भारत में कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (CSR) के नियम अप्रैल 1, 2014 से लागू हैं. इसके अनुसार जिन कम्पनियाँ की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो तो उनको CSR पर खर्च करना जरूरी होता है. यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2% होना चाहिए. CSR नियमों के अनुसार, CSR के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होते हैं, बल्कि यह भारत में विदेशी कंपनी की शाखा और विदेशी कंपनी के परियोजना कार्यालय के लिए भी लागू होते हैं.
Corporate Social Responsibility (CSR)में क्या क्या गतिविधियाँ की जा सकती हैं C.S.R. के अंतर्गत कंपनियों को बाध्य रूप से उन गतिविधियों में हिस्सा लेना पड़ता है जो कि समाज के पिछड़े या बंचित वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए जरूरी हों.
इसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होती हैं :
1. भूख, गरीबी और कुपोषण को खत्म करना
2. शिक्षा को बढ़ावा देना
3. मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुधारना
4. पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना
5. सशस्त्र बलों के लाभ के लिए उपाय
6. खेल गतिविधियों को बढ़ावा देना
7. राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण
8. प्रधान मंत्री की राष्ट्रीय राहत में योगदान
9. स्लम क्षेत्र का विकास करना
10. स्कूलों में शौचालय का निर्माण
Approval Letter for form CSR
<td class="title" valign="top">करुणा का करुण क्रन्दन</td>
</tr> <tr> <td valign="top">पशु और पक्षी आज भी सभ्यता की अवहेलना से असमय ही मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। इन्हें मृत्यु का ग्रास बनाने वाला और कोई नहीं सभ्यता का रखवाला स्वयम् मानव ही है। <p>विडंबना ही है कि पशु-पक्षियों के साथ वन्य जीवन काल में फल-फूल खाकर जीवन यापन करने वाला मनुष्य माँस भक्षी हो गया? जिनकी मदद से जीवन की गाड़ी चलती थी, उन्हें ही खाने लगा। माँस-भक्षण के कारण मनुष्य के शरीर की आंतरिक और मानसिक स्थिति गड़बड़ा गई। तामसिक प्रवृत्ति के कारण वह क्रूर होने लगा। उसके स्वभाव का विकार सभ्यताओं के विनाश का कारण बन गया। यद्यपि नेमि, महावीर और गाँधी के प्रयत्नों ने इस क्रूरता पर लगाम लगाने का प्रयास किया, तब भी यह क्रूरता बढ़ती ही जा रही है। गाय को माँ और कामधेनु मानने वाला भारतीय इनको कत्ल करने का व्यवसाय कर रहा है। खून से सनी इस व्यावसायिकता के दानव ने मानवीय संवेदना को कुंठित कर दिया है। जिस गौवंश के पूजन को आदर्श बनाकर कृष्ण ने राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने के लिए गौवंश की महत्ता का प्रतिपादन किया। शिव ने गले में सर्प को धारण कर विषधर प्राणी तक को स्नेह का संदेश दिया और बैल को अपने नजदीक स्थान देकर सम्मान प्रदान किया। नेमिनाथ व महावीर ने प्राणीमात्र के साथ (समवशरण में) बैठकर धर्म के उपदेश दिए। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने तो यहाँ तक कहा है कि- 'गाय बचेगी तो मनुष्य बचेगा। गाय नष्ट होगी तो उसके साथ, हमारी सभ्यता और अहिंसा प्रधान संस्कृति भी नष्ट हो जाएगी और पीछे रह जाएँगे भूखे-नंगे हड्डी के ढाँचे वाले मनुष्य। अतः निर्बल और निःसहायों की सेवा मान कर गौ उपासना करें। खेद की बात यह है कि फिर भी हम क्रूर होते जा रहे हैं। करुणा के क्रंदन को ठुकराकर नष्ट पर्यावरण के साथ संस्कारहीन समाज बनाने पर आमादा हो गए हैं।</p></td> </tr> <tr> <td valign="top"> </td> </tr> <tr> <td class="title">रेवती ग्राम में स्थित दयोदय चेरिटेबल फाउंडेशन की भूमि का विवरणः </td>
</tr> <tr> <td valign="top"><b>स्थानः</b>- यह भूमि इंदौर-उज्जैन मार्ग पर ग्राम पंचायत भँवरासला, तहसील-साँवेर, जिला इंदौर के अंतर्गत है। प्रवेश मार्ग टोल टैक्स नाका के पास से है।</td> </tr> <tr> <td valign="top">रेवती ग्राम से २ कि.मी. दूर<br> आगरा-मुंबई मार्ग से विजयनगर- एम.आर.-१० टेन मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है।<p><b>स्थान का महत्वः</b>- यह अहिल्या माता की नगरी इंदौर और महाकाल की नगरी उज्जैन मार्ग पर स्थित है।</p></td>
