डोंगरगढ़। इस युग के अरिहंत प्रभु जन-जन के आराध्य, चतुर्थ काल की चर्या के धारी जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर महामुनिराज ससंघ का मंगल विहार मण्डला (म.प्र.) से हो गया है। बिरगांव होते हुए आचार्यश्री ससंघ का मंगल गमन कान्हाकिसली की घनघोर जंगलों से होता हुआ चारों तरफ जंगल, पहाड़, लंबी दूरी पर आदिवासियों के घरों से गुजरते हुए आचार्यश्री ससंघ के बैहर में आहारचर्या के उपरांत महाभ्रमण के चरण मलाजखण्ड के रास्ते छत्तीसगढ़ की तरफ बढ़े।
पास में ग्राम रघौली है वहाँ खुदाई में चार अति प्राचिन जैन प्रतिमा प्राप्त हुई है। जिनकी सेवा, पूजा व देखरेख यहाँ के स्थानीय आदिवासी करते हैं। रघौली ग्राम के आदिवासी आचार्यश्री की अगवानी के लिए राह तक रहे हैं। आचार्य भगवंत यहाँ जैन प्रतिमाओं के दर्शन करेंगे व विहार कर जाएंगे। इसी ग्राम से छत्तीसगढ़ की सीमा शुरू हो जाएगी और संभावित दिशा देवपुरा घाट, जंगलपुर घाट होते नर्मदा चैराहे से अतरिया होते 31 मार्च को सम्भवतः छुईखदान आएंगे और छुईखदान के रास्ते चंद्रगिरि डोंगरगढ़ 4 या 5 अप्रैल तक पहुंचने की सम्भावना है।
आचार्यश्री के स्वागत में जुटा डोंगरगढ़ जैन समाज: डोंगरगढ़ सकल जैन समाज अपने गुरूवर के स्वागत की तैयारियों में जूट गया है। डोंगरगढ़ जैन समाज के अध्यक्ष श्री सुभाषचन्द जैन, कोषाध्यक्ष श्री अनिल कुमार जैन एवं महामंत्रि श्री सप्रेम जैन एवं सारे लोग अपने गुरूवर के आगमन पर हर्षित और गौरवान्वित महसुस कर रहे हैं। सब मिलकर गुरूवर की अगुवाई की तैयारी कर रहे हैं। यह जानकारी डोंगरगढ़ जैन समाज के निशांत जैन द्वारा दी गई।