो। इसके अलावा संतों का अपना संकल्प होता है, जिस अनुसार वे आहार के लिए परिवार का चयन करते हैं।

– जिनके परिवार में जैनोत्तरों से विवाह संबंध न हुआ हो अथवा जिनके परिवार में विधवा विवाह संबंध न हुआ हो।

– जो अपराध, दिवालिया, पुलिस केस, सामाजिक प्रतिबंध आदि से परे हो।

– जो भ्रूण हत्या, गर्भपात करते/करवाते हैं एवं उसमें प्रत्यक्ष/परोक्ष रूप से सहभागी होते हैं, वे भी आहार देने के पात्र नहीं हैं।

– शरीर में घाव हो या खून निकल रहा हो या बुखार, सर्दी-खांसी, कैंसर, टीबी, सफेद दाग आदि रोगों के होने पर आहार न दें।

– नीचे देखकर ही साधु की परिक्रमा करें एवं परिक्रमा करते समय साधु की परछाई पर भी पैर नहीं पड़े, इसका ध्यान रखें।

– संतों को खाद्य सामग्री एक ही व्यक्ति दिखाए, जिसने चौके में काम किया हो और जिसे सभी जानकारी हो। साथ में एक खाली थाली भी हाथ में रहे।

– महिलाएं एवं पुरुष सिर अवश्य ढांककर रखें जिससे बाल गिरने की आशंका नहीं रहे।

– शुद्धि बोलते समय हाथ जोड़कर धीरे से शुद्धि बोलें। आहार के दौरान मौन रहें।

बहुत आवश्यक होने पर सामग्री ढंककर सीमित बोलें।

– साधु जब अंजलि में जल लेते हैं तो अधिकांशत: जल ठंडा होता है, तभी यदि साधु हाथ के अंगूठे से इशारा करें तो उन्हें पीने योग्य गर्म जल दें। इसमें सावधानी रखें कि साधु-संत के हाथ नहीं जलें।

– साभार : नईदुनिया (रामकृष्ण मुले)

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