</tr> <tr> <td align="right"><img src="../images/top.gif" height="10" width="10"> <a href="#">ऊपर</a></td> </tr> <tr> <td class="title" valign="top">संकल्प जिन्हें साकार करना हैः</td> </tr> <tr> <td align="center"> <table border="0" cellpadding="4" cellspacing="0" width="60%">
<tbody><tr> <td width="80%">गौशाला प्रवेश द्वार</td> <td width="20%">५१०००/-</td> </tr> <tr> <td width="80%">प्रति माह प्रति गाय भोजन खर्च</td> <td width="20%">५०१/-</td> </tr>
<tr> <td width="80%">प्रति गाय त्रैमासिक व्यय</td> <td width="20%">१५०१/-</td> </tr> <tr> <td width="80%">प्रति गाय अर्द्धवार्षिक व्यय</td> <td width="20%">२५०१/-</td> </tr>
<tr> <td width="80%">प्रति गाय वार्षिक व्यय</td> <td width="20%">५००१/-</td> </tr> <tr> <td width="80%">१२५ गाय पर प्रतिदिन व्यय</td> <td width="20%">२५०१/-</td> </tr>
<tr> <td width="80%">बागवानी व्यय प्रतिमाह</td> <td width="20%">३००१/-</td> </tr> <tr> <td width="80%">पशुओं का एक माह चिकित्सा व्यय</td> <td width="20%">११०१/-</td> </tr>
<tr> <td width="80%">संत निवास प्रति कक्ष निर्माण लागत राशि</td> <td width="20%">१,२५,०००/-</td> </tr> <tr> <td width="80%">सामाजिक सभागृह निर्माण राशि</td> <td width="20%">१०,००,०००/-</td> </tr>
<tr> <td width="80%">ओवर हेड टैंक निर्माण</td> <td width="20%">३,५०,०००/-</td> </tr> <tr> <td width="80%">पानी का कुँआ निर्माण लागत</td> <td width="20%">४०,०००/-</td> </tr>
<tr> <td width="80%">प्रति पौधा वार्षिक व्यय</td> <td width="20%">२५०/-</td> </tr> </tbody></table></td> </tr> <tr> <td class="title">अन्यः</td>
</tr> <tr> <td>१. भूमि विकास<br> २. स्वागत द्वार<br> ३. आंतरिक सड़कों का निर्माण<br> ४. नलकूप खनन<br> ५. प्रशासकीय कार्यालय<br>
६. भंडार गृह<br> ७. पशु चिकित्सालय (कुल २० कक्ष)<br> ८. उपकरण ट्रैक्टर व ट्रॉली<br> ९. पशु चिकित्सा शोध भवन<br> १०. औषधि भवन<br> ११. चारा कटाई मशीन<br>
१२. गोबर गैस प्लाँट</td> </tr> <tr> <td align="right"><img src="../images/top.gif" height="10" width="10"> <a href="#">ऊपर</a></td> </tr> <tr> <td class="subHeading">दयोदय पशु संवर्द्धन केंद्र (गौशाला)</td> </tr>
<tr> <td> <b>कार्यालयः-</b> २२, जाय बिल्डर्स कॉलोनी (रानी सती गेट) इंदौर- ४५२००३ (म.प्र.)<br> <b>संपर्कः-</b> ०७३१-५०८२९०२ मो. ९४२५०-८१००९ <br> <b>संचालकः-</b> दयोदय चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट<br> <b>कार्यालयः-</b> ५०, शिवविलास पैलेस, राजबाड़ा, इंदौर- ४५२००४ (म.प्र.)<br> <b>संपर्कः-</b>०७३१- २५३७५२२ मो. ९४२५०-२५३५२१, २५३६७६५, २५३०६४५ <br>
म.प्र. लोक न्यास, इंदौर क्र. आर/७०८/दि. ०७-०९-२०००<br> म.प्र. गौसेवा आयोग, भोपाल रजि.क्र.- ४१० दि. ०९-११-२००१<br> भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड, चेन्नई, रजि. क्र. १०-३१७/२००/जी.ज.क./एम.पी./एन.आर.आई. </td> </tr> <tr> <td> </td> </tr> <tr> <td class="title">ऐसी चीजें पहनिए जिसके लिए किसी का कत्ल नहीं किया गया हो...</td>
</tr> <tr> <td><ul> <li>गाय के कत्ल का पाप केवल (बीफ) माँस खाने से नहीं होता </li> <li>चमड़े के जूते पहनने से भी होता है </li> <li>और पर्स, बेग और अटैची के प्रयोग से भी </li> <li>जैकेट और बेल्ट के प्रयोग से भी, </li>
<li>और कार के गद्दों और सोफा के कवर के प्रयोग से भी। </li> <li>आधुनिक चमड़ा :- पशु की नैसर्गिक मृत्यु से नहीं, जीवित पशु को कत्ल करने से बनता है। ९९ प्रतिशत चमड़ा कत्लखाने से उपलब्ध होता है। </li> <li>स्मरण रहे, चमड़े के उपयोग से माँस सस्ता बिकता है। चमड़े की वस्तुओं का त्याग करने से- माँस अधिक महँगा बिकेगा। कसाईयों का मुनाफा घट जाएगा।</li> </ul> <p>यदि हम चाहते हैं कि माँसाहारियों की संख्या कम हो, तो हमें चमड़े का उपयोग त्याग देना चाहिए। इसी में समझदारी है। चमड़े की वस्तुओं का उत्तम विकल्प बाजार में उपलब्ध है। स्वच्छ पर्यावरण सबसे अधिक प्रदूषित चमड़ा उद्योग से होता है।</p></td> </tr> <tr> <td align="right"><img src="../images/top.gif" height="10" width="10"> <a href="#">ऊपर</a>